23 मई 2018
वर्ष 2007
में जब मैं जोधपुर में था तब मन में पहली बार
लद्दाख यात्रा का ख़याल आया. तमन्ना थी की लद्दाख को नजदीक से देखूं, चप्पा-
चप्पा, जैसे राजस्थान देखा है. वैसे जीवन में तमन्नाएं मैंने कम ही पाली हैं
लेकिन जो भी कुछ शिद्दत से चाहा है वह पाया है.
बहरहाल मैं बात कर रहा था मेरी लद्दाख यात्रा के बारे में. तो मेरा विवाह भी एक घुमक्कड़ी से हुआ है. और विवाह के वर्ष से ही हम लेह जाने की प्लानिंग में हैं. सबसे पहले तो हम बाइक से जाने कि प्लानिंग में थे. 2007 में जब मैंने सबसे पहले लद्दाख जाने के बारे में सोचा तो हमारी प्लानिंग थी कि हम जयपुर से दिल्ली होते हुए लद्दाख पहुंचेंगे. कुछ ऐसा रूट था जयपुर- दिल्ली-मनाली - रोहतांग- कोकसर- टाण्डी - केलांग- जिस्पा - दारचा - जिंगजिंगबार- बारालाचा ला - सरचू - गाटा लूप- नकीला - लाचुलुंग ला- पांग - मोरे मैदान- तंगलंग ला - उप्शी- कारु और कारू से लेह. लेकिन टीम कभी एक साथ तैयार नहीं हो पाई.एक बार तो हमने टीम बना कर सारी तैयारियां कर ली लेकिन फिर किसी कारण से यात्रा टल गई.
कुछ वर्ष पहले हम मनाली गए
थे. प्लानिंग ये थी कि मनाली से बाइक रेंट पर लेकर लद्दाख निकल जाएंगे लेकिन
हिम्मत नहीं जुटा पाए. पिछले वर्ष सोचा कि
अब फ्लाइट से चलेंगे और वहीँ बाइक रेंट पर ले कर विश्व के सबसे ऊंचे रास्तों को
नापेंगे. तो सोच तो हर वर्ष रहा हूँ बस प्लान एक्सीक्यूट नहीं हो पा रहा है. लेकिन
कुछ सप्ताह पहले मई के शुरूआती दिनों में जयपुर से एक पुराने मित्र का कॉल आया कि
हम एक ग्रुप में लद्दाख जा रहे हैं, चलो. 24 मई की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर मिलेंगे.
लद्दाख शब्द का अर्थ है ऊंचे दर्रों वाली भूमि. लद्दाख, उत्तरी
जम्मू और कश्मीर में,
काराकोरम और हिमालय पर्वत श्रेणी के बीच स्थित है. यह भारत के सबसे
विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है. लद्दाख जिले का क्षेत्रफल 97,776
वर्ग किलोमीटर है. इसके उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएँ हैं. बॉर्डर
एरिया होने के कारण सामरिक दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है. यह उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता
है, जहाँ का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है. यहाँ की जलवायु अत्यंत
शुष्क एवं कठोर है. नदियाँ वर्ष में कुछ ही समय प्रवाहित हो पाती हैं, शेष
समय में बर्फ जमी रहती है. सिंधु मुख्य नदी है. जिले की राजधानी एवं प्रमुख नगर
लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है. अधिकांश जनसंख्या
घुमक्कड़ है, जिनकी प्रकृति,
संस्कार एवं रहन-सहन तिब्बत एवं नेपाल से प्रभावित है. पूर्वी भाग
में अधिकांश लोग बौद्ध हैं और हेमिस गोंपा बौंद्धों का सबसे बड़ा धार्मिक संस्थान
है.
बहरहाल मन में एक प्रश्न उठा कि क्या लद्दाख जाने के लिए ये ठीक समय है?? कई लोग लोग अक्सर पूछते रहते हैं? कि फलां जगह जाने के लिए कौन सा महीना
अच्छा है? और फिर ज्ञानी जन ज्ञान बांटते हुए फलां मौसम या महीने का नाम बताते
हैं. मेरे देखे ये प्रश्न गलत ही गलत है? पूछना तो ये चाहिए कि ठंड, बारिश या गर्मी में से जो भी मौसम आपको पसंद है, वो
मौसम फलां जगह पर कौन से महीनों में मिलेगा और गूगल इस बारे में लगभग सटीक जानकारी
उपलब्ध करवा देगा.
मेरे देखे कहीं भी घुमने के लिए समय वो बढ़िया है जब आपके पास पैसा, मन और छुट्टियां तीनों एक साथ हों. लेकिन अंग्रेजी में एक कहावत है जो बिल्कुल सटीक है "you cannt find time and money for anything. If you want you must make it". अतः मन का होना सबसे महत्वपूर्ण है. मौसम तो सारे ही अच्छे होते हैं. वैसे लद्दाख के बारे में यह नहीं कहा जा सकता क्यूंकि आपको ये भी देखना होता है कि साल के कौन से महीनों में बर्फ बारी के कारण रस्ते बंद होते हैं. तो लद्दाख जाने के लिए मार्च से लेकर मई तक के महीने सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं. क्यूंकि इस समय वहाँ का मौसम सबसे खुशनुमा होता है. लेकिन पीक सीजन होने के कारण सभी चीज़ों के दाम बढे हुए होते हैं.
मेरे देखे कहीं भी घुमने के लिए समय वो बढ़िया है जब आपके पास पैसा, मन और छुट्टियां तीनों एक साथ हों. लेकिन अंग्रेजी में एक कहावत है जो बिल्कुल सटीक है "you cannt find time and money for anything. If you want you must make it". अतः मन का होना सबसे महत्वपूर्ण है. मौसम तो सारे ही अच्छे होते हैं. वैसे लद्दाख के बारे में यह नहीं कहा जा सकता क्यूंकि आपको ये भी देखना होता है कि साल के कौन से महीनों में बर्फ बारी के कारण रस्ते बंद होते हैं. तो लद्दाख जाने के लिए मार्च से लेकर मई तक के महीने सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं. क्यूंकि इस समय वहाँ का मौसम सबसे खुशनुमा होता है. लेकिन पीक सीजन होने के कारण सभी चीज़ों के दाम बढे हुए होते हैं.
जैसे ही श्रीमती जी को पता चला हम लेह जाने वाले हैं वो तैयारियों
में जुट गई. गर्म कपड़े,
जीन्स,
टी शर्ट,
दवाइयों आदि की सूची बना ली गई. जो चीजें घर में नही थी उनकी शॉपिंग
शुरू हो गई.
क्यूंकि दिल्ली से हमारी फ्लाइट कल यानी 24 मई की सुबह 8:40 की है, हमें एक दिन पहले दिल्ली पहुंचना पड़ा. और आज 23 मई की रात 12:00 बजे हम दिल्ली एअरपोर्ट के टर्मिनल 1 पर बैठे इंतज़ार कर रहे हैं कि कब सुबह हो और लेह के लिए फ्लाइट पकड़ी जाए.
क्यूंकि दिल्ली से हमारी फ्लाइट कल यानी 24 मई की सुबह 8:40 की है, हमें एक दिन पहले दिल्ली पहुंचना पड़ा. और आज 23 मई की रात 12:00 बजे हम दिल्ली एअरपोर्ट के टर्मिनल 1 पर बैठे इंतज़ार कर रहे हैं कि कब सुबह हो और लेह के लिए फ्लाइट पकड़ी जाए.
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क्रमशः
-मन मोहन जोशी