Diary Ke Panne

बुधवार, 11 जुलाई 2018

छुआछूत.....







                            आज एक लेक्चर के दौरान अस्पृश्यता पर चर्चा चल पड़ी. एक स्टूडेंट ने पूछा, "सर, आपके अनुसार भारतीय समाज में छुआछूत का आधार क्या रहा है?"  मैंने स्टूडेंट्स को समझाते हुए कहा कि अगर आप नया साहित्य पढ़ेंगे  या सौ – दो सौ वर्षों के इतिहास पर नज़र डालेंगे तो यह पढ़ने को मिलेगा कि हमारे देश में जाति आधारित छुआछूत थी.

                         बाबा साहब आम्बेडकर ने भी हिन्दू समाज की इसी छुआछुत रुपी कुरीति से तंग आकर अपने पांच लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था. लेकिन सिविल अधिकार प्रोटेक्शन एक्ट की धारा तीन पढ़लें या सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर नज़र डालें तो ये पता चलता है कि बौद्धों को भी हिन्दू ही माना गया है. 
    
                           अक्सर जातिवाद, छुआछूत और दलित वर्ग के मुद्दों को लेकर धर्मशास्त्रों को दोषी ठहराया जाता रहा  है, लेकिन यह असत्य है. प्राचीन ग्रंथों की ग़लत व्याख्याओं के कारण ही ऐसा हुआ है. कुछ लोग जातिवाद की राजनीति करना चाहते हैं इसलिए  जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देकर समाज में दीवारें खड़ी की गई हैं.

                         दलितों का 'दलित' नाम किसी धर्म शास्त्र में पढ़ने को नहीं मिलता. हरिजन, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति ये सब प्रचलित नाम भी किसी धर्म शास्त्र में पढ़ने को नहीं मिलते. ये सभी नाम पिछले 70 वर्षों की राजनीति की उपज है. और इससे पहले जो नाम दिए गए थे वह सैकड़ों वर्षों की गुलामी की उपज हैं.

                         शुरुआत में छुआछूत कर्म आधारित ही था पता नहीं कब कैसे इसे जाति विशेष के साथ जोड़ दिया गया. मैं तो कबीर की तरह अनुभव जन्य बातें करता हूँ, लेकिन हाँ मैंने “मसि कागद” भी छुआ है और बहुत कुछ पढ़ा भी है. ऐसा ही एक अनुभव मेरे बचपन का है जो आपसे बांटना चाहता हूँ शायद इससे आपको छुआछूत के बारे में कुछ अनुमान लगे. 
           
                      मुझे याद आता है जब हम छोटे थे और संयुक्त परिवार में रहते थे तो हमारे यहाँ कई नियम कायदे थे. हम जब-तब अछूत हो जाते थे. बाल कटवा कर आये हों तो, किसी की अंतिम क्रिया में शामिल हो कर आये हों तो, अस्पताल में किसी से मिल कर आये हों या शौचालय जा कर आये हों तो. हम तब तक अछूत होते थे जब तक हम नहाकर कपड़े  बदल कर नहीं आ जाते. हमें घर में घुसने नहीं दिया जाता था. क्या हमारी जाति बदल जाती थी या हमारा धर्म बदल जाता था??? नहीं केवल कुछ कर्म ही बदलते थे.

                               बहरहाल अब ये सारी बातें पूरी तरह से बेमानी हो गई हैं. कर्म, धर्म और जाति किसी भी आधार पर छुआछूत का समर्थन नहीं किया जा सकता. अब तो हम अटैच लेट बाथ वाले घर में रहते हैं. टॉयलेट के साथ ही लगा हुआ पूजा घर है, ऐसे में यही समझना मुश्किल हो गया है कि शंख की आवाज़ कहाँ से आ रही है.    

- मनमोहन जोशी 

4 टिप्‍पणियां:

  1. अगर सभी भारतीयों की सोच इस तरीके की हो जाए तो शायद भारत से छुआछूत जैसी कुरीतियों मिट सकती है।
    लेकिन अगर राजनेता धर्म, जाति, छुआछूत आदि पर राजनीति करते रहेंगे तब तक सभी लोग हिंदू, मुस्लिम, मे ही सिमट कर रेह जाएँगे ओर भारतीय होने पर गर्व महसूस नहीं करेंगे।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. क्या आपको अपने बिलों का भुगतान करने, घर खरीदने, पुनर्वित्त या कार खरीदने के लिए एक नया व्यवसाय, व्यक्तिगत ऋण बनाने के लिए तत्काल ऋण की आवश्यकता है ?? आदि।
      खोने के डर के बिना एक प्रसिद्ध ऋणदाता से संपर्क करें। हम 3% ब्याज पर वित्तीय ऋण की जरूरत वाले लोगों को ऋण प्रदान करते हैं। हमारी ऋण सेवा के बारे में आपके त्वरित और सुविधाजनक ऋण निर्माण के लिए आज हमसे संपर्क करें।
        नीचे दिए गए विवरणों में से किसी एक के साथ हमसे संपर्क करें।
      ईमेल: financial_creditloan@outlook.com






      क्या आपको तत्काल ऋण की आवश्यकता है? जानकारी के लिए ईमेल के माध्यम से हमसे संपर्क करें
      । ईमेल: financial_creditloan@outlook.com

      हटाएं
  2. Good...
    यह विषय सचमुच राजनीति का ही है ।
    मुजे याद है, जब मुजे नौकरी मिली तब एक लड़की बार-बार बोलती थी, मैं SC हूँ पर जनरल सीट पर पास हुई हु । बार बार वो इस बात को कहती थी, वो उसका अहंकार था या कुछ ओर, ये नही पता..पर इतना समज आया कि SC या ST या ऐसा भी सब अलग अलग रहता होगा ।
    जब कि स्कूल में तो मुजे इतना ही पता था कि जो पिछड़े हुए है उनको सरकार स्कॉलरशिप देती है, पर इतना सब नही पता था कि ये जाती आधारित होता होगा ।
    शहरों में तो मैंने बहोत पैसेवालें लोगो को भी स्कॉलरशिप लेते हुए देखा ।
    तो...ये सब जाति आधारित ही है, जब कि मिलना उसे चाहिए जो सचमुच पिछड़े हुए है । आर्थिक रूप से वो पढ़ाई का भी खर्च नही कर सकता हो, उसको मिलना चाहिए ।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या आपको अपने बिलों का भुगतान करने, घर खरीदने, पुनर्वित्त या कार खरीदने के लिए एक नया व्यवसाय, व्यक्तिगत ऋण बनाने के लिए तत्काल ऋण की आवश्यकता है ?? आदि।
    खोने के डर के बिना एक प्रसिद्ध ऋणदाता से संपर्क करें। हम 3% ब्याज पर वित्तीय ऋण की जरूरत वाले लोगों को ऋण प्रदान करते हैं। हमारी ऋण सेवा के बारे में आपके त्वरित और सुविधाजनक ऋण निर्माण के लिए आज हमसे संपर्क करें।
      नीचे दिए गए विवरणों में से किसी एक के साथ हमसे संपर्क करें।
    ईमेल: financial_creditloan@outlook.com






    क्या आपको तत्काल ऋण की आवश्यकता है? जानकारी के लिए ईमेल के माध्यम से हमसे संपर्क करें
    । ईमेल: financial_creditloan@outlook.com

    जवाब देंहटाएं