Diary Ke Panne

रविवार, 12 नवंबर 2017

सैर कर दुनिया की गाफिल- 1


                                                    सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िन्दगानी फिर कहां।
                                             ज़िन्दगानी-गर रही तो नौजवानी फिर कहां 
                                            
Ahilya Bai Holkar International Airport , Indore

Rajiv Gandhi International Airport, Hyderabad
24- October - 2017
                                   दोपहर 12.00 बजे अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एअरपोर्ट से हैदराबाद के लिए फ्लाइट पकडनी है. मैं और श्रीमती जी मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर जा रहे हैं. कुल आठ दिनों का प्लान है. तैयारी लम्बे समय से चल रही है.. मेरे देखे  मंजिल से ज्यादा आनंद सफ़र में होता है और सफ़र से भी ज्यादा आनंद सफ़र की तैयारी में. मैं दो तरह की यात्राओं का आनंद लेता हूँ अगर अकेले यात्रा कर रहा हूँ तो बिना प्लानिंग के और यदि परिवार के साथ हूँ तो फुल प्लानिंग के साथ. ये दोनों ही एक्सट्रीम हैं लेकिन मैं ऐसा ही हूँ.

                              अभी तक भारत के अठारह राज्य क्रमशः बिहार
, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, व तीन केंद्र शासित प्रदेश: दिल्ली, दमन और दीव, चंडीगढ़ का भ्रमण करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है. 
                              यात्रा करने के लिए क्या चाहिए होता है ?? बहुत सारा धन ?? स्थान विशेष की जानकारी?? खाली समय ??? अधिकतर लोग इन तीन चीज़ों को ही अति आवश्यक मानते हैं जबकि मेरे देखे केवल यात्रा करने की प्रबल इच्छा का होना ही आवश्यक है फिर तो राह आसान होती जाती है. किसी ने कहा भी है कि : चाह सच्चा हो तो राहें भी निकल आती हैं, बिजलियाँ अर्श से खुद रास्ता दिखलाती हैं.

                            पहली विदेश यात्रा की बात करूँ तो याद आता है, मैं और मेरे एक मित्र संजय, हम दोनों यात्रा पर निकले, बात 1998 की है. हम कोलकाता घुमने निकले थे. कोलकाता के साल्ट लेक सिटी इलाके में संजय के मामा जी रहते थे जो की सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया में मेनेजर थे. हम जगदलपुर से रायपुर और रायपुर से कोलकाता ट्रेन से पहुंचे. हुआ यों कि मामा जी के बैंक में एक गार्ड था जो नेपाल का था... मुझे लोगों से बात करना और विभिन्न तरह की जानकारियाँ जुटाना पसंद था. तो गार्ड से ही बातें करने लगा. उससे जानकारी मिली कि कोलकाता से गोरखपुर रेल मार्ग से जाया जाता है और वहाँ से बॉर्डर पार करके नेपाल जा सकते हैं. मैंने संजय से कहा नेपाल चलें वो मान गया. मुझे याद है हमारे पास बहुत थोड़े से ही पैसे थे, सो हमने कोलकाता में पैसे कम खर्च करने का निर्णय लिया बाहर का कुछ भी खाना बंद और जितना हो सके पैदल चलो ये हमारी नीति थी. और हम नेपाल घूम आये.

                           पैसे का प्रबंधन हमेशा मेरे ही पास होता था. जो पैसे हम लेकर चलते थे उसमें से घर तक पहुँचने की टिकट के सार पैसे मैं घर से निकलते वक्त ही अलग कर लेता था. मुझे याद है नेपाल से  वापसी के समय  सारा पैसा ख़त्म हो गया था. पूरे एक दिन का सफ़र बाकी था. हमने टिकट खरीद लिए और हमारे पास केवल दस रुपये बचे थे. बस
, रस्ते में एक ढाबे पर रुकी मैंने संजय से कहा कि हल्दीराम का मिक्सचर लेकर आता हूँ खा कर पानी पी लेंगे. मैं ढाबे पर गया और ढाबे वाले को दस रुपये दिए. चमत्कार देखिये ढाबे वाले ने मिक्सचर के साथ नब्बे रुपये वापस किये. हम दोनों ने एक एक डोसा खाया वो भी कोल्ड ड्रिंक के साथ और फिर यात्रा का सुखद अंत हुआ.

                          बहरहाल हमारी यात्रा शुरू हो चुकी है शाम के 6.00 बज रहे हैं. हम हैदराबाद  एअरपोर्ट पर हैं. रात में बारह बजे मलेशिया एयरलाइन्स की फ्लाइट है कुआलालंपुर के लिए ..........

क्रमशः ...................................


                                       

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