Diary Ke Panne

बुधवार, 15 नवंबर 2017

ट्रेजेडी ऑफ एरर्स....



मन मोहन जोशी "MJ"


                               कुछ दिनों से लगातार न्यूज़ पेपर्स में बलात्कार सम्बंधित मामले पढ़ने में आ रहे हैं. भोपाल गैंगरेप मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई. पीड़ि‍त छात्रा की एफआईआर दर्ज करने और मेडिकल जांच में हुई बड़ी ग़लती को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा कि इट्स ए ट्रेजेडी ऑफ एरर्स.इसके साथ ही सरकार को इस मामले में 15 दिन के अंदर एक्शन लेकर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं.

                       लगातार हो रहे अपराध के कारण को समझने के लिए बलात्कारी की मानसिकता को समझना आवश्यक है. निर्भया कांड पर बनी और भारत सरकार द्वारा बैन बीबीसी
4 की डॉक्यूमेंट्री इंडियाज़ डॉटर.बलात्कार के मनोविज्ञान पर कुछ प्रकाश डालती है. बलात्कारी मुकेश का सीना तानकर जेल से बाहर आना, रेप करने के पीछे दिये उसके तर्क, दूसरे बलात्कारी अक्षय का जेल के अन्दर भी पुलिस से तेवर में बात करना बलात्कारियों की कुत्सित मानसिकता को प्रकट करता है. इससे यह भी समझ में आता है अपराधियों के मन में क़ानून का खौफ नहीं रहा. मेरे देखे यह फिल्म बलात्कारी के मनोविज्ञान को समझने का मौका देती है. आरोपी मुकेश कह रहा है कि वो मौज मस्ती करने निकले थे, उन्हें जीबी रोड जाना था, जब निर्भया अपने पुरुष मित्र के साथ बस में चढ़ी तो उन्हे बहुत बुरा लगा कि देर रात कैसे एक लड़का लड़की साथ घूम रहे हैं.

                       मुकेश वारदात को बयान करने के जो तर्क दे रहा था उनसे हम सभी कहीं ना कहीं परिचित हैं
, वारदात को बयान करने के उसके शब्दों में जरा भी पश्चाताप नहीं दिख रहा था. वो पहला जवाब देता है ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. कोई शरीफ लड़की होगी तो वो रात के 9 बजे बाहर नहीं घूमेगी. लडकियां रेप के लिये लड़कों से ज्यादा जिम्मेदार हैं.वो कहता है लड़कियों को बनाया गया है घर में रहने के लिये, वो घर मे रहें घर का कामकाज देंखे, लेकिन वो बाहर घूमती हैं, डिस्को जाती हैं, बार जाती हैं”. ये सभी बातें बलात्कार जैसे अपराध के लिए ज़िम्मेदार हैं .

                         रेपिस्ट के वकील एमएल शर्मा की दलीलें सुन लें तो वकीलों से और वकालत के पेशे से नफरत हो जाए. हालांकि शर्मा न तो वकीलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और न ही आम भारतीय का. शर्मा कहते हैं कि "शरीफ लड़की रात को
6:30, 7:30 या 8:30 बजे के बाद घर से नहीं निकलती." बचावपक्ष के दूसरे वकील एपी सिंह कहते हैं, "जरूरी हो तभी लड़की को रात में बाहर जाना चाहिये वो भी अपने रिश्तेदार के साथ, किसी ब्वॉयफ्रेंड के साथ नहीं."

                       ये पूछे जाने पर कि ये घटना क्यों हुई उसके जवाब में मुकेश कहता है कि कुछ साफ तो नहीं पर ये घटना एक सबक के रूप में हुई. मेरे भाई ने पहले भी ऐसा किया है, पर उस वक्त उसका विचार रेप करने का नहीं था. उसे लगा कि उसे समझाने का हक है. वो लड़के को समझाना चाह रहा था कि इतनी रात को लड़की लेकर कहां घूम रहा है. वो उनके कपड़े उतार कर उन्हें सबक सिखाना चाहते थे ताकि दोनों इतने शर्मिन्दा हो जाएँ कि किसी से कुछ कह ना सकें. लेकिन पीड़िता के विरोध ने उन्हें उकसा दिया. मुकेश कहता है कि उसे शांति से रेप करवा लेना चाहिये था. अगर वो हाथ पांव नहीं चलाती तो बच जाती. ये सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि हमारे बीच इस तरह की मानसिकता वाले नर पिशाच खुले आम घूम रहे हैं. जो  मौका मिलने पर लोगों को नैतिकता का सबक सिखाना चाहते हैं. बलात्कार के पीछे उनका मानना है कि इसके लिए पीड़िता ही ग़लत है.

           “इंडियाज़ डॉटरफिल्म समाज को बताती है कि रेपिस्ट की मानसिकता क्या हो सकती है, जो आमतौर पर एक छुपा पहलू है.  फिल्म बिना किसी नैरेशन के बताती है कि फांसी की सजा पाने के बाद भी वो जघन्य हत्या को गलत कामकहता है, उसे पश्चाताप नहीं है. फिल्म बताती है कि इनके चरित्र क्या रहे थे?? लड़कियों के पीछे जाना, बसों में उनके साथ सीट पर बैठ जाना छेड़खानी करना, मारपीट करना उनका शगल था.  राम सिंह तो पहले भी बलात्कार कर चुका था और बेखौफ घूम रहा था.

            हाल ही में एक मंत्री महोदय ने भी भोपाल रेप काण्ड के बाद एक स्टेटमेंट जारी कर कहा की लड़कियों को अकेले नहीं जाना चाहिए और रात के आठ बजे के बाद उनको ट्रैक किया जाना चाहिए. क्यूँ नहीं लड़कों को अकेले में जाने से रोका जाए और उन्हें ट्रैक किया जाए. अपराध तो ये ही कर रहे हैं. अगर महिलाएं राजधानी में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कहाँ हो सकती हैं 
?? इस तरह की घटनाओं को कैसे से रोका जा सकता है?? निवारण के उपाय क्या हैं??

              निर्भया काण्ड के बाद कहा जाता रहा की अगर बलात्कार के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान कर दिया जाए तो शायद अपराध होने बंद हो जायेंगे.
3 अप्रैल 2013 को जस्टिस वर्मा कमिटी की रिपोर्ट पर रेप के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान कर दिया गया. फिर क्या हुआ रेप होने बंद हो गए ?? अपराध को समाप्त करने के लिए अपराधी के मनोविज्ञान और उसके निदान तक पहुंचना आवश्यक है.  

                दो सौ वर्ष पूर्व तक संसार के सभी देशों की यह निश्चित्त नीति थी कि जिसने समाज के आदेशों की अवज्ञा की है
, उससे बदला लेना चाहिए. इसीलिए दंड का  प्रतिशोधात्मक सिद्धांत चलन में था और अपराधी को घोर यातना दी जाती थी. जेलों में उसके साथ पशु से भी बुरा व्यवहार किया जाता था. यह भावना अब बदल गई है. आज समाज की निश्चित धारणा है कि अपराध, शारीरिक तथा मानसिक  प्रकार का रोग है, इसलिए अपराधी को चिकित्सा की आवश्यकता है. अतः दंड के नए सिद्धांत सुधारात्मक सिद्धांत का प्रादुर्भाव हुआ.

              इटली के डॉ॰ लांब्रोजो पहले चिन्तक थे जिन्होने अपराध के बजाय
अपराधीको पहचानने का प्रयत्न किया.  मनःशारीरिक दृष्टि से अपराध पर विचार करते हुए लांब्रोजो ने काफी पहले कहा था कि अपराधी व्यक्ति के शरीर की विशेष बनावट होती हैं. परंतु उस समय उनके मत को मान्यता नहीं मिली. हाल में अपराधियों को लेकर कुछ प्रयोग किए गए जिनसे निष्कर्ष निकला कि 60 प्रतिशत अपराधियों के शरीर की बनावट असामान्य होती है. मनोविज्ञान के पिता फ्रायड के अनुसार प्रत्येक अपराध कामवासना का परिणाम है. हीली जैसे विद्वान अपराध को  सामाजिक वातावरण का परिणाम बताते हैं.

               सन्‌
1969  में डॉ॰ हरगोविंद खुराना ने आनुवंशिक संकेत (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है. फलतः अपराधी मनोवृत्ति वंशानुगत भी हो सकती हैं.
     
              विधि शाष्त्री  डॉ॰ गुतनर ने जो बात उठाई थी वो आज हर एक न्यायालय द्वारा मान्य है. उनके अनुसार
जब तक मन अपराधी न हो कार्य अपराध नहीं होता.”  जैसे यदि छत पर पतंग उड़ाते समय किसी लड़के के पैर से एक पत्थर नीचे सड़क पर आ जाए और किसी दूसरे के सिर पर गिरकर उसके प्राण ले ले तो वह लड़का हत्या का अपराधी नहीं है. अतएव महत्व की वस्तु आशय है. आशय एक मानसिक तथ्य है. इस विश्लेषण से हम घूम फिर कर वापस हम वहीँ आ गए, अपराध मनोविज्ञान का विषय है.
    
             मनोविज्ञान अपराध को मनुष्य की मानसिक उलझनों का परिणाम मानता है. एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा के अनुसार जिस व्यक्ति का बाल्यकाल प्रेम ओर प्रोत्साहन के वातावरण में नहीं बीतता उसके मन में हीन भावना घर कर जाती हैं. डॉ॰ अलफ्रेड एडलर के अनुसार हीनता की यही ग्रंथि अपराध की जनक है. वहीँ दूसरी और जिस बालक को बड़े लाड़ प्यार से रखा जाता है और उसे सभी प्रकार के कामों को करने के लिए छूट दे दी जाती है
, उसकी  सामाजिक भावनाएँ अविकसित रह जाती हैं. इस कारण वह भले बुरे का विचार नहीं कर पाता. ऐसा व्यक्ति स्वयं को सदा चर्चा का विषय बनाए रखना चाहता है और अपराध करता है. मनोविज्ञान कहता है कि ऐसे अपराधियों का सुधार दंड से नहीं हो सकता, उन्हें तो उपचार की आवश्यकता है.
          
              यह तो तय है कि मृत्यु दंड भी अपराध को रोकने में कारगर नहीं हो पा रहा है. तो क्या मृत्यु दंड नहीं होना चाहिए? मेरे देखे मृत्यु दंड होना चाहिए और मृत्युदंड  का औचित्य केवल इतना है कि अब यह व्यक्ति समाज में रहने लायक नहीं रह गया इसे विदा हो जाना चाहिए. अपराध को रोकने के लिए हमें मनोविज्ञान का सहारा लेना होगा. आधुनिक मनोविज्ञान ने हमें बताया है कि अपराध को कम करने के लिए सुशिक्षा की आवश्यकता है. जब मनुष्य की कोई प्रवृति बचपन से ही प्रबल हो जाती है तो आगे चलकार वह विशेष प्रकार के कार्यो में प्रकाशित होती है. ये कार्य समाज के लिए हितकारी या अहितकारी हो सकते हैं. बालक के माता-पिता, आसपास का वातावारण और पाठशालाएँ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. उचित शिक्षा का एक उद्देश्य यही होना चाहिए कि मनुष्य सभी प्रकार की कुंठाओं से मुक्त हो. वह इंद्र जीत बने अर्थात अपने इन्द्रियों को नियंत्रण में रख सके. मनोविज्ञान कहता है  जिस व्यक्ति में आत्मनियंत्रण की स्थिति जितनी अधिक होगी उसके अपराध करने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी.
                
             -- मनमोहन जोशी (MJ)

मंगलवार, 14 नवंबर 2017

अर्थशास्त्र का चमत्कार सिंगापुर – एक संस्मरण


National planetorium, Singapore

High rise building

The Lion 

Imperial Bus service, Malaysia to Singapore


                                28
अक्टूबर 2017 को सुबह 6 बजे ही हम तैयार हो कर ब्रेक फ़ास्ट के लिए होटल के ही रेस्तरां में  पहुँच जाते हैं. यहाँ ब्रेकफास्ट का समय सुबह 6 बजे से 9 बजे तक का है. हम मलेशिया में हैं और सड़क रस्ते से आज हमें सिंगापुर जाना है. ठीक 7 बजे हमें ड्राईवर रिसीव करने पहुँच जाता है. सुबह 7:30 बजे हम बस स्टॉप पर पहुँचते हैं . बस स्टॉप पर ही हमें इमीग्रेशन फॉर्म मिलता है . फॉर्म भर कर हम बस का इन्तजार करते हैं. 8:00 बजे हम बस में बैठ कर चल देते हैं सिंगापुर की ओर.

                             सिंगापुर, जिसे अंग्रेज़ी में  
Singapore सिंगपोर, चीनी भाषा में शीन्जियापो, मलय में  Singapore सिंगापुरा और तमिल में  चिंकाप्पूर के नाम से जाना जाता है, विश्व के प्रमुख बंदरगाहों और व्यापारिक केंद्रों में से एक है. यह दक्षिण एशिया में मलेशिया तथा इंडोनेशिया के बीच में स्थित है.
                            
                           सिंगापुर यानी सिंहों का शहर. यहाँ पर कई धर्मों में विश्वास रखने वाले, विभिन्न देशों की संस्कृति, इतिहास तथा भाषा के लोग एकजुट होकर रहते हैं. मुख्य रूप से यहाँ चीनी तथा अँग्रेजी दोनों भाषाएँ प्रचलित हैं. आकार में मुंबई से थोड़े छोटे इस देश  की आबादी करीब 35 लाख है.

                            आधुनिक सिंगापुर की स्थापना सन्‌ 1819 में सर स्टेमफ़ोर्ड रेफ़ल्स ने की थी, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी के रूप में
, दिल्ली स्थित तत्कालीन वॉयसराय द्वारा, कंपनी का व्यापार बढ़ाने हेतु सिंगापुर भेजा गया था. आज भी सिंगापुर डॉलर व सेंट के सिक्कों पर आधुनिक नाम सिंगापुर व पुराना नाम सिंगापुरा अंकित रहता है. सन्‌ 1965 में मलेशिया से अलग होकर नए सिंगापुर राष्ट्र का उदय हुआ. किंवदंती है कि चौदहवीं शताब्दी में सुमात्रा द्वीप का एक राजकुमार जब शिकार हेतु सिंगापुर द्वीप पर गया तो वहाँ जंगल में सिंहों को देखकर उसने उक्त द्वीप का नामकरण सिंगापुरा अर्थात सिंहों का द्वीप कर दिया.

                           अर्थशास्त्रियों ने सिंगापुर को
'आधुनिक चमत्कार' की संज्ञा दी है. यहाँ पानी मलेशिया से, दूध, फल व सब्जियाँ न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया से, दाल, चावल व अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएँ थाईलैंड, इंडोनेशिया से तथा मसाले भारत से आयात किये जाते हैं.

                            1970
के दशक से यहाँ के व्यवसाय ने ज़ोर पकड़ना शुरु किया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. आज मुख्य व्यवसायों में इलेक्ट्रॉनिक, रसायन और सेवाक्षेत्र की कंपनी जैसे होटल, कॉलसेंटर, बैकिंग, आउटसोर्सिंग इत्यादि प्रमुख हैं. यह विदेशी निवेश के लिये काफ़ी आकर्षक रहा है और हाल ही में यहाँ की कंपनियों ने विदेशों में अच्छा निवेश किया है.

                       सिंगापुर एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ पीपल्स एक्शन पार्टी का बोलबाला रहा है. ली कुआन यू इसके सबसे प्रभावशाली नेता थे जो
31 साल तक सत्ता में रहे (1959-90). इस दौरान सिंगापुर ने बहुत व्यावसायिक प्रगति की. यहाँ की संसद एक सदन वाली है जिसके पास कानून बनाने का अधिकार है. इसके अलावा यहाँ की सरकार में कार्य करने वाली कार्यपालिका तथा न्याय मामलों के लिए न्यायपालिका दो अन्य अंग हैं.

                      सिंगापुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में यहाँ के तीन संग्रहालय
, जूरोंग बर्ड पार्क, रेप्टाइल पार्क, जूलॉजिकल गार्डन, साइंस सेंटर सेंटोसा आइलैंड आदि  देखने लायक हैं. सिंगापुर म्यूजियम में सिंगापुर की आजादी की कहानी आकर्षक थ्री-डी वीडियो शो द्वारा बताई जाती है. इस आजादी की लड़ाई में भारतीयों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है
. 600 प्रजातियों व 8000 से ज्यादापक्षियों के संग्रह के साथ जुरोंग बर्ड पार्क एशिया-प्रशांत क्षेत्र का सबसे बड़ा पक्षी पार्क है.  

                    सिंगापुर आने से पहले यहाँ के बारे में कुछ आश्चर्य जनक बातें मैंने पढ़ीं थी जिसका यथार्थ अनुभव 
सिंगापुर पहुँच के ही हुआ. कुछ ख़ास बातें यूँ हैं:

1.इस धरती पर सिंगापुर के लोग सबसे तेज चलते है.
2 यहाँ हर वर्ष इसकी जनसँख्या से तीन गुना ज्यादा लोग पर्यटन के लिए आते हैं .
3. सिंगापुर दुनिया का बहुत ही महंगा देश है. यहाँ हर छठा आदमी मिलिनेयर है.
4. सिंगापुर को सिंहो का शहर तो कहा जाता है लेकिन इस देश में शेर है ही नही.
5. सिंगापुर दुनिया का अकेला ऐसा देश है जिसे खुद की इच्छा के खिलाफ आजादी मिली. इसे 1965 में मलेशिया ने आजाद कर दिया था.
6. सिंगापुर की स्थापना
, 1819 में मलेशिया के एक शहर के रूप में हुई थी.
7. सिंगापुर 63 छोटे-छोटे द्विप समुहों 
से मिलकर बना हुआ है. एरिया के हिसाब से यह भारत से 4400 गुणा छोटा है.

8. सिंगापुर में खुले में पेशाब करने की सख्त मनाही है. कुछ लोग इससे बचने के लिए लिफ्टों में पेशाब करने लग गए थे लेकिन लिफ्टों में ऑटोमेटिक डिटेक्शन सिस्टम लगाए गए हैं.  जिससे पेशाब करते ही पुलिस के आने तक दरवाजें खुद बंद हो जाते है.
9. सिंगापुर में टायलेट फ्लश न करने पर $150 जुर्माना लग सकता है. इसे चेक करने के लिए पुलिस को भी बुलाया जा सकता है।
10. सिंगापुर में पानी मलेशिया से
, दूध, फल व सब्जियाँ न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया से, दाल, चावल व अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएँ थाईलैंड, इंडोनेशिया से तथा मसाले भारत से आयात किये जाते हैं.
11. सिंगापुर मे पोर्नोग्राफी
, दीवारों पर पोस्टर लगाने, होर्डिंग और बैनर लगाने, सड़को पर कूड़ा-कचरा फैलाने से लेकर नंगे होकर प्रदर्शन करने तक बहुत कुछ बैन करके रखा गया है.
12. जितने एरिया के साथ सिंगापुर आजाद हुआ था
, आज यह उससे 25% बड़ा हो चुका है.
1
3. सिंगापुर का Timezone अब तक  6 बार चेंज किया जा चुका है.
14. सिंगापुर, कंबोडिया से अरबों क्यूबिक फीट रेत खरीद चुका है क्योंकि कंबोडिया को पैसे चाहिए और सिंगापुर को धरती.

       सिंगापुर में हम 4 दिन रहे एक अद्भुत अनुभव इस धरती ने दिया. ख़ास कर sentossa आइलैंड, सिंगापुर फ्लायर, मुस्तफा मॉल और नाईट वाइल्ड लाइफ सफारी का अनुभव अद्भुत रहा. अनुभव को बाँधने के लिए शब्द कम पड़ रहे हैं.

                            -मन मोहन जोशी (MJ)

सोमवार, 13 नवंबर 2017

सफ़र की बात- मलेशियन डेज़



thean hau temple

Istana Negara "Kings Palace"

Aquaria

KL City Gallery  


27 october 2017 
                   दो दिनों से लिखने का समय ही नहीं मिल पा रहा है. सोचा पिछले दो दिनों के अनुभव को आज संस्मरणात्मक रूप में लिख डालूं. तो हम पिछले तीन दिनों से कुआलालंपुर शहर में हैं. कुआला का अर्थ होता है संगम और लम्पुर यानी दलदली भूमि. गोम्बक व क्लैंग नदियों के संगम पर बसा यह शहर सन् 1800 के लगभग टिन के व्यापार का केंद्र था. आज यह मलेशिया की संघीय राजधानी होने के साथ-साथ व्यापार, राजनीति, मौज-मस्ती व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का केंद्र है.

                   अत्याधुनिक शहर होते हुए भी यहां के लोगों व इमारतों में औपनिवेशिक युग की झलक साफ दिखाई देती है. यातायात के आधुनिक साधनों में यहां लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम व रैपिड ट्रांजिट मोनो रेल सिस्टम हैं. बस व टैक्सी शहर के किसी भी हिस्से से सहज ही उपलब्ध है. सड़कों के दोनों और पेड़ व झाडि़यां हैं, जिन पर लगी लाइटें जब रात को जलती हैं तो सारा शहर जगमगा उठता है. सड़कों के किनारे बने तमाम पब, कॉफी हाउस व डिस्कोथेक यहां के जीवन उत्सव प्रेमी जीवन का सामान्य अंग मालूम पड़ते हैं. शहर के कुछ क्षेत्रों में पब अधिक हैं. यहां पूरे समय लोग मौज-मस्ती करते दिखते हैं. एक सतत उत्सव का माहौल दिखाई पड़ता है.

                  कुआलालम्पुर शहर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है. सब कुछ इतना सुनियोजित है कि आगंतुक को कोई दिक्कत नहीं होती. शहर को जानने के लिए सबसे पहली जगह है इस्ताना निगारा. यह मलेशिया के राजा के रहने का स्थान है. इसके अलावा शहर की पहचान पेट्रोनस जुड़वा मीनार से भी है, जो कुआलालम्पुर शहर में कहीं से भी थोड़ी सी ऊँचाई से नजर आ जाते हैं. 451.9 मीटर ऊँचे इन टॉवर्स में 86 मंजिलें हैं.पेट्रोनस टॉवर्स के पास ही कुआलालम्पुर सिटी सेन्टर पार्क बनाया गया है, जिसमें 1900 से ज्यादा पॉम के पेड़ लगाए गए हैं. इसके अलावा केएल टॉवर, केएलसीसी एक्वेरियम देखने लायक हैं. पाँच हजार स्के.फुट में फैले इस एक्वेरियम में 150 तरह की मछलियाँ हैं. इसमें एक 90 मीटर की टनल भी है, जिसमें ऐसा एहसास होता है कि आप समुद्र के भीतर से ही इन्हें देख रहे हैं. इसके अलावा नेशनल प्लेनेटोरियम, बर्ड पार्क,  आर्किड पार्क, बटरफ्लाई पार्क आदि भी काफी खूबसूरत हैं. सनवे लैगून एक थीम पार्क है जिसे घुमने में पूरा एक दिन लगता है.
                     मलेशिया में भोजन की कई वेरायटी उपलब्ध है. लेकिन  शाकाहारी भोजन करने वालों के लिए ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं. मांसाहारियों के लिए एक से एक वेरायटी मौजूद है जैसे स्नेल,क्रैब, झींगा, विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, पोर्क, बीफ आदि. सभी तरह के सी फ़ूड रेस्टोरेंट शहर में चारों और फैले हुए हैं.  यदि कोई स्थानीय भोजन का स्वाद न लेना चाहे तो कॉस्मोपॉलिटन स्वादों से लैस यूरोपीय, जापानी, थाई व वियतनामी भोजन का आनंद ले सकता है. शाकाहारियों के लिए बहुत से स्थानीय फल हैं, जिनमें चीकू, अमरूद, अमरख और कटहल. कटहल की तरह दिखने वाला डयूरियन नामक फल मलेशिया में फलों का राजा कहा जाता है. यहाँ के लोगों के पसंदीदा पेय में आइस टी, आइस कॉफ़ी और बियर काफी लोकप्रिय है.

                   अनोखा विरोधाभास लिए मलेशिया के तमाम दर्शनीय स्थलों को  देखकर तीन दिन बाद हम सिंगापुर जाने की प्लानिंग में हैं. मैंने सड़क मार्ग से सिंगापुर जाने का प्लान बनाया है हमें सुबह आठ बजे की बस पकडनी है. रात के 12 बज रहे हैं श्रीमती जी सो चुकी हैं और अब मैं भी सोने जा रहा हूँ.  मलेशिया की करेंसी रिंगिट के कुछ सिक्के व नोट हमारे पास इस देश की पहचान के रूप में रह गए हैं. एक शानदार अनुभव.

बकौल अली सरदार जाफरी साहब :


आए ठहरे और रवाना हो गए,
ज़िंदगी क्या है
, सफ़र की बात है ||

क्रमशः .................

सलेमत दतांग – मलेशिया में आपका स्वागत है.


कुआलालंपुर एअरपोर्ट 

कुआलालम्पुर 25 - 0ct - 2017



                      सुबह के 7 बजकर 40 मिनट हो रहे हैं हम कुआलालम्पुर एअरपोर्ट पर लैंड करते हैं... मैं ध्यान से अनाउंसमेंट सुनता हूँ, बैगेज बेल्ट नंबर E पर मिलेगा. हम फ्लाइट से उतर कर चल देते हैं, बैगेज नंबर E की तलाश में. कुआलालम्पुर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कदम रखते ही मुझे लगा कि मैं यूरोप, आस्ट्रेलिया या अमेरिका जैसे किसी विकसित देश की धरती पर खड़ा हूं. क्रोम और शीशे से बना यह हवाई अड्डा विश्व के सबसे आधुनिक हवाई अड्डों में एक है. चमकते हुए ग्रेनाइट के फर्श, नवीनतम तकनीक से लैस सभी सुविधाएं तथा डयूटी फ्री सामानों से भरी चमचमाती हुई दुकानें यहां आने वाले हर पर्यटक को सहज ही प्रभावित कर लेती होंगी.

                     लगभग 15 से 20  मिनट चलने के बाद भी बैगेज काउंटर नहीं मिलता, एअरपोर्ट बहुत ही विशाल है. आगे जाकर एअरपोर्ट के एक कर्मचारी से पूछता हूँ वह बताता है, “यू हेव टु गो बाई ट्रेन, ऐट दी फर्स्ट स्टॉप यू कैन आस्क फॉर दी बैगेज.एअरपोर्ट इतना विशाल है कि  एअरपोर्ट के भीतर ही मोनो रेल की कनेक्टिविटी है. फर्स्ट स्टोपेज पर पहुँच कर फिर हमें कुछ दूर चलना पड़ता है..... सामने बहुत सारे काउंटर्स दिखाई पड़ते हैं जहाँ कस्टम और इमीग्रेशन के अधिकारी जांच और पूछ-ताछ कर रहे हैं. विभिन्न देशों के सैकड़ों लोग कई काउंटर्स पर लाइन में खड़े हैं. हम भी खड़े हो जाते हैं. लगभग डेढ़ घंटे की प्रक्रिया के बाद हमें अपने बैग मिलते हैं.

                     बाहर निकलने पर कई लोग दिखाई पड़ते हैं जो हाथों में तख्तियां लिए खड़े हैं. एक तख्ती पर मुझे मेरा नाम भी दिखाई पड़ता है. हिदयाह नाम की जो लड़की ये तख्ती लेकर खड़ी है मुझसे पूछती है क्या आप सिंगापुर की फ्लाइट से आ रहे हैं? मैं कहता हूँ नहीं मैं मलेशिया एयरलाइन्स से आ रहा हूँ. कुछ क्लेरिफिकेसन के बाद यह क्लियर हो जाता है कि  वो हमारा ही इंतज़ार कर रही है. वो हमें एक ड्राईवर से मिलाती है. ड्राईवर का नाम शिवा है जो हमें अपनी गाडी तक ले जाता है . क्या देख रहा हूँ ! टैक्सी में सारी मर्सिडीस की गाड़ियां खड़ी हैं. एक गाडी में शिवा हमें बिठाता है. रस्ते में शिवा हमें हमारा टूर प्लान समझाता चलता है. शिवा एक मलय है जिसके पूर्वज उन्नीसवीं सदी में दक्षिण भारत से मलेशिया में जा कर बस गए थे.

                  शिवा को इंग्लिश अच्छी आती है उसके अनुसार यहाँ जो भी पढ़े लिखे लोग हैं वो इंग्लिश की थोड़ी बहुत जानकारी तो रखते ही हैं , लेकिन साइन बोर्ड और बाकी सभी चीज़ें मलय भाषा में ही मिलेंगी. उसके अनुसार हमें होटल पहुँचने में लगभग एक घंटे का समय लगेगा.... मैं और श्रीमती जी गाडी से बाहर इस साफ सुथरे और हरे भरे शहर को एक तक निहारने लगते हैं.

                         मैं मलेशिया के बारे में जो कुछ थोड़ी बहुत जानकारी रखता हूँ, मेरे मन के पटल पर उभरने लगते हैं. मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक उष्णकटिबंधीय देश है. यह दक्षिण चीन सागर से दो भागों में विभाजित है. मलय प्रायद्वीप पर स्थित मुख्य भूमि के पश्चिम तट पर मलक्का जलडमरू और इसके पूर्व तट पर दक्षिण चीन सागर है. देश का दूसरा हिस्सा, जिसे कभी-कभी पूर्व मलेशिया के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण चीन सागर में बोर्नियो द्वीप के उत्तरी भाग पर स्थित है. मलय प्रायद्वीप पर स्थित कुआलालंपुर देश की राजधानी है, लेकिन हाल ही में संघीय राजधानी को खासतौर से प्रशासन के लिए बनाए गए नए शहर पुत्रजया में स्थानांतरित कर दिया गया है. यह 13 राज्यों से बनाया गया एक एक संघीय राज्य है.

                        मलेशिया में चीनी, मलय और भारतीय जैसे विभिन्न जातीय समूह निवास करते हैं. यहां की आधिकारिक भाषा मलय है, लेकिन शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में ज्यादातर अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है. मलेशिया में 130 से अधिक बोलियां बोली जाती हैं.

                       मलेशिया, चीन और भारत के बीच प्राचीन काल से व्यापारिक केंद्र था. जब यूरोपीय लोग इस क्षेत्र में आए तो उन्होंने मलक्का को महत्वपूर्ण व्यापार बंदरगाह बनाया. कालांतर में मलेशिया ब्रिटिश साम्राज्य का एक उपनिवेश बन गया. इसका प्रायद्वीपीय भाग 31 अगस्त 1957 को फेडरेशन मलाया के रूप में स्वतंत्र हुआ. 1963 में मलाया, सिंगापुर और बोर्नियो हिस्से साथ मिलकर मलेशिया बन गए.1965 में सिंगापुर ने  अलग होकर अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की.

                     मलेशिया में 13 राज्य हैं और तीन संघीय प्रदेश है. देश का प्रमुख यांग डी-पेर्तुआन अगांग के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है  "मलेशिया का राजा".  मलेशिया में शासन के प्रमुख प्रधानमंत्री हैं. इसकी अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है और यह दक्षिण पूर्व एशिया में एक अपेक्षाकृत समृद्ध देश है. देश के प्रमुख शहरों में कुआलालंपुर, जॉर्ज टाउन, ईपोह और जोहोर बाहरु हैं.

                   मलेशिया एक बहु जातीय, बहु सांस्कृतिक और बहुभाषी समाज है, जहां मलय और अन्य देशी जनजाति 65%, चीनी 25% और 7% भारतीय शामिल है. देश की मूल भाषा मलय (Bahasa Melayu) है.

                     शहर को निहारते हुए कब होटल पहुँच गए पता ही नहीं चला. हम होटल ग्रैंड कॉन्टिनेंटल में प्रवेश करते हैं जो यहाँ शहर के बीचों बीच पेट्रोनास टावर से कुछ दूर स्थित है. हमें जो कमरा मिला है यहाँ से पेट्रोनास टावर साफ़ दिखाई पड़ते हैं यही तो मलेशिया की पहचान हैं.

होटल की खिड़की से पेट्रोनास टावर का एक दृश्य 
   क्रमश: .................

रविवार, 12 नवंबर 2017

सैर कर दुनिया की गाफिल -2

             

हैदराबाद एअरपोर्ट 

मलेशियन डॉलर 


हैदराबाद एअरपोर्ट, 24 अक्टूबर 2017

                  फ्लाइट नियत समय पर लैंड होती है. हम एयरपोर्ट से बाहर निकलते हैं और अंतर्राष्ट्रीय डिपारचर के लिए फर्स्ट फ्लोर पर लिफ्ट से पहुंचते हैं . CISF का  जवान टिकट देख कर कहता है, आपकी तो कल की टिकट है आप एक दिन पहले आ गए हैं. उसे समझाना पड़ा की आज 24 तारीख है और आज रात की 12.00 बजे की फ्लाइट है जो तकनिकी रूप से 25 तारीख को होगी. वो बोला ठीक है सर तीन घंटे पहले आप एंट्री कर सकते हैं . हमारे पास काफी समय है. सो हम नीचे रेस्टोरेंट में पहुँचते हैं और हैदराबादी  खाने का लुत्फ़ उठाते हैं.


 यात्रा से पहले कुछ बातों का हमने विशेष ध्यान रखा जैसे :

1) फिटनेस:  फिटनेस पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए . क्यूंकि स्वस्थ रहेंगे तभी तो यात्रा का आनंद ले पायेंगे. कुछ ज़रूरी दवाइयों के साथ एक फर्स्ट ऐड बॉक्स तैयार कर लेना भी उचित है .

2) सफ़र में सामान कम और जीवन में अरमान कम:  विमानों में निर्धारित भार से ज़्यादा सामान नही ले जा सकते. लगभग प्रत्येक एयरलाइन में 25 से 30 कि०लो० लगेज की ही अनुमति होती है इससे ज़्यादा लगेज होने की स्थिति में एयरलाइन यात्री से लगेज का अतिरिक्त शुल्क लेती है. सामान्यतः कैरी ऑन किए जाने वाले सामान का वजन आप 8-10 कि०लो० रख सकते हैं. हैण्ड बैग में 100 मि.ली. से ज्यादा लिक्विड भी नहीं ले जा सकते. 

3) जैसा देश वैसा भेष:  जूते या सैंडिल वही रखें जो आरामदायक हो. गंतव्य स्थल के वातावरण के अनुसार कपड़े रखें. पासपोर्ट, वीसा व अन्य दस्तावेजों के  ज़ीरॉक्स करवा लें और अलग-अलग जगह रख लें. साथ में एक पेन और छोटी नोट बुक भी अवश्य रखें, कही पर कुछ भी नोट करना पड़ सकता है.

4) अन्य महत्वपूर्ण बातें : पैदल चलने की आदत का होना आवश्यक है.पैदल चलते हुए हम शहर को ज्यादा करीब और अच्छे  से देख सकते हैं ऐसा  मुझे लगता है. वहाँ की साफ-सुथरी और व्यवस्थित सड़कों पर कुछ देर पैदल चलना आपको आनंद की अनुभूति कराएगा, जबकि यह आदत आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होगी.

               यात्रा से पहले हमने कुछ  सिंगापुर डॉलर और यू एस डॉलर अपने पास रख लिए थे. इसके लिये वैध वीजा और टिकट होना अनिवार्य है. यह मुद्रा विमान में कुछ खरीदने या उतरने के तुरंत बाद काम में आ सकती है क्योकि सभी विमानों में हर चीज़ फ्री नही मिलती.

                बहरहाल पूरी तैयारी के साथ हम निकले हैं और उम्मीद है कि यात्रा शानदार और मज़ेदार होने वाली है. रात के 9:00 बज रहे हैं. हम चेक इन करते हैं और बोर्डिंग पास लेकर सिक्यूरिटी होते हुए बोर्डिंग के लिए इंतज़ार करते हैं. एक आदमी पास आकर कहता है अगर आपको करेंसी एक्सचेंज करना है तो कर लीजिये . एक्सचेंज के लिए ये आखिरी पॉइंट है. मैंने सिंगापुर डॉलर और US डॉलर तो ले लिए हैं लेकिन मलेशियन डॉलर इंदौर में उपलब्ध नहीं होने के कारण नहीं ले पाया था. सोचा सुबह वहाँ पहुँचते ही ज़रूरत न पड़ जाए, चेंज करवा लेते हैं .

                मलेशिया की मुद्रा, मलेशिया रिंग्गित है. यह 100 सेंट्स में विभाजित है. इसका मुद्रा कोड MYR है. रिंग्गित, बैंक नेगारा मलेशिया द्वारा जारी किया जाता है. रिंग्गित का अर्थ मलय भाषा में 'दांतेदार' होता  है, जो वास्तविक तौर पर 16 वीं और 17 वीं शताब्दी में पुर्तगाली उपनिवेश के दौरान व्यापक रूप से प्रचलित चांदी के नुकीले डॉलर के लिए प्रयुक्त किया जाता था. सिंगापुर डॉलर और ब्रुनेई डॉलर को भी मलय भाषा में रिंग्गित कहा जाता है. आधिकारिक रूप से मलय नाम रिंग्गित अगस्त 1975 में स्वीकार किए गए. इसके पहले आधिकारिक तौर पर अंग्रेजी में डॉलर व सेंट और मलय में रिंग्गित और सेन का इस्तेमाल किया जाता था और आज भी देश के कुछ हिस्सों में इन्हीं शब्दों का प्रचलन बरकरार है.

12.00 बज कर 30 मिनट हो रहे हैं हम अपनी सीट पर बैठ गए हैं. सामने लगे स्क्रीन पर हम अपने अपने प्रोग्राम सेलेक्ट कर रहे हैं. मैंने रिलैक्सिंग म्यूजिक लगा कर सोने का निर्णय लिया है. श्रीमती जी कोई हॉलीवुड मूवी देख रही हैं. फ्लाइट मलेशिया के समयानुसार सुबह 7:40 पर कुअलालम्पुर हवाई अड्डे पर लैंड होगी.


क्रमशः..............................

सैर कर दुनिया की गाफिल- 1


                                                    सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िन्दगानी फिर कहां।
                                             ज़िन्दगानी-गर रही तो नौजवानी फिर कहां 
                                            
Ahilya Bai Holkar International Airport , Indore

Rajiv Gandhi International Airport, Hyderabad
24- October - 2017
                                   दोपहर 12.00 बजे अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एअरपोर्ट से हैदराबाद के लिए फ्लाइट पकडनी है. मैं और श्रीमती जी मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर जा रहे हैं. कुल आठ दिनों का प्लान है. तैयारी लम्बे समय से चल रही है.. मेरे देखे  मंजिल से ज्यादा आनंद सफ़र में होता है और सफ़र से भी ज्यादा आनंद सफ़र की तैयारी में. मैं दो तरह की यात्राओं का आनंद लेता हूँ अगर अकेले यात्रा कर रहा हूँ तो बिना प्लानिंग के और यदि परिवार के साथ हूँ तो फुल प्लानिंग के साथ. ये दोनों ही एक्सट्रीम हैं लेकिन मैं ऐसा ही हूँ.

                              अभी तक भारत के अठारह राज्य क्रमशः बिहार
, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, व तीन केंद्र शासित प्रदेश: दिल्ली, दमन और दीव, चंडीगढ़ का भ्रमण करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है. 
                              यात्रा करने के लिए क्या चाहिए होता है ?? बहुत सारा धन ?? स्थान विशेष की जानकारी?? खाली समय ??? अधिकतर लोग इन तीन चीज़ों को ही अति आवश्यक मानते हैं जबकि मेरे देखे केवल यात्रा करने की प्रबल इच्छा का होना ही आवश्यक है फिर तो राह आसान होती जाती है. किसी ने कहा भी है कि : चाह सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं, बिजलियाँ अर्श से खुद रास्ता दिखलाती हैं.

                            पहली विदेश यात्रा की बात करूँ तो याद आता है, मैं और मेरे एक मित्र संजय, हम दोनों यात्रा पर निकले, बात 1998 की है. हम कोलकाता घुमने निकले थे. कोलकाता के साल्ट लेक सिटी इलाके में संजय के मामा जी रहते थे जो की सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया में मेनेजर थे. हम जगदलपुर से रायपुर और रायपुर से कोलकाता ट्रेन से पहुंचे. हुआ यों कि मामा जी के बैंक में एक गार्ड था जो नेपाल का था... मुझे लोगों से बात करना और विभिन्न तरह की जानकारियाँ जुटाना पसंद था. तो गार्ड से ही बातें करने लगा. उससे जानकारी मिली कि कोलकाता से गोरखपुर रेल मार्ग से जाया जाता है और वहाँ से बॉर्डर पार करके नेपाल जा सकते हैं. मैंने संजय से कहा नेपाल चलें वो मान गया. मुझे याद है हमारे पास बहुत थोड़े से ही पैसे थे, सो हमने कोलकाता में पैसे कम खर्च करने का निर्णय लिया बाहर का कुछ भी खाना बंद और जितना हो सके पैदल चलो ये हमारी नीति थी. और हम नेपाल घूम आये.

                           पैसे का प्रबंधन हमेशा मेरे ही पास होता था. जो पैसे हम लेकर चलते थे उसमें से घर तक पहुँचने की टिकट के सार पैसे मैं घर से निकलते वक्त ही अलग कर लेता था. मुझे याद है नेपाल से  वापसी के समय  सारा पैसा ख़त्म हो गया था. पूरे एक दिन का सफ़र बाकी था. हमने टिकट खरीद लिए और हमारे पास केवल दस रुपये बचे थे. बस
, रस्ते में एक ढाबे पर रुकी मैंने संजय से कहा कि हल्दीराम का मिक्सचर लेकर आता हूँ खा कर पानी पी लेंगे. मैं ढाबे पर गया और ढाबे वाले को दस रुपये दिए. चमत्कार देखिये ढाबे वाले ने मिक्सचर के साथ नब्बे रुपये वापस किये. हम दोनों ने एक एक डोसा खाया वो भी कोल्ड ड्रिंक के साथ और फिर यात्रा का सुखद अंत हुआ.

                          बहरहाल हमारी यात्रा शुरू हो चुकी है शाम के 6.00 बज रहे हैं. हम हैदराबाद  एअरपोर्ट पर हैं. रात में बारह बजे मलेशिया एयरलाइन्स की फ्लाइट है कुआलालंपुर के लिए ..........

क्रमशः ...................................