Diary Ke Panne

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

सच्ची कमाई ...........

26-04-2017



            ट्रेन के वातानुकूलित डब्बे में लेटे-लेटे कुछ घंटे कैंब्रिज के प्रोफेसर स्टीवर्ट को सुनता रहा...फिर राहुल संकृत्यायन की किताब मेरी जीवन यात्रा पढने लगा..... फिर शंकर के भज गोविन्दम मूढ़ मते पर रजनीश को सुनता रहा.... घंटों के मौन के बाद सोचा कुछ लिखूं.

            मैं बहुत ही डाइवर्सिफाइड रीडर हूँ हर कुछ जानना समझना चाहता हूँ. इतना कुछ जानने और समझने के  लिए है कि ये जीवन छोटा मालूम पड़ताहै .... मैं घंटों अकेले बिता सकता हूँ बस मेरा लैपटॉप, सोनी का MP 3 प्लेयर  और kindle voyage  मेरे साथ हों या कुछ किताबें . और इन सब का आनंद रेल यात्रा में कई गुना हो जाता है .... देखता हूँ कि  कुछ  लोग ताश खेल रहे हैं,  कुछ लोग बच्चों को ये मत करो और वो मत करो की लगातार हिदायतें दे रहे हैं , बच्चों से ज्यादा irritating ये माता पिता ही हैं.
             
            शाम के 5 बज रहे हैं ... मैं पत्नी सहित जोधपुर के लिए सुबह 5 बजे घर से निकला हूँ पुरे बारह घंटे  बीत चुके हैं..... जोधपुर राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है..... बचपन में राजस्थान के बारे में बहुत कुछ पढ़ा और सुना था . राजस्थान हमेशा से ही अवचेतन मन में बसा हुआ था.....वर्ष 2006 में मुझे प्रमोशन मिला और मैं असिस्टेंट ब्रांच मेनेजर के पोस्ट पर राजस्थान के खूबसूरत शहर उदयपुर पहुंचा (कभी उदयपुर के बारे में भी विस्तार से लिखा जाएगा ) और कुछ महीनों के भीतर ही ब्रांच मेनेजर के पद पर जोधपुर जाने का अवसर मिला....

            याद आता है 4th A रोड पर मेरा ऑफिस था और ब्रांच की खराब हालत को ठीक करने के लिए ही मुझे भेजा गया था,,,, उदयपुर से वॉल्वो की बस से मैं जोधपुर पहुंचा सुबह के चार बजे थे ....चौपासनी इलाके में कंपनी का फ्लैट था जहां पहले से ही  ग्राउंड फ्लोर पर मैनेजरियल स्टाफ रहता था... और फर्स्ट फ्लोर मेरे लिए आरक्षित था....

             काम करते हुए जोधपुर को बहुत नजदीक से देखा... बहुत कुछ सिखाया इस शहर ने .... कई कलाकारों से रूबरू होने का मौका भी दिया जिसमें उस्ताद जाकिर हुसैन, पं हरिप्रसाद चौरसिया, पं छन्नू  महाराज, शुभा मुद्गल , उस्ताद घुलाम अली जैसे विश्व के मूर्धन्य कलाकारों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ तो वहीँ दूसरी ओर कविता और शेरो शायरी के सभी बड़े नामों को सुनने और उनसे मिलने का अवसर मिला इन सभी में मेरे प्रिय रहे कवि देवल आशीष..... जब भी देवल आशीष के शब्द कान में पड़ते हैं मेरा मन राजस्थान के रेतीले धोरों  में विचरने लगता है.....

              बहरहाल मुझे याद आता है एक बार मैं बीमार पड़ा. आंत में इन्फेक्शन होने के कारण मुझे भंडारी हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा था . घर वालों को नहीं बताया, मुझे लगा की जब तक वो MP/ CG से आयेंगे तब तक तो मैं ठीक हो जाऊँगा.... सात दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती  रहने के बाद आठवें दिन जब डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने की बात कही तो मैंने पूछा था क्या कुछ दिन और नहीं रह सकता.....इसका कारण था मेरी टीम और मित्रों का प्रेम... 

विम्मी, नम्रता, भंवर सिंह, लीलाधर, वीरेंदर , एहतशाम, हेमंत, गोपाल, लक्ष्मी , यवनीत, भागवत, सतीश, ऋतुराज, राहुल, रीना , अर्चना, सुमित भावेश,  अयूब आदि मित्र मेरे जीवन का हिस्सा रहे हैं और मेरे राजस्थान प्रवास की सच्ची कमाई और बचत भी यही चंद लोग हैं......

             
 

                                     - मन मोहन जोशी “Mj

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