Diary Ke Panne

शनिवार, 6 जनवरी 2018

काला दिन ......





                              कल इंदौर में जो कुछ भी घटा वो भीतर से झकझोर देने वाला है.. लेकिन इन सब का दोष भाग्य को दे देने और संवेदनाएं ज़ाहिर कर देने भर से ही इति श्री नहीं हो जायेगी. अगर ट्रैफिक रूल्स को लेकर हम 1 प्रतिशत भी ज्यादा समझदार हो सके तो बात बनेगी. पिछले दिनों एक समारोह में इंदौर शहर की मेयर श्रीमती मालिनी गौड़ जी से मुलाक़ात के दौरान मैंने उनसे कहा था कि स्वछता में तो इंदौर नंबर 1 बन गया है अब थोडा ट्रैफिक भी व्यवस्थित हो जाए तो बात बने. 

          सड़क हादसों और उनमें मरने वालों की बढ़ती संख्या के आंकड़ों ने लोगों की चिंता तो बढ़ाई ही है लेकिन एक ज्वलंत प्रश्न भी खड़ा किया है कि नेशनल हाइवे से लेकर राजमार्ग और आम सड़कों पर सर्वाधिक खर्च होने एवं व्यापक परिवहन नीति बनने के बावजूद ऐसा क्यों हो रहा हैनई बन रही सड़कों की गुणवत्ता और इंजीनियरिंग पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं. प्रधानमंत्री सड़क एप का एड देखिये, उसमें बताया जाता है कि  जहां कहीं भी आपको खराब सड़क दिखे उसका फोटो खिंच कर एप में डाल दें ... अगर ऐसा करने लगे तो कभी गंतव्य तक शायद ही पहुँच पायें .

           सड़क हादसों में मरने वालों की बढ़ती संख्या ने एक महामारी का रूप ले लिया है. एक रिसर्च के मुताबिक़ भारत में हर वर्ष  6700 बच्चे सड़क हादसे के शिकार होते हैं. हमें तय करना होगा कि अपने आप को कहां रोकना है. हम परिस्थितियों और हालातों को दोषी ठहराकर बचने का बहाना कब तक ढूंढते  रहेंगेप्रतिकूलताओं से लडऩे के ईमानदार प्रयत्न करने होंगे. अगर 15 साल पुरानी गाडी की स्टीयरिंग फ़ैल हो जाने के कारण या ड्राईवर के लापरवाही पूर्वक गाडी चालने के कारण एक्सीडेंट होता है तो इसके लिए भाग्य दोषी नहीं है. ये तो स्पष्ट हत्या का मामला है.... जिम्मेदारियां तय करनी होगी.
              सड़क दुर्घटनाओं पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं. पिछले वर्ष सड़क हादसों में हर घंटे 16 लोग मारे गए. पिछले दस साल की अवधि में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में साढ़े 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
            
             ज्यादातर मौतों का कारण रही है: तेज और लापरवाह ड्राइविंग, नए वाहनों की बढती संख्या, सड़क मार्गों की खस्ता हालत, नौसिखिए चालक. नशे में ड्राइविंग, लैक ऑफ़ ट्रैफिक एजुकेशन,आगे निकलने की होड़, ट्रक ड्राइवरों की अनियमित एवं लम्बी ड्राइविंग, तथा वाहनों की जर्जर दशा आदि. सवारी वाहनों में क्षमता से ज्यादा सवारियां बैठाना और मालवाही वाहनों में ओवर लोडिंग और जगह से ज्यादा रखी लोहे की सरियाँ इत्यादि भी सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण  हैं.
             विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 12.5 लाख लोगों की मौत होती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार  विश्वभर में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं. और मरने वालों में विशेष रूप से गरीब देशों के गरीब लोगों की संख्या में अविश्वसनीय रूप से वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक विशाल अंतर उच्च आय वाले देशों को कम और मध्य आय वाले देशों से अलग करता है.
            सड़क दुर्घटना से सुरक्षा के लिये देश के प्रत्येक नागरिक को अब जागरूक होना पड़ेगा, जिससे न केवल दुर्घटना में कमी आएगी बल्कि लोग दूसरो की मदद को आगे आयेंगे.  ट्रैफिक नियमों की जानकारी और सावधानी ही सड़क दुर्घटना से सुरक्षा की कुंजी हो सकती है. सड़क दुर्घटना से बचाव के लिये जागरूकता अत्यधिक आवश्यक है .
             मेरे देखे तीन तरह की शिक्षाओं को स्कूल एजुकेशन का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए: 1) यौन शिक्षा  2) विधिक शिक्षा और 3)यातायात शिक्षा. अकबर का बाप कौन था ये जानकारी  व्यावहारिक जीवन में किसी काम की दिखाई नहीं पड़ती. शायद यातायात नियमों की जानकारी से दुर्घटनाओं में कुछ कमी आये.

- (c) मनमोहन जोशी

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक दम सही बात कही यौन शिक्षा विधि शिक्षा तथा यातायात शिक्षा इन तीनो के अभाव में ही या इनके न होने से ही आकस्मिक मोते अपराध समाज का नैतिक पतन हो रहा है। सरकार के साथ साथ हम सब को परिवर्तन का हिसा बनना पड़ेगा तभी संभव हो पावयेगा।।।

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