Diary Ke Panne

बुधवार, 15 नवंबर 2017

ट्रेजेडी ऑफ एरर्स....



मन मोहन जोशी "MJ"


                               कुछ दिनों से लगातार न्यूज़ पेपर्स में बलात्कार सम्बंधित मामले पढ़ने में आ रहे हैं. भोपाल गैंगरेप मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई. पीड़ि‍त छात्रा की एफआईआर दर्ज करने और मेडिकल जांच में हुई बड़ी ग़लती को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने कहा कि इट्स ए ट्रेजेडी ऑफ एरर्स.इसके साथ ही सरकार को इस मामले में 15 दिन के अंदर एक्शन लेकर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं.

                       लगातार हो रहे अपराध के कारण को समझने के लिए बलात्कारी की मानसिकता को समझना आवश्यक है. निर्भया कांड पर बनी और भारत सरकार द्वारा बैन बीबीसी
4 की डॉक्यूमेंट्री इंडियाज़ डॉटर.बलात्कार के मनोविज्ञान पर कुछ प्रकाश डालती है. बलात्कारी मुकेश का सीना तानकर जेल से बाहर आना, रेप करने के पीछे दिये उसके तर्क, दूसरे बलात्कारी अक्षय का जेल के अन्दर भी पुलिस से तेवर में बात करना बलात्कारियों की कुत्सित मानसिकता को प्रकट करता है. इससे यह भी समझ में आता है अपराधियों के मन में क़ानून का खौफ नहीं रहा. मेरे देखे यह फिल्म बलात्कारी के मनोविज्ञान को समझने का मौका देती है. आरोपी मुकेश कह रहा है कि वो मौज मस्ती करने निकले थे, उन्हें जीबी रोड जाना था, जब निर्भया अपने पुरुष मित्र के साथ बस में चढ़ी तो उन्हे बहुत बुरा लगा कि देर रात कैसे एक लड़का लड़की साथ घूम रहे हैं.

                       मुकेश वारदात को बयान करने के जो तर्क दे रहा था उनसे हम सभी कहीं ना कहीं परिचित हैं
, वारदात को बयान करने के उसके शब्दों में जरा भी पश्चाताप नहीं दिख रहा था. वो पहला जवाब देता है ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. कोई शरीफ लड़की होगी तो वो रात के 9 बजे बाहर नहीं घूमेगी. लडकियां रेप के लिये लड़कों से ज्यादा जिम्मेदार हैं.वो कहता है लड़कियों को बनाया गया है घर में रहने के लिये, वो घर मे रहें घर का कामकाज देंखे, लेकिन वो बाहर घूमती हैं, डिस्को जाती हैं, बार जाती हैं”. ये सभी बातें बलात्कार जैसे अपराध के लिए ज़िम्मेदार हैं .

                         रेपिस्ट के वकील एमएल शर्मा की दलीलें सुन लें तो वकीलों से और वकालत के पेशे से नफरत हो जाए. हालांकि शर्मा न तो वकीलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और न ही आम भारतीय का. शर्मा कहते हैं कि "शरीफ लड़की रात को
6:30, 7:30 या 8:30 बजे के बाद घर से नहीं निकलती." बचावपक्ष के दूसरे वकील एपी सिंह कहते हैं, "जरूरी हो तभी लड़की को रात में बाहर जाना चाहिये वो भी अपने रिश्तेदार के साथ, किसी ब्वॉयफ्रेंड के साथ नहीं."

                       ये पूछे जाने पर कि ये घटना क्यों हुई उसके जवाब में मुकेश कहता है कि कुछ साफ तो नहीं पर ये घटना एक सबक के रूप में हुई. मेरे भाई ने पहले भी ऐसा किया है, पर उस वक्त उसका विचार रेप करने का नहीं था. उसे लगा कि उसे समझाने का हक है. वो लड़के को समझाना चाह रहा था कि इतनी रात को लड़की लेकर कहां घूम रहा है. वो उनके कपड़े उतार कर उन्हें सबक सिखाना चाहते थे ताकि दोनों इतने शर्मिन्दा हो जाएँ कि किसी से कुछ कह ना सकें. लेकिन पीड़िता के विरोध ने उन्हें उकसा दिया. मुकेश कहता है कि उसे शांति से रेप करवा लेना चाहिये था. अगर वो हाथ पांव नहीं चलाती तो बच जाती. ये सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि हमारे बीच इस तरह की मानसिकता वाले नर पिशाच खुले आम घूम रहे हैं. जो  मौका मिलने पर लोगों को नैतिकता का सबक सिखाना चाहते हैं. बलात्कार के पीछे उनका मानना है कि इसके लिए पीड़िता ही ग़लत है.

           “इंडियाज़ डॉटरफिल्म समाज को बताती है कि रेपिस्ट की मानसिकता क्या हो सकती है, जो आमतौर पर एक छुपा पहलू है.  फिल्म बिना किसी नैरेशन के बताती है कि फांसी की सजा पाने के बाद भी वो जघन्य हत्या को गलत कामकहता है, उसे पश्चाताप नहीं है. फिल्म बताती है कि इनके चरित्र क्या रहे थे?? लड़कियों के पीछे जाना, बसों में उनके साथ सीट पर बैठ जाना छेड़खानी करना, मारपीट करना उनका शगल था.  राम सिंह तो पहले भी बलात्कार कर चुका था और बेखौफ घूम रहा था.

            हाल ही में एक मंत्री महोदय ने भी भोपाल रेप काण्ड के बाद एक स्टेटमेंट जारी कर कहा की लड़कियों को अकेले नहीं जाना चाहिए और रात के आठ बजे के बाद उनको ट्रैक किया जाना चाहिए. क्यूँ नहीं लड़कों को अकेले में जाने से रोका जाए और उन्हें ट्रैक किया जाए. अपराध तो ये ही कर रहे हैं. अगर महिलाएं राजधानी में सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कहाँ हो सकती हैं 
?? इस तरह की घटनाओं को कैसे से रोका जा सकता है?? निवारण के उपाय क्या हैं??

              निर्भया काण्ड के बाद कहा जाता रहा की अगर बलात्कार के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान कर दिया जाए तो शायद अपराध होने बंद हो जायेंगे.
3 अप्रैल 2013 को जस्टिस वर्मा कमिटी की रिपोर्ट पर रेप के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान कर दिया गया. फिर क्या हुआ रेप होने बंद हो गए ?? अपराध को समाप्त करने के लिए अपराधी के मनोविज्ञान और उसके निदान तक पहुंचना आवश्यक है.  

                दो सौ वर्ष पूर्व तक संसार के सभी देशों की यह निश्चित्त नीति थी कि जिसने समाज के आदेशों की अवज्ञा की है
, उससे बदला लेना चाहिए. इसीलिए दंड का  प्रतिशोधात्मक सिद्धांत चलन में था और अपराधी को घोर यातना दी जाती थी. जेलों में उसके साथ पशु से भी बुरा व्यवहार किया जाता था. यह भावना अब बदल गई है. आज समाज की निश्चित धारणा है कि अपराध, शारीरिक तथा मानसिक  प्रकार का रोग है, इसलिए अपराधी को चिकित्सा की आवश्यकता है. अतः दंड के नए सिद्धांत सुधारात्मक सिद्धांत का प्रादुर्भाव हुआ.

              इटली के डॉ॰ लांब्रोजो पहले चिन्तक थे जिन्होने अपराध के बजाय
अपराधीको पहचानने का प्रयत्न किया.  मनःशारीरिक दृष्टि से अपराध पर विचार करते हुए लांब्रोजो ने काफी पहले कहा था कि अपराधी व्यक्ति के शरीर की विशेष बनावट होती हैं. परंतु उस समय उनके मत को मान्यता नहीं मिली. हाल में अपराधियों को लेकर कुछ प्रयोग किए गए जिनसे निष्कर्ष निकला कि 60 प्रतिशत अपराधियों के शरीर की बनावट असामान्य होती है. मनोविज्ञान के पिता फ्रायड के अनुसार प्रत्येक अपराध कामवासना का परिणाम है. हीली जैसे विद्वान अपराध को  सामाजिक वातावरण का परिणाम बताते हैं.

               सन्‌
1969  में डॉ॰ हरगोविंद खुराना ने आनुवंशिक संकेत (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है. फलतः अपराधी मनोवृत्ति वंशानुगत भी हो सकती हैं.
     
              विधि शाष्त्री  डॉ॰ गुतनर ने जो बात उठाई थी वो आज हर एक न्यायालय द्वारा मान्य है. उनके अनुसार
जब तक मन अपराधी न हो कार्य अपराध नहीं होता.”  जैसे यदि छत पर पतंग उड़ाते समय किसी लड़के के पैर से एक पत्थर नीचे सड़क पर आ जाए और किसी दूसरे के सिर पर गिरकर उसके प्राण ले ले तो वह लड़का हत्या का अपराधी नहीं है. अतएव महत्व की वस्तु आशय है. आशय एक मानसिक तथ्य है. इस विश्लेषण से हम घूम फिर कर वापस हम वहीँ आ गए, अपराध मनोविज्ञान का विषय है.
    
             मनोविज्ञान अपराध को मनुष्य की मानसिक उलझनों का परिणाम मानता है. एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा के अनुसार जिस व्यक्ति का बाल्यकाल प्रेम ओर प्रोत्साहन के वातावरण में नहीं बीतता उसके मन में हीन भावना घर कर जाती हैं. डॉ॰ अलफ्रेड एडलर के अनुसार हीनता की यही ग्रंथि अपराध की जनक है. वहीँ दूसरी और जिस बालक को बड़े लाड़ प्यार से रखा जाता है और उसे सभी प्रकार के कामों को करने के लिए छूट दे दी जाती है
, उसकी  सामाजिक भावनाएँ अविकसित रह जाती हैं. इस कारण वह भले बुरे का विचार नहीं कर पाता. ऐसा व्यक्ति स्वयं को सदा चर्चा का विषय बनाए रखना चाहता है और अपराध करता है. मनोविज्ञान कहता है कि ऐसे अपराधियों का सुधार दंड से नहीं हो सकता, उन्हें तो उपचार की आवश्यकता है.
          
              यह तो तय है कि मृत्यु दंड भी अपराध को रोकने में कारगर नहीं हो पा रहा है. तो क्या मृत्यु दंड नहीं होना चाहिए? मेरे देखे मृत्यु दंड होना चाहिए और मृत्युदंड  का औचित्य केवल इतना है कि अब यह व्यक्ति समाज में रहने लायक नहीं रह गया इसे विदा हो जाना चाहिए. अपराध को रोकने के लिए हमें मनोविज्ञान का सहारा लेना होगा. आधुनिक मनोविज्ञान ने हमें बताया है कि अपराध को कम करने के लिए सुशिक्षा की आवश्यकता है. जब मनुष्य की कोई प्रवृति बचपन से ही प्रबल हो जाती है तो आगे चलकार वह विशेष प्रकार के कार्यो में प्रकाशित होती है. ये कार्य समाज के लिए हितकारी या अहितकारी हो सकते हैं. बालक के माता-पिता, आसपास का वातावारण और पाठशालाएँ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. उचित शिक्षा का एक उद्देश्य यही होना चाहिए कि मनुष्य सभी प्रकार की कुंठाओं से मुक्त हो. वह इंद्र जीत बने अर्थात अपने इन्द्रियों को नियंत्रण में रख सके. मनोविज्ञान कहता है  जिस व्यक्ति में आत्मनियंत्रण की स्थिति जितनी अधिक होगी उसके अपराध करने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी.
                
             -- मनमोहन जोशी (MJ)

15 टिप्‍पणियां:

  1. sir ji sarkar ko 8pm k bad choching institute band karne ki jagh liquor shop band karni chahiye and mahilao ko jagruk bnane k sath physical traning deni chahiye and asmajik tatbo k khilaf kadi karyabahi karni chahiye.....

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  2. Repected sir.
    Logo ki mansikta ko samjna bhot muskil hai.. aapke sath aaj jo acha hai kal wo hi aaapke sath kch bhi burra kar skta hai.. aajkal perents aapne bacho ko time nhi de paa rhe hai toh bache bahar ek environment ki taraf jada attract ho rhe hai.. life ko enjoy karna bhot achi bat hai but usse kisiko haani ho ye galt hai.. ladkiya kahi bhi kitne bhi baje ghun sakti ahi ye unka adhikar hai.. sir crime ko upper se khatam karne se kch nhi hoga hume bhot bhot deeply dekhna hoga..
    Thank you

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  3. Make a permanant tatto on the rapist face That he did big criminal offence.
    No fear of law and police leads to increase in no. Of rape cases.

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  4. बहुत ही प्रभावशाली लेख। मनोवैज्ञानिक शोध और अध्ययन की बहुत आवश्यकता है। समाज मे उस अध्ययन को लागू करने के नए नए तरीकों की आवश्यकता है। लोगो मे चेतना जगाने के लिए, निचले वर्ग को साक्षर बनाकर उनमें सही गलत का फ़र्क करने की समझ जगाने के लिये हम आप सबको मिलकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य अपनी क्षमतानुसार निभाना होगा। थोड़ा काम सरकार करेगी, किन्तु, समाज के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें भी अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा।

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  5. Without vedic education system and yoga nothing will be change...this is essential for control our senses and mind...

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. बहुत सुंदर लेख, अपराधो की बढ़ोत्तरी के कई कारण है जिसमे मैं movies(कुछ movies को छोड़कर) को एक कारण मानता हूं क्योंकि 3 घंटे की movie व्यक्ति के दिमाग मे क्या छाप छोड़ जाए यह कोई नही बता सकता क्योंकि सभी के देखने का अलग नज़रिया होता है, और इन अपराधों को कम करने के सुझाव में मेरा यह सोचना है कि व्यक्ति को अपने जीवन मे (before 25) एक बार IAS की prepration जरूर करनी चाहिए,क्योंकि मैं भी MPPSC का छात्र हुँ, और आप यकीन मानिए मेरी लाइफ में बहुत सारे changes आये है, और selection हो या न हो यह मायने नही रखता पर इससे व्यक्ति की thinking Broad हो जाती है, जो बहुत व्यक्ति को जिंदगी जीने के लिए बहुत सहायक होगी, दुबारा से धन्यबाद ऐसे लेखों से हमारा मार्गदर्शन करने के लिए।

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    1. प्रिय नंदकिशोर,
      शुक्रिया अपने विचारों से अवगत कराने के लिए।।

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  8. शिक्षा के साथ सुसंस्कार भी अनिवार्य है ये प्रश्न उन बलात्कारियों से भी किया जाए कि यही कुतर्क क्या वे अपनी माँ बहनों के बलात्कार हो जाने पर देंगे......

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  9. प्रिय राहुल,

    अपने विचार रखने के लिए शुक्रिया।

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  10. बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक लेख। आभार

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