अधिवक्ता,
बैरिस्टर,
सॉलिसिटर,
अटोर्नी,
प्लीडर यही कुछ नाम हैं उस वर्ग के जिसे साधारणतः लोग वकील के नाम से
जानते हैं. आज वकील दिवस है. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र
प्रसाद का जन्मदिन हर वर्ष अधिवक्ता दिवस
के रूप में मनाया जाता है. गर्व का विषय है कि मैं भी इस वर्ग का एक हिस्सा हूँ.
बीएससी मैथमेटिक्स करने के दौरान भैया के एक मित्र से परिचय हुआ जो वकालत की पढ़ाई
कर रहे थे और उन्हीं से प्रेरणा प्राप्त कर मैंने भी प. रविशंकर विश्वविद्यालय से
वकालत के कोर्स में दाखिला ले लिया. क्यूँ ? इसका कोई उत्तर मेरे पास तब न था. लेकिन नियति के पास ज़रूर रहा होगा.
कुछ समय प्रैक्टिस भी किया छतीसगढ़ में अधिवक्ता श्री संतोष मिश्र जी
के सानिध्य में और कुछ समय जोधपुर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता घनश्याम लाल जी जोशी
के सानिध्य में. वर्तमान में से. नि. न्यायाधीश लक्ष्मीकांत भार्गव जी व विभिन्न विधिवेत्ताओं से उनकी किताबों के माध्यम से सीख रहा
हूँ. कानून की चंद किताबें भी नियंता ने मुझसे लिखवा ली हैं. सीखना, सीखाना
और लिखना लगातार जारी है.
आरंभ में लॉ
प्रोफेशन का उपयोग न्यायालय में विधि के गूढ़ार्थ को स्पष्ट करने में किया जाता
था. आज भी इसका मुख्य कार्य यही है. मेरे देखे आधुनिक समाज का स्वरूप एवं प्रगति मुख्यत: विधि द्वारा नियंत्रित होती है. लॉ
प्रोफेशन को आधुनिक समाज का मुख्य आधार स्तंभ कहा जा सकता है.
प्राचीन समय
में समाज की संपूर्ण क्रियाशक्ति मुखिया के हाथ में होती थी. तब विधि का स्वरूप
बहुत आदिम था. ज्योंही न्यायप्रशासन व्यक्ति के हाथ से समुदायों के हाथ में आया, विधि
का रूप निखरने लगा. मध्य एशिया,
मिस्र,
रोम मेसोपोटामिया में
न्यायाधीशों ने , ग्रीस में अधिवक्ताओं और पंचों ने, मध्यकालीन ब्रिटेन और फ्रांस में विधिवेत्ताओं और अधिवक्ताओं ने तथा
भारत में विधिपंडितों ने सर्वप्रथम विधि को समुचित आकार दिया.
शुरुआत में पक्षकार
न्यायालय में स्वयं अपना पक्ष रखते थे. कालांतर में विधि का रूप ज्यों ज्यों
परिष्कृत हुआ उसमें जटिलता और प्राविधिकता आती चली गई. अत: पक्षकारों के लिए यह
आवश्यक हो गया था कि विधि के गूढ़ तत्वों को वह किसी विशेषज्ञ द्वारा समझे तथा
न्यायालय में उसका पक्ष विधिवत रूप से रखा जाए. व्यक्ति की निजी कठिनाइयों के कारण भी कभी - कभी यह आवश्यक हो जाता था कि वह अपनी अनुपस्थिति में किसी प्रतिनिधि को
न्यायालय में भेजे. मेरे देखे वैयक्तिक सुविधा और विधि के प्राविधिक स्वरूप ने ही अधिवक्ताओं को जन्म दिया
होगा. एक समय पाश्चात्य एवं पूर्वी देशों में विधिज्ञाताओं ने बड़ा सम्मान प्राप्त किया.
भारतीय
आर्य परंपरा के अनुसार आदिकाल से ही विधिपूर्ण न्याय की अपेक्षा की जाती रही.
न्यायाधीश के रूप में राजा हमेशा विधि-आबद्ध होता था. विधिक वृत्ति या लॉ प्रोफेशन
की शुरुआत कब से हुई इसका ठीक - ठीक प्रमाण तो कहीं नहीं मिलता लेकिन ऋग्वैदिक काल में पुरोहित, विधिज्ञाता, एवं
विधिपंडितों की सहायता से न्यायप्रशासन किया जाता था. गौतमसूत्र में इस प्रकार के
विधिज्ञाता को प्राङ्विवाक कहा गया है.
मुस्लिमों के आगमन के पश्चात्
न्यायप्रशासन शर्रियत के अनुसार होने लगा. काजी, मुफ्ती,
मुज्तहिद आदि विधिज्ञाता
होते थे, जिनकी सहायता से कुरान एवं इज्मा के अनुकूल न्याय किया जाता था.
सुबुक्तगीन, महमूद गजनी तथा मोहम्मद गोरी ने यह प्रथा भारत में प्रचलित की.
इब्नबतूता के अनुसार तुगलक काल में वकील शब्द का सर्वप्रथम वर्णन मिलता है. अकबर
के राज्यकाल में वकील प्रथा थी या नहीं, इसपर विद्वानों में मतभेद है. औरंगजेब के शासनकाल में वकील प्रथा का प्रमाण मिलता है. औरंगजेब के
दरबार में यह नियम था कि दोनों पक्षों तथा उनके वकीलों की अनुपस्थिति में दावा
अस्वीकृत हो जाता था. भारत के अंतिम स्वतंत्र शासक बहादुरशाह के समय में किसी
व्यक्ति को अधिवक्ता होने के लिए वकालत खाँ की उपाधि दी जाती थी.
ब्रिटिश
उपनिवेश के दौरान विधि व्यवसाय को व्यवस्थित करने के प्रयास किये गए. सर्वप्रथम
1793 में लार्ड कार्नवालिस ने विधिक वृत्ति को व्यवस्थित
करेने के लिए आवश्यक कदम उठाये. 1923 में पहली बार स्त्रियों को अधिवक्ता
होने का अधिकार प्राप्त हुआ. कालांतर में देश के विभिन्न श्रेणियों के अधिवक्ताओं
में समानता लाने हेतु 1926 में इंडियन बार काउंसिल एक्ट पारित किया गया.
एक समय वकालत का पेशा बड़े ही सम्मान की
दृष्टि से देखा जाता था. यहाँ तक की यदि किसी घर का कोई सदस्य वकील हो तो लोग उस घर को वकील साहब के घर के नाम
से जानते थे. लेकिन वर्तमान समय में इस पेशे में गिरावट आई है. सिविल जज परीक्षा
की तैयारी कर रहा एक छात्र बता रहा था कि उसके शहर में यदि कोई पूछता है कि आप क्या
करते हैं? यदि जवाब में यह कहे की वकील हूँ तो पूछने वाला यह कहता है कि
वकील हो वो तो ठीक है लेकिन करते क्या हो??
इस पेशे को सम्मान दिलवाना सभी अधिवक्ताओं की ज़िम्मेदारी है.
अधिवक्ता दिवस की शुभकामनाएँ.
(C) मनमोहन
जोशी (MJ)
बहुत अच्छा लिखा है सर । मेरी अनगिनत शुभकामनाएं आपको ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अंतरिक्ष भाई,
हटाएंआपकी शुभकामनाएं महत्व रखती हैं.जान कर अच्छा लगा कि आप इस ब्लॉग के पाठक हैं.
Super article sir
जवाब देंहटाएंStay blessed dear Gaurav... Keep reading.
हटाएंसुन्दर जानकारी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया महोदय..
हटाएंविद्धवान विधिवेत्ता और ऊर्जावान शिक्षक आपको भी अधिवक्ता दिवस की बधाइयां
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम जोशी,
जवाब देंहटाएंआपके विचार में हिंदी भाषा का इतना स्पष्ट प्रयोग से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं। अभी तक मुझे लगता था विधि ने केवल विदेशी विद्वानों एवं भाषाओं का परचम है। परंतु इससे पता चलता है हम हमारी मां हिंदी के पास भी विधि को व्यक्त करने के अपार शब्द भंडार हैं।
I'll try my best sir to regain the prestige of this profession.
जवाब देंहटाएंसर पहलि बार पढ नए जानकारी आौर वकिलात से थोडा बहुत परिचय हुआ । उत्तम सरजि एवं वकिल दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंSAR लालू प्रशाद यादव ने चारा गोटाला किया था वो केसे बाहर आ गाया उसको तो 5 साल की सजा हुई बड़े लोग जल्दी बाहर आ जाते हे गरीब को जेल मे डाल दिया जाता हे
जवाब देंहटाएंआप से जानकारी पाकर अब समज मे आया की वकालत क्या होती हे धन्यवाद सर जी
जवाब देंहटाएंकैलाश पालीवाल उदयपुर राजस्थान
बहुत बढ़िया सर आपके माध्यम से मुझे बहुत जानकारी मिलती है मै LL.B3sem. का विद्यार्थी हु.Thank you sir
जवाब देंहटाएंDear sir aaj pehli bar kisi ka blog pdh rhi hun.aaj se pehle suna tha pr pta nhi tha blog kaisa hota h,kaha se pdha jata h.aapne bohot achha likha h.mai abhi CLAT ki preparation kr rhi hu aur aapke videos v dekhti hu.maine kabhi nhi Socha tha ki mai law ke kshetra me jaungi lekin papa ke kehne pr man gyi aur apne ghar se pehli bar dur patna me preparation kr rhi hu aur ab ye papa ke sath sath mera v sapna ho Chuka h.ab to bs yhi krna h.l am a big fan of yours sir!
जवाब देंहटाएंDear, u choose a good subject..
हटाएंLaw profession gives u a better opportunity to do work for our india..
And lastly i request to u plz help poor..and give justice.
अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं sir
जवाब देंहटाएंथैंक्स सर जानकारी देने के लिए
जवाब देंहटाएंHaa sir mai aapke baat se agree hu ki lawyer ka goodwill ab kam hua hai, law graduates se bahut koi shaadi bhi nahi karna Chata hai ab samay badal gya hai, but Hume apna khoya hua goodwill wapas lana hoga
जवाब देंहटाएंNce....sir..
जवाब देंहटाएंGreat sir
जवाब देंहटाएंसर आपका बहुत बहुत आभार अधिवक्ता दिवस को हमारे अंदर कुछ इस कदर घोलने के लिये!
जवाब देंहटाएं"ग्यान की अतुलनीय प्रतिमा"
जवाब देंहटाएंहमारे जोशी सर को बहुत बहुत बधाई
Wow Sir........ बहुत ही अच्छा और ज्ञानवर्धक है......हमें ज्ञान और मार्गदर्शन देने के लिए धन्यवाद��
जवाब देंहटाएंखूप छान लिहले आहे सर आपण , मी जळगाव महाराष्ट्र मध्ये राहतो व आपले सर्व विडिओ बघतो व मला आपले विडिओ खूप आवडतात thank you
जवाब देंहटाएंHappy advocate day ..thanku sir ji
जवाब देंहटाएंSir Aapko annant badhai.
जवाब देंहटाएंReally very nice!
जवाब देंहटाएंSir I want to reading in LLB but my age 26+ so it is beneficial for me.
सीखना, सीखाना और लिखना लगातार जारी है.
जवाब देंहटाएंआप की सबसे प्रेरणादायक बातों में से एक......
धन्यवाद सर
Sir, im a student of BA.LL.B
जवाब देंहटाएंHappy Advocate day u too
Plz share difference 299 and 300 of ipc
Ur video i uploaded but we do not understand from that video.
What is the main difference...please provide 1 lecture..
Thank you very much sir...aapki research sach m bahut hi shaandar h.m bhi aapke hi jesa bnana chahta hu.
जवाब देंहटाएंThank you very much sir...aapki research sach m bahut hi shaandar h.m bhi aapke hi jesa bnana chahta hu.
जवाब देंहटाएंThanks sir..... Are you great leader in legal field!
जवाब देंहटाएंसर आपको विनम्र पुर्वक प्रणाम और साथ ही बिते हुए अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।सर मैं बीए-एलएलबी छठे सत्र का छात्र हूं। अधिवक्ता के स्तर को आप बहुत ही गहराइयों से इन शब्दों के साथ बताया जो बहुत ही कम लोग जानते थे।सर आपको बहुत बहुत धन्यवाद। ईश्वर की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आगे भी मार्गदर्शन करते रहे।
जवाब देंहटाएंAbhishek Vishwakarma from Prayagraj
जवाब देंहटाएंSir thanks
जवाब देंहटाएंSir
जवाब देंहटाएंआपके दुआरा दी गई जानकारी बक्यी अमूल्य है इस सब के लिए हम किन सब्दो में आपका सुकरिया करू बही काम है ।
आपकी ये पहल समाज में गिरते शिक्षा के स्तर के लिए एक नई पहल साबित हो मैं यही कामना करता हूं
धन्यवाद
गिरना और उठना तो एक सिक्के के दो पहलु है सर जी..हमारे समाज में ये प्रथा वर्षों से चली आ रही है कि सभी का नज़रिया अलग अलग है कुछ लोग इसी वकालत में महारथ हासिल की हुई है तो कुछ लोगो इसी वक़ालत ने इसका स्तरगिरा केरखा है लेकिन ये हम सभी वकीलों की जिम्मेदारी है हम अपने प्रोफेशन के लिए इतने कॉंफिडेंट हो की लोगो की सोच बदल सके.ताकि आगे आने वाले समय में वकीलों को वही सम्मान मिले जिनके वे हकदर है|अधिवक्ता दिवस की सभी अधिवक्ताओ को हार्दिक शुभकामनाये. "डिग्रीयां तो शिक्षित खर्चो की रसीदें मात्र है वास्तविक शिक्षा तो वही है जो आचरण से झलकती है"
जवाब देंहटाएंसुपर जोसी जी।
जवाब देंहटाएंमुझे बहुत अच्छा लगा जी ,आपके विचार बहुत ऊँचे हे।
Bhut accha likha h sir apne...genious.
जवाब देंहटाएंWaise to me comptions ki tyari kr rha hu but mughe apse bhut kuch shikne ko milta h..i have seen yours all video.
Thanks sir
Thanks sir
जवाब देंहटाएंSuper lines sir
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