Diary Ke Panne

सोमवार, 13 नवंबर 2017

सफ़र की बात- मलेशियन डेज़



thean hau temple

Istana Negara "Kings Palace"

Aquaria

KL City Gallery  


27 october 2017 
                   दो दिनों से लिखने का समय ही नहीं मिल पा रहा है. सोचा पिछले दो दिनों के अनुभव को आज संस्मरणात्मक रूप में लिख डालूं. तो हम पिछले तीन दिनों से कुआलालंपुर शहर में हैं. कुआला का अर्थ होता है संगम और लम्पुर यानी दलदली भूमि. गोम्बक व क्लैंग नदियों के संगम पर बसा यह शहर सन् 1800 के लगभग टिन के व्यापार का केंद्र था. आज यह मलेशिया की संघीय राजधानी होने के साथ-साथ व्यापार, राजनीति, मौज-मस्ती व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का केंद्र है.

                   अत्याधुनिक शहर होते हुए भी यहां के लोगों व इमारतों में औपनिवेशिक युग की झलक साफ दिखाई देती है. यातायात के आधुनिक साधनों में यहां लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम व रैपिड ट्रांजिट मोनो रेल सिस्टम हैं. बस व टैक्सी शहर के किसी भी हिस्से से सहज ही उपलब्ध है. सड़कों के दोनों और पेड़ व झाडि़यां हैं, जिन पर लगी लाइटें जब रात को जलती हैं तो सारा शहर जगमगा उठता है. सड़कों के किनारे बने तमाम पब, कॉफी हाउस व डिस्कोथेक यहां के जीवन उत्सव प्रेमी जीवन का सामान्य अंग मालूम पड़ते हैं. शहर के कुछ क्षेत्रों में पब अधिक हैं. यहां पूरे समय लोग मौज-मस्ती करते दिखते हैं. एक सतत उत्सव का माहौल दिखाई पड़ता है.

                  कुआलालम्पुर शहर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है. सब कुछ इतना सुनियोजित है कि आगंतुक को कोई दिक्कत नहीं होती. शहर को जानने के लिए सबसे पहली जगह है इस्ताना निगारा. यह मलेशिया के राजा के रहने का स्थान है. इसके अलावा शहर की पहचान पेट्रोनस जुड़वा मीनार से भी है, जो कुआलालम्पुर शहर में कहीं से भी थोड़ी सी ऊँचाई से नजर आ जाते हैं. 451.9 मीटर ऊँचे इन टॉवर्स में 86 मंजिलें हैं.पेट्रोनस टॉवर्स के पास ही कुआलालम्पुर सिटी सेन्टर पार्क बनाया गया है, जिसमें 1900 से ज्यादा पॉम के पेड़ लगाए गए हैं. इसके अलावा केएल टॉवर, केएलसीसी एक्वेरियम देखने लायक हैं. पाँच हजार स्के.फुट में फैले इस एक्वेरियम में 150 तरह की मछलियाँ हैं. इसमें एक 90 मीटर की टनल भी है, जिसमें ऐसा एहसास होता है कि आप समुद्र के भीतर से ही इन्हें देख रहे हैं. इसके अलावा नेशनल प्लेनेटोरियम, बर्ड पार्क,  आर्किड पार्क, बटरफ्लाई पार्क आदि भी काफी खूबसूरत हैं. सनवे लैगून एक थीम पार्क है जिसे घुमने में पूरा एक दिन लगता है.
                     मलेशिया में भोजन की कई वेरायटी उपलब्ध है. लेकिन  शाकाहारी भोजन करने वालों के लिए ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं. मांसाहारियों के लिए एक से एक वेरायटी मौजूद है जैसे स्नेल,क्रैब, झींगा, विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, पोर्क, बीफ आदि. सभी तरह के सी फ़ूड रेस्टोरेंट शहर में चारों और फैले हुए हैं.  यदि कोई स्थानीय भोजन का स्वाद न लेना चाहे तो कॉस्मोपॉलिटन स्वादों से लैस यूरोपीय, जापानी, थाई व वियतनामी भोजन का आनंद ले सकता है. शाकाहारियों के लिए बहुत से स्थानीय फल हैं, जिनमें चीकू, अमरूद, अमरख और कटहल. कटहल की तरह दिखने वाला डयूरियन नामक फल मलेशिया में फलों का राजा कहा जाता है. यहाँ के लोगों के पसंदीदा पेय में आइस टी, आइस कॉफ़ी और बियर काफी लोकप्रिय है.

                   अनोखा विरोधाभास लिए मलेशिया के तमाम दर्शनीय स्थलों को  देखकर तीन दिन बाद हम सिंगापुर जाने की प्लानिंग में हैं. मैंने सड़क मार्ग से सिंगापुर जाने का प्लान बनाया है हमें सुबह आठ बजे की बस पकडनी है. रात के 12 बज रहे हैं श्रीमती जी सो चुकी हैं और अब मैं भी सोने जा रहा हूँ.  मलेशिया की करेंसी रिंगिट के कुछ सिक्के व नोट हमारे पास इस देश की पहचान के रूप में रह गए हैं. एक शानदार अनुभव.

बकौल अली सरदार जाफरी साहब :


आए ठहरे और रवाना हो गए,
ज़िंदगी क्या है
, सफ़र की बात है ||

क्रमशः .................

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