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Diary Ke Panne
रविवार, 30 अप्रैल 2017
द मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेस ऑफ़ द वर्ल्ड- जोधपुर
वर्ष 2014
के विश्व के अति विशेष स्थानों (द मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द
वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाने वाला शहर...बेहतरीन लोगों का शहर... एक ऐसा शहर जहां अल्प वर्षा के चलते पानी की किल्लत तो है लेकिन लोग पानी बेचने की जगह "जल सेवा" करना पसंद करते हैं..... एक ऐसा शहर जो विश्व की जानी
मानी हस्तियों विशेषतः ब्रैडपिट, एंजेलिना
जोली, बिल गेट्स आदि का favourite डेस्टिनेशन
है, जोधपुर नाम से जाना जाता है .
जोधपुर राजस्थान का दूसरा
सबसे बड़ा शहर है। इसकी जनसंख्या 10 लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा
"महानगर" घोषित कर दिया गया था। यह शहर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों
शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। जोधपुर
में रहने के दौरान इसे करीब से जानने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ. पुराने जोधपुर की संकरी
गलियों में जो नीले मकानों से घिरे हुए
हैं, बाइक से और पैदल भी बहुत भटका हूँ .
वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य
वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित
मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "ब्लू सिटी "
के नाम से भी जाना जाता है । मकानों को नील रंग से पुतवाने का एक कारण ये बताया
जाता है कि चूना एंटीबैक्टीरियल होता है और नीला रंग गर्मी के दिनों में ठंडक
प्रदान करता है.
सूर्य नगरी के नाम से
प्रसिद्ध जोधपुर शहर की पहचान यहां के महलों और पुराने घरों में लगे छितर के
पत्थरों से होती है, पन्द्रहवी शताब्दी का विशालकाय मेहरानगढ़ दुर्ग , पथरीली
चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125
मीटर ऊंचाई पर विद्यमान है। आठ द्वारों व अनगिनत बुजों से युक्त यह शहर दस
किलोमीटर लंबी ऊंची दीवार से घिरा है।
जोधपुर को राजस्थान की न्यायिक राजधानी
कहा जाता है, राजस्थान का उच्च न्यायालय भी जोधपुर में ही स्थित है। जोधपुर
पुरे विश्व से जुड़ने के लिये अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी मौजुद है।
मुख्य दर्शनीय स्थलों में मेहरानगढ़
दुर्ग, जसवंत थड़ा, उम्मैद महल, सरदार मार्केट, घंटा घर, राजकीय संग्राहलय,
कायलाना झील आदि मन मोह लेने वाले हैं.
वाकई में जोधपुर अपने आप में एक बेमिसाल
शहर है.......
- मनमोहन जोशी “MJ”
शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017
सच्ची कमाई ...........
26-04-2017
ट्रेन के वातानुकूलित डब्बे में लेटे-लेटे कुछ घंटे कैंब्रिज के
प्रोफेसर स्टीवर्ट को सुनता रहा...फिर राहुल संकृत्यायन की किताब मेरी जीवन यात्रा
पढने लगा..... फिर शंकर के भज गोविन्दम
मूढ़ मते पर रजनीश को सुनता रहा.... घंटों के मौन के बाद सोचा कुछ लिखूं.
मैं बहुत ही डाइवर्सिफाइड रीडर हूँ हर कुछ जानना समझना चाहता हूँ. इतना कुछ जानने और समझने के लिए है कि ये जीवन छोटा मालूम पड़ताहै .... मैं
घंटों अकेले बिता सकता हूँ बस मेरा लैपटॉप, सोनी का MP 3 प्लेयर और kindle voyage मेरे साथ हों या कुछ किताबें . और इन सब का आनंद
रेल यात्रा में कई गुना हो जाता है .... देखता हूँ कि कुछ
लोग ताश खेल रहे हैं, कुछ लोग
बच्चों को ये मत करो और वो मत करो की लगातार हिदायतें दे रहे हैं , बच्चों से
ज्यादा irritating ये माता पिता ही हैं.
शाम
के 5 बज रहे हैं ... मैं पत्नी सहित जोधपुर के लिए सुबह 5 बजे घर से निकला हूँ
पुरे बारह घंटे बीत चुके हैं..... जोधपुर
राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है..... बचपन में राजस्थान के बारे में बहुत कुछ पढ़ा
और सुना था . राजस्थान हमेशा से ही अवचेतन मन में बसा हुआ था.....वर्ष 2006
में मुझे प्रमोशन मिला और मैं असिस्टेंट ब्रांच मेनेजर के पोस्ट पर राजस्थान के
खूबसूरत शहर उदयपुर पहुंचा (कभी उदयपुर के बारे में भी विस्तार से लिखा जाएगा ) और
कुछ महीनों के भीतर ही ब्रांच मेनेजर के पद पर जोधपुर जाने का अवसर मिला....
याद आता है 4th A रोड पर मेरा ऑफिस था और ब्रांच की खराब हालत को ठीक
करने के लिए ही मुझे भेजा गया था,,,, उदयपुर से वॉल्वो की बस से मैं जोधपुर पहुंचा
सुबह के चार बजे थे ....चौपासनी इलाके में कंपनी का फ्लैट था जहां पहले से ही ग्राउंड फ्लोर पर मैनेजरियल स्टाफ रहता था... और
फर्स्ट फ्लोर मेरे लिए आरक्षित था....
काम करते हुए जोधपुर को बहुत नजदीक से देखा... बहुत कुछ सिखाया इस
शहर ने .... कई कलाकारों से रूबरू होने का मौका भी दिया जिसमें उस्ताद जाकिर
हुसैन, पं हरिप्रसाद चौरसिया, पं छन्नू
महाराज, शुभा
मुद्गल , उस्ताद घुलाम अली जैसे विश्व के मूर्धन्य कलाकारों को सुनने
का अवसर प्राप्त हुआ तो वहीँ दूसरी ओर कविता और शेरो शायरी के सभी बड़े नामों को
सुनने और उनसे मिलने का अवसर मिला इन सभी में मेरे प्रिय रहे कवि देवल आशीष.....
जब भी देवल आशीष के शब्द कान में पड़ते हैं मेरा मन राजस्थान के रेतीले धोरों में विचरने लगता है.....
बहरहाल मुझे याद आता है एक बार मैं बीमार पड़ा. आंत में इन्फेक्शन
होने के कारण मुझे भंडारी हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा था . घर वालों को नहीं
बताया, मुझे लगा की जब तक वो MP/ CG से आयेंगे तब तक तो मैं ठीक हो जाऊँगा.... सात दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती रहने के
बाद आठवें दिन जब डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने की बात कही तो मैंने पूछा था क्या कुछ
दिन और नहीं रह सकता.....इसका कारण था मेरी टीम और मित्रों का प्रेम...
विम्मी, नम्रता, भंवर सिंह, लीलाधर, वीरेंदर , एहतशाम, हेमंत, गोपाल, लक्ष्मी , यवनीत, भागवत, सतीश, ऋतुराज, राहुल, रीना , अर्चना, सुमित भावेश, अयूब आदि मित्र मेरे जीवन का हिस्सा रहे हैं और मेरे राजस्थान प्रवास की सच्ची कमाई और बचत भी यही चंद लोग हैं......
विम्मी, नम्रता, भंवर सिंह, लीलाधर, वीरेंदर , एहतशाम, हेमंत, गोपाल, लक्ष्मी , यवनीत, भागवत, सतीश, ऋतुराज, राहुल, रीना , अर्चना, सुमित भावेश, अयूब आदि मित्र मेरे जीवन का हिस्सा रहे हैं और मेरे राजस्थान प्रवास की सच्ची कमाई और बचत भी यही चंद लोग हैं......
गुरुवार, 27 अप्रैल 2017
धर्म का शोर या शोर का धर्म
सोनू निगम के twit के बाद पिछले कुछ दिनों
से ट्विटर, सोशल मीडिया व न्यूज़ चैनलों पर
एक ही खबर ट्रेंड कर रही है ..... लोग आपस में बहस कर रहे हैं की सोनू निगम ने ठीक
बोला या ग़लत. एक मौलाना ने तो फतवा ही जारी कर दिया था की जो कोई सोनू निगम का सर
मुंड कर लाएगा उसे वो दस लाख रुपये का इनाम देंगे आदि आदि आदि....
मैंने सोचा था कि इस मुद्दे पर कुछ भी न
लिखा जाएगा क्यूंकि पता नहीं कौन सी बात से किसी की धार्मिक भावना भड़क जाए ....
फिर कुछ ऐसा घटा... कल की ही बात है एक मित्र ने ई मेल के माध्यम से पूछा है कि अपने पूजा पाठ या अन्य धार्मिक
कार्यों से दूसरों के जीवन में खलल डालना
क्या धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है?? क्या भारत में असहिष्णुता बढ़ी है ? क्या इन सब से इश्वर प्रसन्न होता है
? क्या सोनू निगम ने जो कुछ किया वो असहिष्णुता है?? आदि पर आप कुछ लिखिए ...
मेरे देखे समाज वाकई असहिष्णु हुआ है लेकिन मेरा नज़रिया दूसरा है वस्तुतः
सोनू निगम ने तो कुछ भी नहीं कहा ....... सैकड़ों वर्षों पहले ही जब की लाउड स्पीकर
नहीं होते होंगे तब कबीर ने कहा था –
“कंकर पत्थर जोड़ कर मस्जिद लिया चुनाय ,
ता चढ़ मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.” अब इसे क्या कहेंगे ?
ता चढ़ मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.” अब इसे क्या कहेंगे ?
कबीर मेरे प्रिय हैं और पूजा पाठ की पद्धति
के सम्बन्ध में वे और भी खूबसूरत बात कहते हैं :
“सब रग तंत रबाब तन विरह बजावे नित्त्त,
और न कोई सुन सके कह साईं के चित्त ||”
और न कोई सुन सके कह साईं के चित्त ||”
कबीर कह रहे हैं की आराधना ऐसी हो जो भक्त
और भगवान् के अलावा किसी और को सुनाई भी ना दे .... फिर किसी भी तथाकथित धार्मिक
कार्य में ये शोर शराबा क्यूँ??
ये जानने से पहले कि क्या ये क्रियाकलाप धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा हैं ? ये जान लेना
ज़रूरी है कि आखिर धर्म क्या है?
धर्म
संस्कृत भाषा का शब्द हैं जोकि धारण करने वाली धृ धातु से बना हैं। "धार्यते
इति धर्म:" अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म हैं। अथवा लोक परलोक के सुखों
की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म
हैं। दूसरे शब्दों में यहभी कह सकते हैं की मनुष्य जीवन को उच्च व पवित्र बनाने
वाली ज्ञानानुकुल जो शुद्ध सार्वजानिक मर्यादा पद्यति हैं वह धर्म हैं।
जैमिनी के मीमांसा दर्शन के दूसरे
सूत्र के अनुसार- “ लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु गुणों और कर्मों में
प्रवृति की प्रेरणा धर्म का लक्षण है।“
वैदिक साहित्य में धर्म वस्तु के
स्वाभाविक गुण तथा कर्तव्यों के अर्थों में भी आया हैं। जैसे जलाना और प्रकाश करना
अग्नि का धर्म हैं और प्रजा का पालन और रक्षण राजा का धर्म हैं।
मनु स्मृति के अनुसार-
“धृति: क्षमा दमोअस्तेयं शोचं इन्द्रिय
निग्रह:,
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणं ||
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणं ||
अर्थात: धैर्य,क्षमा, मन को प्राकृतिक प्रलोभनों में फँसने से
रोकना, चोरी त्याग, शौच, इन्द्रिय निग्रह, बुद्धि अथवा
ज्ञान, विद्या, सत्य और
अक्रोध धर्म के दस लक्षण हैं।
महाभारत के अनुसार -
“धारणाद धर्ममित्याहु:,धर्मो धार्यते प्रजा:”
अर्थात -जो धारण किया जाये और जिससे प्रजाएँ धारण की हुई हैं वह धर्म हैं।
अर्थात -जो धारण किया जाये और जिससे प्रजाएँ धारण की हुई हैं वह धर्म हैं।
वैशेषिक दर्शन के कर्ता महा मुनि कणाद के
अनुसार -
यतोअभयुद्य निश्रेयस सिद्धि: स धर्म:
अर्थात- जिससे अभ्युदय(लोकोन्नति) और निश्रेयस (मोक्ष) की सिद्धि होती हैं, वह धर्म हैं।
यतोअभयुद्य निश्रेयस सिद्धि: स धर्म:
अर्थात- जिससे अभ्युदय(लोकोन्नति) और निश्रेयस (मोक्ष) की सिद्धि होती हैं, वह धर्म हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार- जो पक्ष पात
रहित न्याय सत्य का ग्रहण, असत्य का
सर्वथा परित्याग रूप आचार हैं उसी का नाम धर्म है और उससे विपरीत अधर्म हैं।
धर्म , सम्प्रदाय, पंथ आदि शब्दों पर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है....
धर्म , सम्प्रदाय, पंथ आदि शब्दों पर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है....
तो फिर क्या हिन्दू, मुस्लिम.... आदि
धर्म हैं?? क्या किसी भी कार्य के लिए लाउड स्पीकर या DJ का प्रयोग वर्जित कर दिया
जाना चाहिए?? क्या धर्म की आलोचना करने का अधिकार होना चाहिए ?? ये सारे
क्रियाकालाप धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा हैं या नहीं के परे इन क्रियाकलापों को
धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा होना चाहिए या नहीं ?? ये सारे प्रश्न चिंतन का विषय
है. मेरे देखे किसी से भी राटा रटाया उत्तर लेने की बजाय सभी चिंतन करें और
विभिन्न निष्कर्षों तक पहुंचें.
-मन मोहन जोशी “मन”
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