27 दिसंबर ।। सुबह 7:30 बजे
सुबह के ठीक साढ़े सात बज रहे हैं.. हम रीवा से निकल चुके हैं वाराणसी के लिए.. प्लानिंग ऐसी है कि 11:30 तक हम बनारस पहुँचेंगे सीधे काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे. 1:00 बजे से 3:00 बजे तक एक बुक शॉप में बुक साइनिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया है. 3:00 बजे से पाँच बजे तक कुछ मित्रों से मिलने और थोड़ी शॉपिंग करने का प्लान है 5:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक अस्सी घाट पर विशेष गंगा आरती में शामिल होने का प्लान है. ये प्लानिंग बनाई है मित्र विनीत और रवि ने..
बनारस पहुंचते ही मुझे समझ आ गया था कि ये प्लानिंग काम में नहीं आने वाली… कार मैं ही ड्राइव कर रहा था. अनायास ही अष्टभुजा शुक्ल याद आ गए. बनारस का परिचय करवाते हुए वो लिखते हैं-
ठगों से ठगड़ी में
संतों से सधुक्कड़ी में
लोहे से पानी में
अँग्रेज़ों से अँग्रेज़ी में
पंडितों से संस्कृत में
बौद्धों से पालि में
पंडों से पंडई
गुंडों से गुंडई में
और
निवासियों से भोजपुरी में
बतियाता हुआ यह बनारस है…
बनारस पहुँचते ही हमने जीपीएस से अन्नपूर्णा मंदिर पार्किंग का पता जानना चाहा.. पता चला ये जगह केवल 80 मीटर दूर है लेकिन वहाँ पहुँचने में 27 मिनट लगेंगे. इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कितना ज़ोरदार ट्रैफिक रहा होगा. विनीत भाई से जानकारी मिली कि उन्होंने अस्सी घाट पर कुछ मित्रों को पहले ही मिलने बुला लिया है.. कुछ मित्र बुक शॉप पर इंतज़ार कर रहे हैं..अभी दोपहर के बारह बजे और हम पहुँचे हैं अन्नपूर्णा मंदिर में.
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत जी से मिलना अद्भुत रहा. ये मंदिर अपने आप में अलौकिक है. माँ अन्नपूर्णा को तीनों लोकों की माता माना जाता है… कहा जाता है कि इन्होंने स्वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था. इस मंदिर की दीवार पर कई चित्र लगे हुए हैं. एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई हैं. अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ एक मूर्तियाँ स्थापित है, जिनमें माँ काली,शंकर पार्वती,और नरसिंह भगवान का मंदिर है. अन्नकूट महोत्सव पर माँ अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन एक दिन के लिए भक्तगण कर सकते हैं.
मैंने कहीं पढ़ा था कि जब आद्य शंकराचार्य सैकड़ों वर्ष पूर्व इस स्थान पर आए तो अनायास ही उनके मुख से निकल पड़ा -
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥
इस स्थान पर ही उन्होंने अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना कर ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी… अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे,ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती.
यहाँ से हम बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण पर पहुँचे. अब दोपहर के एक बज चुके हैं कई सारे मित्र बुक साइनिंग सेरेमनी के लिए इंतज़ार कर रहे हैं जो इंतज़ार ही करते रह गए क्यूँकि मंदिर से निकलते हमको 3:00 बज गए हैं. ईश दर्शन के साथ ही मुख्य महंत और सीईओ से भी मिलना हुआ.. कई सारे और मित्र यहाँ भी मिल गए जिनके साथ मुलाक़ात की, फोटो और सेल्फ़ीज़ भी ली गईं.
शाम के 4:00 बज हम बोट से हम लोग अस्सी घाट पहुँचे पता चला यहाँ लगभग ढाई लाख लोग आज पहुँचे हुए हैं गंगा आरती और दर्शन के लिए…
अस्सी घाट, का सही उच्चारण असीघाट है यह गंगा के बायें तट पर उत्तर से दक्षिण फैली घाटों की शृंखला में सबसे दक्षिण की ओर का अंतिम घाट है. इसके पास कई मंदिर और अखाड़े हैं.
इसका नामकरण असी नामक प्राचीन नदी के गंगा के साथ संगम के स्थल होने के कारण हुआ है. पौराणिक कथा है कि युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद दुर्गा देवी ने दुर्गाकुंड के तट पर विश्राम किया था ओर यहीं अपनी असि यानी “तलवार” छोड़ दी थी जिसके गिरने से असी नदी उत्पन्न हुई. असी और गंगा का संगम विशेष रूप से पवित्र माना जाता है.. यहाँ प्राचीन काशी खंडोक्त संगमेश्वर महादेव का मंदिर है. अस्सी घाट काशी के पांच प्रमुख तीर्थों में से एक है.
यहाँ पहले से ही कई मित्र इंतज़ार कर रहे हैं पता चला कि नीति और उनका पूरा परिवार सुबह ग्यारह बजे से हमारे इंतज़ार में घाट पर ही हैं. मित्र अमित ने बताया कि वे दो दिनों से मिलने की प्रतीक्षा में थे. कई मित्रों से मिलना हुआ लेकिन ठीक से बात नहीं हो पाई क्यूंकि घाट पर तेज आवाज़ में भजन और आरती चल रही थी. भाई प्रशांत बजरंगी और अखिलेश से मिलना अद्भुत रहा.
गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष और सदस्य गणों से सम्मानित होना ईश्वरीय कृपा से ही संभव है.. हमने गंगा पूजन किया और विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल हुए… जिसके बाद हमने बाबा भैरव के दर्शन किए लाखों की भीड़ को छेड़ते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और दर्शन पूजन कर पाना रवि भाई के कारण ही संभव हो पाया. सभी मित्रों का जितना शुक्रिया किया जाये उतना कम है.
बहरहाल यहाँ से निकलकर हमें प्रयागराज जाना है रिया और उनका परिवार वहाँ हमारा इंतज़ार जो कर रहे हैं…
क्रमशः….
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