Diary Ke Panne

मंगलवार, 10 सितंबर 2024

ग्रेविटी से ज़्यादा शक्तिशाली क्या है ?


 मैं और श्रीमती जी इंटरस्टेलर नामक फ़िल्म देख रहे थे. क्रिस्टोफ़र नोलन के सिनेमा में कुछ जादू है कि जितनी बार देखो उतना ही जादुई मालूम पड़ता है. फ़िल्म का हीरो कूपर अपनी बेटी को छोड़कर फिफ्थ डायमेंशन में जाता है जहां से आना असंभव है. वह एक ऐसे ग्रह में भी फँस गया था जहां पर एक घंटे का बीतना पृथ्वी पर सात घंटे के बीत जाने के बराबर है.

उसने अपनी बेटी से वादा किया है कि वो वापस आएगा और वो वापस आता है. जब वो पृथ्वी से गया था तब उसकी उम्र कोई 35 बरस की थी और उसकी बेटी मात्र 10 बरस की लेकिन जब वो वापस आया है तो उसकी उम्र नहीं बढ़ी है लेकिन उसकी बेटी मर्फ़ 94 बरस की हो गई है और मरणासन्न है. लेकिन वो वापस आया है.

अपने जीवन के अंतिम समय में कूपर को देख उसकी बेटी कहती है - कोई मेरा विश्वास नहीं करता था लेकिन मुझे पता था, आप एक दिन वापस जरूर आओगे…

कूपर पूछता है - कैसे?

बेटी रुँधे गले से कहती है - क्योंकि मेरे पिता ने मुझसे वादा किया था. 

फ़िल्म बताती है कि ग्रेविटी एकलौती चीज है, जो समय और आयामों के बीच सफर कर सकती है, पर मेरे देखे यह एकलौती चीज नहीं है. तो फिर ऐसा क्या है जिसने ग्रेविटी को भी मात दे दी है??

ऐसी ही एक बेहद प्यारी कहानी पढ़ने को मिलती है आदिशंकराचार्य के बारे में. जब वे मात्र 8 बरस के थे तब संन्यासी होकर चल दिये थे ज्ञान की खोज में. उस समय उनकी माँ ने उनसे वचन लिया था कि वो मृत्यु के पहले एक बार ज़रूर उनसे मिलने आये.

भारत भ्रमण पर निकले शंकर ने सम्राट सुधन्वा के साथ मिलकर कापालिकों की समस्या का समाधान किया और अपने सभी शिष्यों को श्रृंगेरी भेजते हुए कहा कि मैं कालड़ी जा रहा हूँ, मेरी माता ने मुझे याद किया है. मैंने उन्हें वचन दिया था कि अन्तिम समय में उनके साथ रहूँगा. जब वे घर पहुँचे तो माता आर्याम्बा मृत्युशैय्या पर थीं. शंकर ने उन्हें आत्म तत्व का उपदेश दिया और ठीक दोपहर के समय उन्होंने शरीर त्याग दिया.


शंकर ने उनकी प्रदक्षिणा की और शव के मुख में अक्षत  डालते हुए उनके सब्र का बाँध टूट गया.. उनके रूँधे कंठ से फूट पड़ा - 


मुक्तामणि त्वं नयनं ममेति 

राजेति जीवेति चिर सुत त्वम्।

इत्युक्तवत्यास्तव वाचि मातः 

ददाम्यहं तण्डुलमेव शुष्कम् ॥


अर्थात् हे माँ! जिस मुख से तुम मुझे अपनी आँखों का तारा कहा करती थीं.. मेरे राजदुलारे सदा जीते रहो, कहते हुए तुम कभी न अघाती थीं, मेरा दुर्भाग्य है कि उस मुख में मैं शुष्क तंडुल डालने के सिवा कुछ और न कर सका…


सोच रहा हूँ वो क्या है जो कूपर को उसकी बेटी मर्फ़ तक खींच लाया ? वो क्या है जो शंकर को उनकी माता तक खींच लाया ?? ये वही शक्ति है जो ग्रेविटी से ज़्यादा ताकतवर है… तारों से ज़्यादा चमकीली और डार्क मैटर से ज़्यादा सघन है… ये नदी से ज़्यादा चंचल है और ब्लैकहोल से ज़्यादा ख़तरनाक. ये इस कॉस्मोस से ज़्यादा विशाल है और परमाणु से ज़्यादा सूक्ष्म… ये प्रेम है ❤️


✍️एमजे

6 टिप्‍पणियां:

Abhishek Verma ने कहा…

दिल से धन्यवाद सर, आप मेरे जीवन के विशेष मार्गदर्शकों में एक हैं। आपकी हर कहीं गई बातें हमारे सफ़लता के रास्ते में हो रहे सघन अंधेरे में प्रकाश उज्ज्वलित कर देती हैं। इस कहानी में शायद ज्यादा कुछ नया तो नहीं लेकिन आपकी लिखी हुई लाइनें ही हमे मार्गदर्शित करने के लिए पूर्ण हैं। बीच कहानी में आंखों का नम होना। अपने जीवन सफल होने के पश्चात् एक बार आपसे मिलना चाहता हूं। धन्यवाद सर🙏

Nupur pandey ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Nupur pandey ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद मामा जी जो आपने यह लेख लिखा,सभी शक्तियों में प्रेम सबसे शक्तिशाली है , यह अकेले ही अंत और अभेद गढ़ को जीत सकता है जो मानव हृदय है , यह लेख मैं आजीवन अपने पास रखूंगी मामी जी क्योंकि ये लेख मेरे बीते समय से पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है , दुनिया में बहुत से लोग हर रोज़ , मैं भी बहुत कुछ देखते सुनते सीखते है, लेकिन मामा जी से हमेशा जीवन की शून्य से अनन्त तक सीखने समझने का अवसर मिलता है , इस लेख ने मुझे मेरे पिछले जीवन से भेट एक बार और करवाया है, इसे वही इंसान अपने जीवन से महसूस कर पाएगा जो ग्रेविटी - प्रेम को महसूस कर पाया हो, उसके लिए यह सर्वोपरी होगा, मामी जी , मुझे मेरी दादी से जोड़ गया आपका ये लेख जो कुछ बीता सब कुछ दर्शन कर लिया मैने, यह पढ़ते पढ़ते मेरे आंसू रुक ना पाए,इसमें सम्पूर्ण रूपी आलम लगा दिया गया है।
प्रणाम🙏🏻

बेनामी ने कहा…

प्रिय अभिषेक, खूब खुश रहो.

बेनामी ने कहा…

प्रिय नूपुर ,

जानकर अच्छा लगा कि तुम मेरे ब्लॉग्स पढ़ती हो.. खूब खुश रहो. जुड़ी रहो

एमजे❤️

बेनामी ने कहा…

बहुत ही अच्छी बात कहीं आप न सर प्रेम था जो उनको अपनों से मिलने के लिए खींच लाया| सर आप जैसा गुरु मिलना सौभाग्य की बात है बहुत बहुत धन्यवाद सर||