Diary Ke Panne

गुरुवार, 12 जुलाई 2018

द कोर्ट रूम जीनियस.....




                        यदि कोर्ट, वकील और कोर्ट रूम पर कोई बेहतरीन किताब पढ़नी हो तो वह  है कोर्ट रूम जीनियसजिसे सोली सोराबजी ने लिखा है और दूसरी किताब है नानी ए. पालकीवाला- ए लाइफजिसके लेखक एम. वी. कामथ हैं. दोनों किताबों में एक बात समान है. वह यह की दोनों ही किताबें महान अधिवक्ता नानी पालखी वाला की जीवनी है.

                        पालकी वाला के द्वारा बहस किये गये कई मुकदमों में,गोलक नाथ का मामला जिसमें संसद की शक्तियों पर रोक लगा दी गई थी और केशवानन्द भारती का मामला जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद, संविधान के मूलभूत ढाँचें में परिवर्तन नही कर सकती है, महत्वपूर्ण हैं. दोनों ही मामलों में पालकीवाला ने याचिका कर्ता  की और से पैरवी की थी और मूल अधिकारों को स्थापित करने में महती भूमिका निभाई थी.   

                        नानी पालकीवाला पारसी “पारसी” थे दुनिया के सबसे पुराने एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है. इसकी स्थापना ज़रथुस्त्र ने प्राचीन ईरान में लगभग 3500 साल पहले की थी. एक हजार वर्षों तक यह दुनिया का सबसे ताकतवर धर्म रहा. लेकिन आज की तारीख में पारसी धर्म दुनिया का सबसे छोटा धर्म है. सबसे दुखद यह है कि पारसी अपने ही देश में अल्पसंख्यक और उपेक्षित हो गए हैं.

                     प्राचीन समय में साइरस और डेरियस जैसे पारसी राजाओं ने परोपकार और अच्छे कर्मों को अपने शासन का आधार बनाया. अरबों ने उनकी दयालुता का फायदा उठाते हुए ईरान में प्रवेश किया और इसके बाद पारसियों पर खूब अत्याचार हुए. वे अपने ही देश में अल्पसंख्यक बनकर रह गए जैसे कश्मीर में कश्मीरी पंडित. पारसी  लोगों का बड़े स्तर पर इस्लाम में धर्मांतरण कर दिया गया.

                   इस्लामिक क्रान्ति के दौर में कट्टरवादीयों ने तेहरान में पारसियों के फायर टेंपल पर धावा बोला और ज़रथुस्त्र की मूर्तियों को तोड़ दिया. फायर टेंपल में पारसी धर्म के लोग ईश्वर के प्रतीक रूप में अग्नि की पूजा करते थे. पारसियों के धर्मस्थलों से ज़रथुस्त्र के चित्र को हटाकर नीचे फेंक दिया गया और उसकी जगह पर अयातुल्लाह अली खुमैनी की तस्वीरें लगा दी गईं. स्कूलों और कॉलेजों की दीवारें ईरान के नए नेताओं अयातुल्लाह खुमैनी की तस्वीरों और कुरआन की आयतों से पट गईं.

                   सातवीं सदी ईस्वी तक आते-आते फारसी साम्राज्य अपना पुरातन वैभव तथा शक्ति गँवा चुका था. जब अरबों ने इस पर निर्णायक विजय प्राप्त कर ली तो अपने धर्म की रक्षा हेतु अनेक जरथोस्त्री धर्मावलंबी समुद्र के रास्ते भाग निकले और उन्होंने भारत के पश्चिमी तट पर शरण ली. यहाँ वे 'पारसी' (फारसी का अपभ्रंश) कहलाए. आज इनकी आबादी विश्वभर में मात्र सवा से डेढ़ लाख के बीच है. इनमें से आधे से अधिक भारत में हैं.

                   पारसी लोग अपनी बुद्धिमत्ता के कारण जाने जाते हैं और ऐसे ही एक व्यक्तित्व जिसने भारतीय न्याय व्यवस्था को मजबूती प्रदान की और भारत में मूल अधिकारों का मार्ग प्रशस्त किया, विधि जगत उन्हें नानी भाई पालकीवाला के नाम से जानता है.  पालकी वाला के बारे में कहा जाता है कि जब वे सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते थे तो जज उन्हें बड़े ध्यान से सुनते थे की आज ये कौन सी नयी दलीलें लेकर आये हैं? 

                    उनके द्वारा लिखी गई एक किताब आज का भारतमें वो लिखते हैं: अब मेरे मन-मास्तिष्क में केवल एक ही विषय है कि मैं अपनी आत्मकथा लिख दूँ. इसमें मैं अपने जीवन की कुछ ऐसी घटनाएं दर्ज करना चाहूँगा जिनकी विवेक तथा विज्ञान द्वारा व्याख्या नहीं की जा सकती.

                     पालकी वाला, जीवन में आत्मज्ञान को बड़ी अहमियत देते थे उन्होंने लिखा है: आत्मज्ञान जो मानवता को उन्नति का मार्ग प्रर्दिशत करता रहा है, मनुष्य के भीतर शांत पड़ा हुआ है".

                      उन्होंने अंतर्ज्ञान के सम्बन्ध में एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है, “श्री गोविंद मेनन सन् 1968 में कांग्रेस सरकार में विधि मंत्री थे. उन्होंने मुझे भारत का अटॉर्नी जनरल का पदभार संभालने के लिए बाध्य किया. काफी हिचकिचाहट के बाद मैं राजी हो गया और जब मैं दिल्ली में था, तो अपनी स्वीकृति भी उन्हें भेज दी. उन्होंने मुझे बताया कि इसकी अगले दिन घोषणा कर दी जाएगी. मैं प्रसन्न था कि इस विषय में अनिर्णय के कष्टदायक क्षण समाप्त हुए. उस रात मैं गहरी नींद में सोने के लिए बिस्तर पर चला गया. परंतु अचानक सुबह तीन बजे, बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, नींद खुल गई.  एक शक्तिशाली विचार मेरी चेतना मैं तैरने लगा कि मैंने गलत निर्णय लिया है तथा इसे तुरंत बदलना चाहिए. अगली सुबह मैंने विधि मंत्री को अपना निर्णय बदलने की सूचना दी तथा इसके लिए क्षमा मांगी. फिर आनेवाले वर्षों में जब मुझे जनसाधारण की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कई बड़े मुकदमों की पैरवी करने का अवसर मिला तो यह निर्णय सही साबित हुआ हुआ. इन मुकदमों ने भारत के संवैधानिक कानून, बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969), प्रिवी पर्स (1970), मौलिक अधिकारों से सम्बंधित विभिन्न मामले (1972-73),  को आकर प्रदान किया”.

                         पालकीवाला ने सारी पढ़ाई भारत में ही की. वे कभी बाहर पढ़ने नही गये. उन्हें हमेशा लगता था कि भारत में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं है. वे कहते है:- “It is not where you learn but what you learn that makes for success.

                     आदरणीय न्यायविद भार्गव साहब और मैं जब कभी पालकी वाला को लेकर कोई चर्चा करते हैं तो  हमेशा एक घटना का ज़िक्र होता है "एक बार जब नानी पालकी वाला को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने की पेशकश की गई तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा था, “ I can speak nonsense for hours but I can’t hear nonsense for a second.” अर्थ ये कि “ मैं घंटों बकवास कर सकता हूँ लेकिन एक सेकंड के लिए भी बकवास नहीं सुन सकता”.
 
  ✍️MJ

24 टिप्‍पणियां:

  1. Thank u so much sir for sharing such informations...keep it up������

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    उत्तर
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    2. सर कृपया करके ऐसे ही विचार साझा करते रहे अपने ब्लॉग के माध्यम से शुक्रिया सर

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  3. It is a very inspirational story but the last line is🤣🤣🤣🤣omg🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️right🤭🤭

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  4. Thank you sir I motivate your line and thought really sir you are garate ...

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  5. Thank u very mouch sir for great inspiration good positive info.for all the students 👌👍💐🙏 specially I like last two lines "I can speak nounsence for hours but I can't hear nouncense for a seconds,"have a nice day sir 🙏🇮🇳Jai hind🇮🇳🙏

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  6. Sir hume bhi aatmgyan hetu kuchh pustaken bataiye jisse humare andar bhi aatm gyan ki jagriti ho sake hum bhi ek bahut acche vakta ban sake.
    Hum bhi jab aapki tarah kahi khade hoke bole to log hume awak rah ke sunte rahe
    Dhanyavad

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  7. Aaj bhi agar bataya par logo ka bharosa hai to sirf in jaise kuchh gine chune logon ki bajah se aur MJ sir aise logon se hamen avgat karate han MJ sir ko bahut bahut dhanyavad wo hamen aise hi mahtavpurn jankari dete rahe dhanabhav sir

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  8. #JuryCourt कानून की मांग क्यों nhi करते हैं?

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  9. Thank you so much sir ,hume itne ache se sikhane or samjhane ke liye 🙏

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  10. Thanks you sit ji book chiye 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🤗🤗🍫🍫👍👍👍👍👏👏👏

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  11. बेहतरीन लेख/ जानकारी शुक्रिया सर 🌷

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