14 December
2018
एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने जबलपुर जा रहा हूँ . ट्रेन में
बैठे- लेटे सोचता हूँ कि दिल्ली का यात्रा वृत्तान्त पूरा कर लूं. रोज़ अपनी डायरी में कुछ बातों को नोट करने का फायदा यही होता है की आप उसे कभी भी आलेख या किताब की शक्ल दे सकते हैं.
बहरहाल आज सुबह
ही एक स्टूडेंट से बात हुई बोली सर आपने यात्रावृत्तांत तो बहुत बढ़िया लिखा है
लेकिन उसमें एक मिस्टेक है. मैंने पूछा वह क्या? बोली हम इंडिया गेट पहले दिन नहीं
दुसरे दिन गए थे. प्राउड ऑफ़ यू डिअर. मुझे लगता है स्टूडेंट्स को इतना अधिकार तो होना ही चाहिए कि वह अपने शिक्षक की गलतियों
पर ऊँगली उठा सके. तो, माय डिअर इस ब्लॉग में मैं अपनी गलती सुधार रहा हूँ.
चलिए चलते हैं दिल्ली की यात्रा पर....
आज 22
नवम्बर का दिन है और हम संसद के भीतर राज्य सभा से निकल कर सेंट्रल हाल की ओर जा
रहे हैं.... 21 नवम्बर यानी कल ही हम ट्रेन से दिल्ली आये हैं कुल बीस लोगों का
हमारा खूबसूरत कुनबा है माया, अंकिता, परिधि, आयुषी, शमीम, मोनिका, देवेश,
अभिषेक,
महेंद्र,
मनीष,
आशा, दीपाली छोटी,
प्राची,रीना, दीपाली बड़ी, गोविन्द,
निकिता, रिदम, भार्गव साब और मैं.
दिल्ली यात्रा का ये प्लान एक वर्ष पुराना है.
भार्गव साब
और मैं सुप्रीम कोर्ट के लिए पिछले वर्ष ही प्लान बना चुके थे.. अगर
आप न्यायाधीश हैं या रहे हैं या आप रजिस्टर्ड अधिवक्ता हैं तो आप सुप्रीम कोर्ट
बिना किसी परेशानी के घूम सकते हैं. इस वर्ष अक्टूबर के अंत में ये ख्याल आया-
क्यूँ न स्टूडेंट्स को भी साथ लिए चलें? अचानक से प्लान बना और कुछ चुनिन्दा
स्टूडेंट्स और स्टाफ के साथ हम दिल्ली में हैं.
दिल्ली आधिकारिक तौर पर
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है, इसमें नई दिल्ली शामिल
है, जो भारत की राजधानी है. राजधानी होने के कारण भारत की तीनों प्रमुख इकाइयों के मुख्यालय नई दिल्ली
और दिल्ली में स्थापित हैं, 1483 वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के आधार पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है. यहाँ की आधिकारिक
जनसंख्या लगभग 1 करोड़ 70 लाख है. यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ - हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी हैं. इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और
पूर्व में यमुना नदी है.
दिल्ली भारत के अति प्राचीन नगरों में से एक है. इसके इतिहास का
प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है. हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में
हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं. महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ
था. दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी. यहाँ कई प्राचीन एवं
मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं. 1639
में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण
करवाया जो 1779 से 1857 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही.
18वीं एवं 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को
अपने कब्जे में ले लिया. इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया. 1911
में अंग्रेज सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए. इसके लिए
पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ.
अंग्रेजों से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया
गया.
इस नगर का नाम "दिल्ली" कैसे पड़ा इसका कोई निश्चित
सन्दर्भ नहीं मिलता, लेकिन व्यापक रूप से यह माना गया है कि यह एक प्राचीन राजा
"ढिल्लु" से सम्बन्धित है. कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि यह देहली
का एक विकृत रूप है, जिसका अर्थ होता है “चौखट”, जो कि इस नगर के सम्भवतः सिन्धु-गंगा भूमि
के प्रवेश-द्वार होने का सूचक है. एक और अनुमान के अनुसार इस नगर का प्रारम्भिक
नाम "ढिलिका" था. हिन्दी/प्राकृत "ढीली" भी इस क्षेत्र के
लिये प्रयोग किया जाता था.
बहरहाल हम कल दिल्ली की कुछ ऐतिहासिक इमारतों और मुख्य इलाकों की सैर
करके आज संसद भ्रमण कर रहे हैं, राज्य सभा से वापस आते हुए सेंट्रल हॉल के सामने
हुमें कुछ मूर्तियाँ दिखाई पड़ती हैं प्रत्येक मूर्ति कोई 12 फीट
ऊंची तो होगी. लोक सभा के गलियारे से हमें एक मूर्ती किसकी है यह समझ ही नहीं आ रहा
था... स्टूडेंट्स गोविन्द और देवेश ने पूछा और हम सबके लगाए कयास ग़लत साबित हुए. पास जा कर पता चला
ये "गोपाल कृष्ण गोखले" जी की प्रतिमा है. जी हाँ वही गोपाल कृष्ण गोखले जिन्हें
गाँधी जी ने अपना राजनैतिक गुरु माना था......
अब हम खुमान जी के साथ संसद के उस
ऐतिहासिक हिस्से में प्रवेश करने जा रहे हैं जहां भारत की बागडोर अंग्रेजों ने हमारे
हाथों में सौंपी थी और जहाँ 14
अगस्त की आधी रात को नेहरु जी ने अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था ,
हमारे गाइड खुमान जी हमें डिटेल में बताते चलते हैं कि सेंट्रल हॉल
भारतीय संसद का एक अहम हिस्सा है, इसकी
अपनी कुछ खासियतें हैं..... जैसे -
· भारतीय संसद का सेंट्रल हॉल ही वह जगह है जहां पर सन 1947 में अंग्रेजों ने पंडित जवाहर लाल नेहरु को सत्ता हस्तांतरति की थी.
· देश की संविधान सभा पहली बार नौ दिसंबर
1946 को सेंट्रल हॉल में मिली और इसके साथ
ही यहां पर संविधान के लिखे जाने का काम शुरू हुआ. नौ दिसंबर 1946 से लेकर 26
नवंबर 1949 तक यहीं पर संविधान लिखा गया.
· सन् 1946 तक संसद के सेंट्रल हॉल का
प्रयोग लाइब्रेरी के तौर पर होता था.1946 तक इस हॉल को केंद्रीय संसदीय सभा और
कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स की लाइब्रेरी के तौर पर प्रयोग किया जाता था. इसके बाद इसे
फिर से सजाया गया और इसे संसदीय हॉल का रूप दिया गया.
· वर्तमान में संसद का यह सेंट्रल हॉल वह
जगह है जहां पर राज्यसभा और लोकसभा के सांसद आपस में मिलते हैं और आपस में अपने
विचार साझा करते हैं.
· हर नई लोकसभा के गठन के बाद होने वाले
पहले संयुक्त सत्र के दौरान इसी हॉल में राष्ट्रपति सांसदों संबोधित करते हैं.
· जिस समय संसद का सत्र चल रहा होता है
उस समय भी संसद के सेंट्रल हॉल में ही सांसद इकट्ठा होते हैं और किसी मुद्दे चर्चा करते हैं.
· विभिन्न देशों के प्रमुख जैसे राष्ट्रपति
और प्रधानमंत्री जब भारत के दौरे पर आते हैं, तो
इसी हॉल में उनका सम्मान किया जाता है.
· सेंट्रल हॉल, संसद का एक ऐसा हॉल है जो पूरी तरह
से सिम्यूलेंटेनियस इंटरप्रिटेशन सिस्टम से लैस है. इस सिस्टम की बदौलत अलग-अलग
भाषा समझने वाले लोग, होने वाले संबोधन को
अपनी भाषा में सुन सकते हैं.
इतनी सारी जानकारियों और बेहतरीन व्यवहारिक अनुभवों के साथ हमारे
संसद भ्रमण का समापन होता है. हम सब हमारे गाइड और सिक्यूरिटी ऑफिसर खुमान जी को दिल से धन्यवाद देकर विदा लेते हैं.
यहाँ से हमारा अगला पड़ाव है सुप्रीम कोर्ट, तिस हजारी कोर्ट, नेहरु
प्लेनेटोरियम और इंडिया गेट .....
क्रमश :
-मनमोहन जोशी
3 टिप्पणियां:
Joshi Ji if Police not work up to one year in theft fir case than what we should do please guide me.
Joshi Ji if Police not work up to one year in theft fir case than what we should do please guide me.
You should lodge a private complaint in the court of JMFC
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