Diary Ke Panne

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

सफरनामा – “दी नंबर वन ब्रांड ऑफ़ इंडिया” और “कौटिल्य”







                       कौटिल्य एकेडमी, एक संस्था जो बन चुकी है सफलता का पर्याय.संस्था जो विश्वास करती है परिश्रम आपका,मार्गदर्शन हमारा,व सफलता सबकीके ध्येय वाक्य पर. इस संस्था के ब्रांड बनने की यात्रा शुरू होती है 2003 से ही जब इसकी नींव रखी गई थी. और संस्था का नामकरण किया गया था महान विद्वान "कौटिल्य" के नाम पर. 
                 
                         कौटिल्य, चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया. उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्रएक महान ग्रंन्थ है. अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है. पिछले वर्ष दिल्ली की एक संस्था ने स्वयं द्वारा प्रकाशित पुस्तक कौटिल्यमुझे प्रेषित की थी. इस पुस्तक के लेखक हैं रॉजर बोएस्चे  (Roger Boesche)  जिसके माध्यम से कौटिल्य को थोडा बहुत जान पाया.
               
                          इस किताब के अनुसार कौटिल्य का असली नाम "विष्णुगुप्त" था. कई संस्कृत ग्रंथों में इनका नाम चाणक्य पढने में आता है.बौद्ध ग्रंथो में भी इनका उल्लेख बराबर मिलता है. बुद्धघोष द्वारा लिखित विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का जीवन वृत्तांत मिलता है.
     
                        कौटिल्य के जीवन के संबंध में प्रामाणिक तथ्यों का अभाव है. उनके जन्मस्थान के संबंध में भी मतभेद पाया जाता है. कुछ विद्वानों के अनुसार कौटिल्य का जन्म पंजाब के "चणक" क्षेत्र में हुआ था, जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उनका  जन्म दक्षिण भारत में हुआ था. कई विद्वानों का यह मत है कि वह कांचीपुरम के रहने वाले द्रविड़ ब्राह्मण थे जो जीविकोपार्जन की खोज में उत्तर भारत आये थे. कुछ सन्दर्भों में यह उल्लेख मिलता है कि केरल निवासी विष्णुगुप्त तीर्थाटन के लिए वाराणसी आये था, जहाँ उनकी पुत्री खो गयी. वह फिर केरल वापस नहीं लौटे और मगध में आकर बस गए. इस प्रकार के विचार रखने वाले विद्वान उन्हें केरल के कुतुल्लूर नामपुत्री वंश का वंशज मानते हैं. कई विद्वानों ने उन्हें मगध का ही मूल निवासी माना है. कुछ बौद्ध साहित्यों ने उन्हें तक्षशिला का निवासी बताया है.

                         कौटिल्य ने कहीं भी अपनी रचनाओं में मौर्यवंश या अपने मंत्रित्व के संबंध में कुछ नहीं कहा है. परंतु मना जाता है कि "अर्थशास्त्र" में कौटिल्य ने जिस विजिगीषु राजा का चित्रण प्रस्तुत किया है, निश्चित रूप से वह चन्द्रगुप्त मौर्य ही है.
       
                        कुछ पाश्चात्य विद्वानों ने कौटिल्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नवाचक चिह्न लगा दिया है. विन्टरनीज, जॉली और कीथ के मतानुसार कौटिल्य नाम प्रतीकात्मक है, जो कूटनीति का प्रतीक है. जॉली ने तो यहाँ तक कह डाला है कि "अर्थशास्त्र" किसी कौटिल्य नामक व्यक्ति की कृति नहीं है. किन्तु शामाशास्त्री और गणपतिशास्त्री दोनों ही विद्वानों ने  पाश्चात्य विचारकों के मत का खंडन किया है. दोनों का यह मत है कि कौटिल्य का पूर्ण अस्तित्व था, भले ही उनके नामों में मतांतर पाया जाता हो. वस्तुतः इन तीनों पाश्चात्य विद्वानों के द्वारा कौटिल्य का अस्तित्व को नकारने के लिए जो बिंदु उठाए गए हैं, वे अनर्गल एवं महत्त्वहीन हैं. पाश्चात्य विद्वानों का यह कहना है कि कौटिल्य ने इस बात का कहीं उल्लेख नहीं किया है कि वह चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में अमात्य या मंत्री थे, इसलिए उन्हें  "अर्थशास्त्र" का लेखक नहीं माना जा सकता है. यह बेतुकी बात मालूम पड़ती है. कौटिल्य के कई सन्दर्भों से यह स्पष्ट हो चुका है कि उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता से नंदवंश का नाश किया था और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी.

                        कौटिल्य के शिष्य कामंदक ने अपने नीतिसारनामक ग्रंथ में लिखा है कि विष्णुगुप्त चाणक्य ने अपने बुद्धिबल से अर्थशास्त्र रूपी महोदधि को मथकर नीतिशास्त्र रूपी अमृत निकाला. चाणक्य का "अर्थशास्त्र" संस्कृत में राजनीति विषय पर एक विलक्षण ग्रंथ है.  "मुद्राराक्षस" के रचनाकार विशाखादत्त ने चाणक्य को कुटिलमति (कौटिल्य: कुटिलमतिः) कहा है. बाणभट्ट ने कौटिल्य अर्थशास्त्रको "निर्गुण" तथा "अतिनृशंसप्रायोपदेशम्" (निर्दयता तथा नृशंसता का उपदेश देने वाला) कहकर संबोधित किया है.

                        बहरहाल  प्रशासन और राजनीति के इस विद्वान के नाम पर संस्था का नामकरण किया जाना सटीक मालूम पड़ता है.और शुरू होता है सफलता का सफर.पहले ही बैच से अठारह विद्यार्थियों का चयन मनोबल को ऊंचा करता है. लोग जुड़ते जाते हैं और कारवां बनता जाता है. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में कौटिल्य एकेडमी के विद्यार्थी टॉप रैंक पर आते हैं और सिलेक्शन रेश्यो वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही चला जाता है. वर्ष 2008 में संस्था को ISO 9008:2001 सर्टिफिकेट से नवाज़ा जाता है. फिर कैप्टेन ऑफ़ इंडस्ट्री अवार्ड,पिछले चार वर्षों से  लगातार एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड,टॉप थर्टी ब्रांड्स ऑफ़ इंडिया अवार्ड,नंबर वन कोचिंग इंस्टिट्यूट ऑफ़ MP & CG अवार्ड और ऐसे ही अनगिनत अवार्ड संस्था के मनोबल को ऊंचा करते रहते हैं.

                         लेकिन 24 सितम्बर 2017 को अमेरिका की संस्था  International Brand Consultancy Info Media Pvt. Ltd. द्वारा मुंबई के द लीला होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में  "कौटिल्य एकेडमी" को  नंबर वन ब्रांड ऑफ़ इण्डिया अवार्ड का दिया जाना  कई मायनों में ख़ास है. समारोह में उपस्थित अनगिनत सूर्यों (LIC, HDFC, ATLAS, Prestige, TATA) के मध्य अपनी दैदीप्यमान आभा पुंज के साथ कौटिल्य एकेडमी रुपी नवदीप की उपस्थिति गौरवान्वित करती है. यह अवार्ड आधिकारिक रूप से कौटिल्य एकेडमी को न केवल ब्रांड के रूप में स्थापित करता है बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भारत के नंबर वन ब्रांड के रूप में भी प्रस्थापित करता है.

                        "नंबर वन ब्रांड ऑफ़ इंडिया" अवार्ड परिचायक है टीम कौटिल्य के समर्पण का, यह परिचायक है कौटिल्य परिवार के प्रत्येक सदस्य के अथक प्रयास का, यह परिचायक है सशक्त प्रबंधन का, यह परिचायक है सामूहिक सकारात्मक प्रयास का, और विशेष कर यह परिचायक है उन अनगिनत अभ्यर्थियों के विश्वास का जिनकी सफलता को ही कौटिल्य एकेडमी ने अपनी सफलता माना है.


                     - मनमोहन जोशी (MJ)

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