Diary Ke Panne

शनिवार, 19 जनवरी 2019

"उड़ी" और "ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड"



उड़ी, भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य के बारामूला ज़िले में झेलम नदी के किनारे स्थित एक खूबसूरत शहर है. यह जगह पाक-अधिकृत कश्मीर के साथ सटी हुई नियंत्रण रेखा से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

19वीं शताब्दी के एक ब्रिटिश यात्री के अनुसार इस स्थान पर "रालन" जिसका साइंटिफिक नाम "सेसलपिनिया डेकापेटाला" ( Caesalpinia decapetala) के पेड़ों की भरमार थी जिसे कश्मीरी भाषा में "उड़ी" कहते हैं. और सम्भव है कि इन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा है.

सन् 1947 में भारत विभाजन से पहले उड़ी तहसील मुज़फ़्फ़राबाद ज़िले का हिस्सा हुआ करती थी. 1947 के भारत-पाक युद्ध के बाद उस ज़िले का अधिकतर हिस्सा पाक-अधिकृत कश्मीर में पड़ा और उड़ी तहसील को बारामूला ज़िले में शामिल कर लिया गया.

18 सितम्बर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुआ, एक आतंकी हमला था, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए. सैन्य बलों की कार्रवाई में सभी चार आतंकियों को मार गिराया गया था.  

इसका बदला लेने  के लिए ही साल 2016 भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने  पाकिस्तान में घुसकर 'सर्जिकल स्ट्राइक' को अंजाम दिया था जो आज भी दुनिया की जुबान पर है. उडी फिल्म की कहानी इसी घटना पर आधारित है.

मित्रों की सलाह पर कल इस फिल्म को सपरिवार देखने पहुंचा. बेहतरीन अदाकारी, कसी हुई स्टोरी, शानदार सिनेमेटोग्राफी, जोश से भरे हुए डायलाग और किरदारों का चुनाव आपको आखिरी तक बांधे रखता है. फिल्म का निर्देशन आदित्य धर ने किया हैं. इसे रोनी स्क्रूवाला के बैनर तले बनाया गया है.

 इस सर्जिकल स्ट्राइक में योगदान के लिए पूर्व नगरोटा कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर को सम्मानित भी किया गया था .

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद  लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने एक  इंटरव्यू में ने बताया था कि पाकिस्तान की सीमा में 15 किलोमीटर अंदर जाने के बाद भारतीय सेना ने तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल किया था, ताकि कुत्तों को शांत रखा जाए. सीमा पर आसपास के जंगलों में सेना ने देखा  कि तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमला करते हैं और इन हमलों से खुद को बचाने के लिए कुत्ते रात को बस्ती में ही रहते हैं.

 निंबोरकर ने बताया था कि 'रणनीति बनाते वक्त सेना को पता था कि रास्ते के गांवों से निकलते वक्त कुत्ते भौंकना शुरू कर सकते हैं और सेना पर हमला कर सकते हैं. इससे निपटने के लिए भारतीय सेना तेंदुए का मल-मूत्र अपने साथ लेकर गई थी. उसे गांव के बाहर छिड़क दिया गया, जिससे कुत्ते भौंके नहीं और सेना आसानी से सीमा पार कर सके.'

हमले से पहले भारतीय सेना सुरक्षित जगह पर पहुंच गई और मौका देखते ही आतंकियों पर हमला बोल दिया. सेना ने इस हमले में 29 आतंकियों को मार गिराया था और आतंकियों के लॉन्च पैड्स और ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. हमले को अंजाम देने के बाद सेना वापस सुरक्षित अपनी सीमा में पहुंच गई. यह पूरी कार्रवाई सेना ने इतनी सफाई से की थी कि पाकिस्तानी सेना हक्की-बक्की रह गई थी.

फिल्म में आप नरेन्द्र मोदी , मनोहर पर्रीकर , अजीत डोभाल , राजनाथ सिंह आदि को बड़ी ही आसानी से पहचान सकते हैं. एक सीन में सर्जिकल स्ट्राइक से सम्बंधित मीटिंग के दौरान अजीत डोभाल मम्यूनिख ओलिंपिक में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हैं.

 1972 में ओलंपिक खेलों का आयोजन जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुआ था. दुनियाभर के तमाम देशों के खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेने आए थे. खेल शुरू हुए एक हफ्ते से ज्यादा वक्त बीत चुका था. कोई नहीं जानता था कि आने वाले दिनों में ओलंपिक गेम्स विलेज में कुछ ऐसा होने वाला है, जो खेलों के इतिहास का सबसे काला अध्याय बन जाएगा.

तारीख थी 5 सितंबर 1972. खिलाड़ियों की तरह ट्रैक सूट पहने 8 अजनबी लोहे की दीवार फांदकर ओलंपिक विलेज में घुसने की कोशिश कर रहे थे.  तभी वहां कनाडा के कुछ खिलाड़ी पहुंच गए. दीवार फांदने वाले अजनबी सहम गए, कनाडा के खिलाड़ियों ने उन्हें किसी दूसरे देश का खिलाड़ी समझा और फिर दीवार फांदने में उनकी मदद की.  लोहे की दीवार पार करने के बाद कनाडा के खिलाड़ी अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए.  दूसरी तरफ ट्रैक सूट पहने अजनबी उस इमारत के बाहर पहुंच गए जहां इजरायली खिलाड़ियों को ठहराया गया था.

अगले दिन ये खबर सनसनी बनकर पूरी दुनिया में फैल गई कि फलस्तीनी आतंकवादियों ने जर्मनी के म्यूनिख शहर में 11 इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया है. अब तक बाहर वालों को ये पता नहीं था कि दो खिलाड़ी पहले ही मारे जा चुके हैं. आतंकियों ने मांग रखी कि इजरायल की जेलों में बंद 234 फलस्तीनियों को रिहा किया जाए, लेकिन इजरायल ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि आतंकियों की कोई मांग नहीं मानी जाएगी. इसके बाद आतंकियों ने दो खिलाड़ियों के शवों को हॉस्टल के दरवाजे से बाहर फेंक दिया, वो ये संदेश देना चाहते थे कि यही हाल बाकी खिलाड़ियों का भी होगा लेकिन इजरायल का इरादा नहीं बदला.

इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर के सख्त तेवर देखकर दुनिया दंग थी. लोगों को लग रहा था कि इजरायल ने अपने खिलाड़ियों को आतंकियों के भरोसे छोड़ दिया है. लेकिन हकीकत ये है कि इजरायल जर्मनी को इस बात के लिए राजी करने में जुटा था कि वो म्यूनिख में अपने स्पेशल फोर्सेस भेज सके, लेकिन जर्मनी इसके लिए तैयार नहीं हुआ.

ओलंपिक खेलों के दौरान खिलाड़ियों को बंधक बनाना और मोलभाव करना. पूरी दुनिया टकटकी लगाकर इजरायल की ओर देख रही थी. लोग सांसें थामे इंतजार कर रहे थे कि आखिर इजरायली खिलाड़ियों का क्या होगा. इसी बीच आतंकियों ने एक नई मांग रखी और जर्मन सरकार ने वो मांग मान भी ली. आतंकियों ने मांग रखी कि उन्हें यहां से निकलने दिया जाए, वो बंधक इजरायली खिलाड़ियों को अपने साथ ले जाना चाहते थे. जर्मन सरकार की रणनीति थी कि इसी बहाने आतंकी और खिलाड़ी बाहर निकलेंगे और एयरपोर्ट पर आतंकियों को निशाना बनाना आसान होगा.

 पूरी दुनिया अपने टीवी स्क्रीन पर इस मंजर को लाइव देख रही थी. खिलाड़ियों को बस से उतारकर हेलीकॉप्टर में बिठाया गया. इसके कुछ ही सेकेंड बाद शार्प शूटरों ने आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. खुद को चारों तरफ से घिरता देख आतंकियों ने निहत्थे खिलाड़ियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. एक हेलीकॉप्टर को बम से उड़ा दिया गया. फिर दूसरे हेलीकॉप्टर में बैठे खिलाड़ियों को भी गोलियों से भून दिया गया। कुछ ही मिनटों में एयरबेस पर मौजूद हर आतंकी मारा गया. लेकिन इजरायल के 9 खिलाड़ी भी आतंकियों की गोलियों के शिकार बन गए.

 इसके बाद इजरायल शांत नहीं बैठा उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था. इस मिशन को नाम दिया गया  "रैथ ऑफ गॉड" यानी ईश्वर का कहर.

म्यूनिख नरसंहार के दो दिन के बाद इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों और आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन इजरायली प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर इतने भर से रुकने वाली नहीं थीं। उन्होंने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के साथ गुप्त मीटिंग की और उनसे एक ऐसा मिशन चलाने को कहा जिसके तहत दुनिया के अलग-अलग देशों में फैले उन सभी लोगों के कत्ल का निर्देश दिया, जिनका वास्ता ब्लैक सेप्टेंबर से था।

इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है इस्राइल ने दुनिया भर में फैले उन आतंकियों को चुन चुन कर मारा जिनका सम्बन्ध म्यूनिख हमले से था.

तो अगर आपने “उड़ी” देख ली है तो “हाउ इस द जोश” का उत्तर नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें और नहीं देखि है तो देख कर आएं और फिर लिखें....
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    - मनमोहन जोशी     

8 टिप्‍पणियां:

  1. मूवी देखने बाद और इजरायल की इस अदभुत घटना जिसको आपने बेहतरीन तरीके शब्दो में पिरोया है वास्तव में पुनः रोमांचित करने वाला एहसास करा गया। धन्यवाद सर।

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  2. How should I REMEMBER Whole 3 yearsof llb bare act at a glance and coordinate them ... or remember

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  3. Bht HI romanch vala likha aapney...merey rongtey khdey Ho gye h. .

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  4. सर मै एक हिंदी मीडियम का छात्र हूं और मै हिंदी में एलएलएलबी करना चाहता हूं ।
    कृपया मेरा मारगदर्शन करे ।
    आशीष कुमार
    देवरिया (उप)

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