Diary Ke Panne

रविवार, 14 जनवरी 2018

पतंगोत्सव की शुभकानाएं ....









                  कुछ दिनों से whats app में मेसेज आ रहे हैं की पतंग बाजी के क्या नुकसान हो सकते हैं... पर्यावरण और पंछियों को किस तरह से नुक्सान पहुँचता है. मांजे से कैसे पंछी कट जाते हैं आदि आदि... कुछ लोग तो चिकेन बिरियानी और मटन कबाब खाते खाते ऐसे अहिंसात्मक मेसेज फॉरवर्ड करते रहते हैं.
  
               बहरहाल पतंग उड़ाना मुझे भी बहुत पसंद है.  मैंने जीवन की पहली पतंग किस उम्र में उड़ाई ये मुझे नहीं पता ठीक वैसे ही दुनिया की पहली पतंग किसने बनाई और कहाँ उड़ाई गई इस बारे में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है. उपलब्ध तथ्यों से पता चलता है पतंग बाजी का इतिहास हजारों  वर्ष पुराना है और इसकी शुरुआत शायद चीन में हुई थी. चीन से निकल कर यह खेल विश्व भर में फैला ऐसी मान्यता है.
  
                वर्तमान समय में भी चीन में पतंगबाजी का महत्त्व बना हुआ है . वहाँ प्रत्येक वर्ष 9 सितम्बर की तारीख को पतंगोत्सव  मनाया जाता है. अमेरिका में  भी रेशमी कपड़े और प्लास्टिक से बनी पतंगें उड़ाई जाती हैं. वहाँ हर वर्ष जून के महीने में पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है. जापानी मान्यता के अनुसार पतंग उड़ाने से देवता प्रसन्न होते हैं. जापान में हर वर्ष मई माह में पतंगोत्सव मनाया जाता है. भारत में हर वर्ष 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन को पतंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
  
                जब मैं छोटा था तब बड़े भैया के साथ पतंग उड़ाता था. कई तरह के पतंग होते थे जैसे नागिन पतंग , भर्रा पतंग, लिपकी पतंग आदि. मांजा हम घर पर ही सूतते थे और अखबार की पतंग भी हम बना लेते थे. मांजा बनाने का अपना पूरा विज्ञान है और पतंग उड़ाने का भी. कमानी कैसी है और ज्योत कैसी बाँधी गई है इस बात का पूरा असर पतंग के उड़ने या न उड़ने पर पड़ता है, यह बात बड़े भैया से ही सीखी थी. कालांतर में जोधपुर में भी मैंने बहुत पतंग उड़ाई.    
  
               मेरे देखे पतंग बाजों की तीन केटेगरी होती है  पतंग उड़ाने वाले , पतंग लड़ाने वाले और पतंग लूटने वाले. मैं पहले तरह की  केटेगरी को बिलोंग करता हूँ . पेंच लड़ाना पतंगबाजी का एक खास हिस्सा है. साधारणतः लोगों का मानना है कि पतंग लड़ाने में (आम बोलचाल में पेंच लड़ाना) में वही जीतता है जिसका मांजा ज्यादा तेज़ हो. मेरे देखे यह एक भ्रम है. पेंच लड़ाने में कई चीज़ों का अहम् योगदान होता है जैसे: पतंग का संतुलित होनापतंगबाज़ का अनुभव, दूसरे की डोर काटने के लिए खुद की पतंग को खूब तेजी से अपनी ओर खींचते जाना या बहुत तेजी से ढील देते जाना और साथ में झटका या ठुनकी देना. डोर को फुर्ती से लपेटने वाले तथा ज़रूरत पड़ने पर निर्बाध रूप से छोड़ते जाने वाले असिस्टेंट की भूमिका भी इस समय बहुत ही ख़ास होती है. जैसे ही एक डोर कटती है, उसे थामने वाले हाथों को मालूम पड़ जाता है. पतंग की ख़ास बात यह है की वह हवा के विपरीत दिशा में ऊपर उठती है. पतंग का ऊपर उठना धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करता है . पतंग आमतौर पर हवा से भारी होती है, लेकिन हवा से हल्की पतंग भी होती है, जिसे 'हैलिकाइट' कहा जाता है. ये पतंगें हवा में या हवा के बिना भी उड़ सकती हैं.

              भारत में पतंग उड़ाने का शौक़ अति प्राचीन है. रामचरितमानस में महाकवि तुलसीदास ने ऐसे प्रसंगों का उल्लेख किया है, जब श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी जैसे 'बालकांड' में बाबा तुलसी लिखते हैं :


"राम इक दिन चंग उड़ाई.
 इंद्रलोक में पहुँची जाई..
  
जासु चंग अस सुन्दरताई.
 सो पुरुष जग में अधिकाई.."

अर्थात : श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ाने लगे. वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुँची. उस पतंग को देख कर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हुई. उसने सोचा की जिसका पतंग इतना खूबसूरत है वह पुरुष कैसा होगा.


पतंगोत्सव की शुभकामनाएँ :


(c) मनमोहन जोशी 

4 टिप्‍पणियां:

  1. Very nice sir, I had been a regular reader of your blogs for a while. Your each and every word reflects the deep concept and sometimes I wonder as how you generate thoughts to pair them with multiple themes so brilliantly.As in this one the topic was kite, but still there couldn't have been better than this as it covered all from your experience,Japan, China and finally religion too....
    This is only possible with your hands Manmohan sir, Hats off.....

    You are truly extraordinarily gifted by Maa saraswati.
    Great job sir....

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  2. Dear Gaurav,

    Thanks a lot for your valuable comments.. My readers are my true inspiration. Keep reading.

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    1. Thanks Sir. Still I am confused which subject/ science leaves in your articles as it covered from Environment to autobiography,international culture ending in indian,material science to strategies, management to coordination and finally summing up to Ramcharitmanas. It clearly reflects a sound knowledge of every subject paired in words....

      हटाएं
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