“ले चल मुझे भुलावा दे कर मेरे नाविक धीरे-धीरे
जिस निर्जन में सागर लहरी, अम्बर के कानों में गहरी
निश्चल प्रेम कथा कहती हो तज कोलाहल की अवनि रे”
निश्चल प्रेम कथा कहती हो तज कोलाहल की अवनि रे”
- जयशंकर प्रसाद
सुबह के 9.00 बज रहे हैं....सुबह 6.00 बजे जागने वाला मैं अब तक सोया पड़ा हूँ….. आँख खोलता हूँ तो पलकें भारी लगती हैं ... शायद कल शाम का नशा उतरा नहीं है..... ये गीत और
कविता का खुमार है उतरने में समय लगेगा.... न ही उतरे तो ठीक है...... खुमार के इस माध्यम के बारे में विभिन्न
विद्वानों ने बहुत कुछ कहा है...
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के
अनुसार जब कवि "भावनाओ
की प्रसव" से गुजरते है तो कविताए प्रस्फूटित होती हैं । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का एक निबंध कभी पढ़ा था जिसका शीर्षक है "कविता क्या है ?" इसमें उन्होंने कविता को "जीवन की अनुभूति" कहा है।
आचार्य विश्वनाथ का कहना है, “वाक्यम् रसात्मकं काव्यम्” यानि रस की अनुभूति करा देने वाली वाणी काव्य है। तो पंडितराज
जगन्नाथ का मानना है , “रमणीयार्थ-प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्” यानि सुंदर अर्थ को प्रकट
करने वाली रचना ही काव्य है। वहीँ पंडित अंबिकादत्त व्यास का मत है, “लोकोत्तरानन्ददाता प्रबंधः काव्यानाम् यातु” यानि लोकोत्तर आनंद देने
वाली रचना ही काव्य है। आचार्य श्रीपति के शब्दों में -
“शब्द अर्थ बिन दोष गुण, अंहकार रसवान
ताको काव्य बखानिए श्रीपति परम सुजान”
ताको काव्य बखानिए श्रीपति परम सुजान”
संस्कृत के विद्वान आचार्य भामह के अनुसार
"कविता शब्द और अर्थ का उचित मेल" है। "शब्दार्थो सहितों
काव्यम्" | महादेवी वर्मा ने कविता का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहा कि -
"कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है।"
कल की
शाम इस साहित्य यज्ञ का आयोजन किया गया “रंग देस” के नाम से | कौटिल्य एकेडमी के toppers को सम्मानित करने के साथ ही युवा
पीढ़ी को साहित्य की इस विधा से से परिचित करवाना इस आयोजन का उद्देश्य था........ मंच
पर कविता तिवारी जी (अद्भुत कवियित्री ) से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा “मैं कुछ
समय पहले ही यहाँ आई थी, इसी सभागृह में आयोजन हुआ था पर न तो इतने श्रोता थे और
न ही इतना जोश |" कार्यक्रम जिसका आयोजन कौटिल्य एकेडमी के बैनर तले किया
गया था की सफलता के पीछे कई कारक थे –
प्रथम – अग्रज श्रीद्धांत जोशी सर का अद्भुत प्रबंधकीय कौशल.... जब कार्यक्रम
की रूप रेखा बनाई गई थी उसी समय उनके मस्तिष्क में एक कार्य योजना थी कि इसे कैसे
सफल बनाना है... उन्हें पता होता है कि कौन सा काम किसे सौंपना है और बस फिर सब
आसान हो जाता है.... वो अपने आप में ही एक आईआईएम हैं....
द्वितीय – भाई विनीत शुक्ल द्वारा चुने गए अद्भुत रचनाकार --
शुरुआत भाई निवेश साहू के काव्य पाठ से
हुआ और कहते हैं न “माहौल लूट लेना” निवेश ने वही किया.... निवेश की एक ग़ज़ल की पंक्तियों "जाओ कोई तारा वारा नहीं गिरता | हम ही छत से जुगनू फेंका करते थे |" के बाद दस मिनट तक
तालियाँ ही बजती रहीं ..... ये था आगाज़....
फिर अनुज रचित दीक्षित ने समा बाँधा...... बहुत तालियाँ और वाह वाही बंटोरी | लेकिन मुझे लगता है की रचित जितना बुद्धिमत्ता
पूर्ण लिखते हैं उस हिसाब से तालियाँ कम थीं....... मुझे याद आता है जब पहली बार
मैंने रचित को live सुना था तो उनकी एक कविता पर टिप्पणी करते हुए मैंने कहा था कि
ये कुछ अधूरी मालूम पड़ती है.... विद्वान कवि रचित ने मुझे वो कविता भेजी और कहा
भैया बताइये इसमें क्या सुधार कर सकता हूँ ??.... तब मैंने जवाब में लिखा था कि मैं कविता , साहित्य, गीत या ग़ज़ल का जानकार नहीं हूँ
.... अपितु ये कहना भी गर्वोक्ति होगी की मैं कविता या साहित्य की समझ भी रखता
हूँ.... मैं तो केवल साहित्य प्रेमी हूँ मैं विद्वानों को क्या सीख दूँ.....
फिर धीरज चौहान .... मेरे प्रिय गीतकार अमन
और युवा शायर माध्यम सक्सेना ने अपना जादू बिखेरा.... इन लोगों को पूरी रात
सुना जा सकता है... एक रोज़ तो देर रात तक मैं अमन को you tube पर सुनता रहा और आधी
रात के बाद जब मैंने अमन को मेसेज भेजा "अमन यू आर ग्रेट" .... भाई जाग रहा था मानो
मेरे ही मेसेज की प्रतीक्षा कर रहा हो ... तुरंत ही रिप्लाई आया .......
कविता तिवारी तो अपने आप में ही अद्भुत हैं उन्हें you tube पर खूब सुना है.... कल के
कार्यक्रम में वो पढ़ कम रही थीं और तालियाँ ज्यादा आ रहीं थीं... वस्तुतः तालियों
के कारण उन्हें पढने का अवसर ही नहीं मिल रहा था.... अद्भुत.....
तृतीय : My FM और कौटिल्य टीम का ग़ज़ब का समन्वय...... मैनेजमेंट की पूरी
ज़िम्मेदारी भाई सुनील तिवारी ने हर्षदीप खनुजा के साथ अपने कंधों पर ले रखी थी... हम सुबह के 7 बजे
से संपर्क में थे...... दोपहर 12:30 बजे सुनील तिवारी सर का कॉल आया बोले , “सर मौसम ख़राब हो
गया है... बारिश हो रही है क्या करें??” मैंने कहा कार्यक्रम के पहले बंद हो
जायेगी और कार्यक्रम शानदार होगा भरोसा रखो..... ग़ज़ब की ऊर्जा के साथ भाई सुनील
तिवारी व टीम ने हजारों श्रोताओं को संभाला.... कार्यक्रम की सफलता के लिए लिए MY FM के विनोद जी, आकाश जी, RJ नवनीत , RJ अंजलि और टीम
कौटिल्य के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं.....
अंतिम : last but not the least..... डॉ कुमार विश्वास का जादू..... कुमार
जी के बारे में इतना कुछ लिखने को है कि शायद एक किताब लिखी जा सकती है .... उनका
होना ही किसी भी कार्यक्रम के सफलता की
गारंटी है.......
बकौल "खालिद" साहब :
हर गोशा गुलिस्ताँ था
कल रात जहाँ मैं था
इक जश्न-ए-बहाराँ था
कल रात जहाँ मैं था
नग़में थे हवाओं में
जादू था फ़िज़ाओं में
हर साँस ग़ज़लख्वाँ था
कल रात जहाँ मैं था
- मनमोहन जोशी "मन"
2 टिप्पणियां:
अद्भुत सर।
Thanx Ajeet... keep reading..
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