Diary Ke Panne

शनिवार, 17 अगस्त 2024

डोना - मारिया

 

डोना

मारिया

2017 के दिसंबर महीने की बात है पंछियों का एक जोड़ा हमारे यहाँ आ पहुँचा था.. इनमें से एक नर और एक मादा थी.. एक का नाम हमने रखा डोना और दूसरे का नाम मारिया.. नर का नाम डोना रखा और मादा का नाम मारिया.  अब कोई कह सकता है कि कौन नर है और कौन मादा ये कैसे पता लगाया ? तो बहुत आसान है जो सबमिसिव था, प्रेम प्रदर्शित करता रहता था, वो नर था और जो हमेशा ग़ुस्से में रहती थी वो मादा थी 😯


मादा यानी मारिया के एक पंख में चोट आई थी यही कारण है कि वो हमारी बालकनी में आ गिरी लेकिन नर क्यों पीछे चला आया ?? वो उसका ख़्याल रखना चाहता था. हमने उन दोनों को पानी पिलाया खाने को दाने दिये और फिर ये दोनों ही हमारे घर के सदस्य हो गए जैसे जन्मों से हम एक दूसरे को जानते हों.


मुझे पक्षियों को पिंजरे में रखना नहीं पसंद,  लेकिन ये दोनों, दिन भर पूरे घर में घूमते, गंदगी करते और सिर्फ़ झगड़ते, फ़ुरसत मिलती तो खाते.. हमने तय किया कि इनको एक घर बना कर देते हैं…तो एक बड़ा सा पिंजरा बनवाया गया लेकिन तय ये हुआ कि हम पिंजरे के दरवाज़े को बंद नहीं करेंगे.


अब ये जोड़ा अपने घर में रहने लगा.. जब मर्ज़ी होता ये बाहर आते, घूमते खाते, विशेष तौर पर जब मैं घर पर होता तो मेरे आस पास ही मंडराते, मेरे हाथ से ही ख़ाना खाते, और फिर अपने घर में जा कर सो जाते.


हमारा घर मध्य प्रदेश की सबसे छोटी वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी रालमंडल के ठीक बग़ल में है, जहां से आए दिन तेंदुआ , मोर और  अन्य जंगली जानवर आते रहते हैं.. सो ये तोते भी चले आये थे.. लगभग एक साल से ज़्यादा ये हमारे साथ ही रहे.


एक सुबह शायद जब मारिया का पंख ठीक हो गया था ये दोनों ही उड़ गये अपने गंतव्य की और निर्लिप्त निर्विकार.. मेरे देखे हम इंसानों को भी ठीक इनकी ही तरह जीवन जीना चाहिए क्योंकि प्राण पखेरू को शरीर के पिंजरे से एक दिन इसी प्रकार उड़ जाना होगा बेहतर है ये उड़ान हो निर्लिप्त और निर्विकार.


कबीर ने ठीक ही लिखा है - 


उड़ जाएगा, हंस अकेला, 

जग दर्शन का मेला॥

जैसे पात गिरे तरुवर के, मिलना बहुत दुहेला,

न जानूं किधर गिरेगा, लगया पवन का रेला ॥

जब होवे उमर पूरी, जब छूटे हुकम हजूरी,

यम के दूत बड़े मरदूद यम से पड़ा झमेला ॥

दास कबीर हरि के गुण गावे बाहर को पार न पावे,

गुरु की करनी गुरु जाएगा चेले की करनी चेला ॥


✍️एमजे