Diary Ke Panne

सोमवार, 25 दिसंबर 2017

अनुभव का “अ”





              दो रोज़ पहले परीक्षाओं के रिजल्ट घोषित हुए. जैसा कि हमेशा ही होता है सफल प्रतिभागियों की संख्या असफल प्रतिभागियों से कम है इसका कारण यह है कि पद संख्या से प्रतिभागियों की संख्या हमेशा ही कई गुना होती है.देखता हूँ कि कीमती जीवन केवल परीक्षा की तैयारी और सिलेबस पूरा करने में खर्च हो रहा है. उस पर तुर्रा यह की ये दौड़ कभी ख़त्म नहीं होती. जो जिस पद को प्राप्त कर चुका है वह उससे संतुष्ट नहीं है, बड़े पद की चाह रखता है गोया कि दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है, जो मिल जाए वो मिट्टी है, जो खो जाए वो सोना है.

            मेरे देखे युवाओं को आत्ममंथन की आवश्यकता है. ये ठीक है कि सफल व्यक्ति को सभी सलाम करते हैं. सभी सफलता पाना चाहते हैं. लेकिन सफलता का अर्थ क्या है
? क्या कोई परीक्षा पास कर लेना? कुछ बन जाना ? बहुत सारे पैसे कमा लेना ? विख्यात होना ? तय करना होगा.

           फिर उन लोगों का क्या जो असफल हो गए हैं
? उनकी संख्या तो कहीं ज्यादा है. ये वर्ग उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण निराशा व हताशा में चला जाता है. इनमें से अधिकतर के पास कोई कौशल नहीं होता, तो ढंग की नौकरी मिलने के आसार भी ख़त्म हो जाते हैं. लेकिन युवा वर्ग को ध्यान रखना चाहिए कि युवा ही वायु हैं, हर चीज़ का रूख मोड़ने की शक्ति रखता है युवा. मैं अपने लेक्चर्स में हमेशा यही कहता हूँ कि कोई परीक्षा तुम्हारी क्षमताओं को नहीं तय कर सकती. तुममें असीम शक्ति है उसे पहचानो. तुम  इस विराट अस्तित्व का भाग ही नहीं हो बल्कि तुम ही विराट अस्तित्व हो. तुम सागर में एक बूँद नहीं हो तुम ही सागर हो.

        मैं अक्सर कहता रहता हूँ नदी क्यूँ मैली नहीं होती
? क्योंकि वह बहती रहती है. पानी अपने मार्ग में आने वाले चट्टानों का सीना कैसे चीर देती है. क्योंकि वह निरंतर आगे बढती रहती है. पानी का एक बिन्दु झरने से नदी, नदी से महानदी और महानदी से समुद्र क्यों बन जाता है? क्योंकि वह बहता है. इसलिए हे जीवन! तुम रुको मत, बहते रहो. जीवन में कुछ असफलताएं आती हैं किंतु तुम उनसे घबराओ मत. उन्हें लांघकर दुगनी मेहनत करते चलो. बहना और चलना ही जीवन है. एक असफलता से भी घबरा कर रुक गए तो उसी तरह सड़ जाओगे जिस तरह रुका हुआ पानी सड़ जाता है. अपने आपको इतना मज़बूत बनाओ की भाग्य की छाती पर लात रख कर मंज़िल तक पहुँच  सको.

          मन को उठाने के लिए मूल मन्त्र हैं ये
, असफलता कहती है सबक अभी बाकी है, जिन्दगी अभी तराश रही है, प्राण-शक्ति के इम्तिहान अभी बाकी हैं.मंजिलें अभी दूर हैं और रस्ते पुकार रहे हैं. असफलता में से अनुभव का निचोड़ लो फिर देखो विशुद्ध सफलता ही बचेगी.


(c) मनमोहन जोशी (MJ)

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