Diary Ke Panne

शनिवार, 12 मई 2018

अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा !!!


PC: Random click by Bade Bhaiya S. Joshi 


                               एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने जबलपुर आया हुआ हूँ. यात्रा करते हुए मुझे मौन रहना ही अच्छा लगता है. सहयात्रियों से अनर्गल वार्तालाप करना या देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करना मुझे बिलकुल भी नहीं भाता. ऐसा नहीं की अभी ऐसा हुआ है हमेशा से ही ऐसा है. कल ट्रेन में चढ़ते ही एक शख्स से मुलाकात हुई. चढ़ते ही उन्होंने इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया. आपका सीट कौनसा है?? कहाँ जा रहे हो?? इंदौर में क्या करते हो?? जबलपुर किस सिलसिले में जा रहे हो वगैरह वगैरह?? लेकिन जैसे ही उन्होंने पूछा क्या लगता है 2019 के चुनावों के क्या परिणाम होंगे??? मैंने अपना हेड फ़ोन ऑन किया और हॉलीवुड मूवीज के अपने खजाने से निकाल ली एक खतरनाक मूवी, जो Robert A. Heinlein  की शोर्ट स्टोरी  All You Zombies” पर बनाई गई है. नहीं ये भूत वाली फिल्म नहीं है एक साइंस फिक्शन है.  

                              मैं पहले भी कई बार इस फिल्म को देखने की कोशिश कर चुका हूँ लेकिन हमेशा आधे में बंद कर देता हूँ. सोचा आज ख़त्म कर के सोता हूँ. इसकी कहानी को समझाना आसान नहीं है. खुद देखें और समझने की कोशिश करें. इतना बता सकता हूँ की यह टाइम ट्रेवल पर बेस्ड एक ऐसी फिल्म है जो आपका दिमाग घुमा देगी. फिल्म की शुरुआत में तीन लोग बैठ कर बात करते दिखाई देंगे. आगे आपको पता चलेगा की ये तीनों एक ही व्यक्ति है. भूत, भविष्य और वर्तमान जो टाइम ट्रेवल करते हुए समय के एक मोड़ पर आकर मिल गए हैं. खतरू कहानी है. दिमाग की चक्कर घिन्नी बन जाएगी.

                            लेकिन मेरे घुमक्कड़ मन में जो विचार आया वह यह है कि क्या समय की यात्रा संभव है ?? टाइम ट्रेवल पर बहुत सारी फ़िल्में बनी हैं लेकिन मेरी पसंदीदा है स्टीवन स्पीलबर्ग की “back to the future” ये फिल्म तीन पार्ट में बनी है. एक रोज़ मैंने और श्रीमती जी ने तीनों पार्ट एक के बाद एक देख डाली थी. कमाल की फिल्म और बेहतरीन स्टोरी.                 
टाइम ट्रेवल पर जो बेहतरीन साहित्य उपलब्ध है वो है एच जी वेल्स का उपन्यास द टाईम मशीन. यह टाइम ट्रेवल पर आधारित एक महान साहित्य माना जाता है.

                          वैज्ञानिक समय यात्रा को असंभव मानते रहे हैं. न्युटन ने समय को एक सीधी रेखा में चलने वाले बाण के जैसा माना है
, जिसे एक बार छोड़ दिया तब वह एक सीधी रेखा मे चलता जाता है. आइंसटाईन के अनुसार समय एक नदी के प्रवाह के जैसा है जो सितारों व आकाशगंगाओ के घुमावो से बहता है, इसकी गति इन पिंडो के पास से बहते हुये कम ज्यादा होती रहती है. ब्रह्मांड मे फैली हुयी घड़ियाँ अपनी अपनी गति से चलती रहती हैं. लेकिन आइंस्टाइन के मित्र कर्ट गोएडल ने आईन्स्टाईन के समीकरणों का एक ऐसा हल निकाला जो समय यात्रा को संभव बनाता है. गोयेडल का दिया गया सिद्धांत शानदार है.  यह एक ऐसे ब्रह्मांड की कल्पना करता है जो एक घूर्णन करते हुये द्रव से भरा है. कोई भी इस द्रव के घूर्णन की दिशा मे चलता जायेगा अपने आपको प्रारंभिक बिन्दू पर पायेगा, भूतकाल में.

                        लेकिन बिग-बैंग थ्योरी कहती है की ब्रह्माण्ड अपना विस्तार कर रहा है घूर्णन नहीं. अगर ब्रह्माण्ड घूर्णन कर रहा होता तो शायद समय यात्रा संभव हो सकती थी. स्टीफन हांकिन्ग ने भी शुरुआती दौर में समय यात्रा की अवधारणा का विरोध किया था. स्टीफन हाकिंग ने कहा था की यदि समय यात्रा संभव होती तो भविष्य के यात्री हमसे मिलते, वो कहाँ हैं ??? लेकिन बाद में उन्होंने अपना मत बदल दिया. उनके अनुसार समय यात्रा संभव है लेकिन प्रैक्टिकल नहीं है.

                       मेरे देखे समय यात्रा संभव है. लेकिन केवल भूतकाल की. भविष्य की नहीं. क्योंकि भविष्य का मतलब ही है, वह जो नहीं है.... और हम जब  भूतकाल की यात्रा करेंगे तो हम वहाँ कुछ भी बदलाव नहीं कर पायेंगे.  हम सब रोजाना यह यात्रा कर रहे हैं. उदाहरण के लिए जब आप अपनी शादी की विडियो रिकॉर्डिंग देख रहे होते हो तो शायद आप उस समय में पहुँच जाते हो यात्रा करते हुए. आप सारी चीज़ों को फिर से होते हुए देखते हो. स्वयं से दूर खड़े हो कर स्वयं को. लेकिन कुछ भी बदल नहीं सकते. मुझे लगता है शायद यही टाइम ट्रेवल है.  आप को क्या लगता है ?????

-       -मनमोहन जोशी “MJ”       

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