Diary Ke Panne

रविवार, 11 फ़रवरी 2018

चोला माटी के हे राम......




                   intersteller फिल्म देखते हुए कुछ वर्ष पूर्व पढ़ी एक रिपोर्ट अनायास ही याद आ गयी. उसमें सैन डिएगो के एक खगोल शास्त्री ने कम्प्यूटर सिम्युलेशन के द्वारा सिद्ध किया था कि ब्रह्माण्ड एक अति विशाल मस्तिष्क की तरह काम कर रहा है और बढ़ रहा है. अद्भुत! पर यह विशाल  मस्तिष्क है किसका? क्या हम इसके नन्हे-नन्हें ब्रेन सेल्ज़ हैं जो विशाल मस्तिष्क के हिस्से हैं? अपनी पुस्तक थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग में स्टेफेन हॉकिंग्स ने भी कहा है की ब्रह्माण्ड और मस्तिष्क की संरचना एक समान है ... ऐसा तो नहीं की हम किसी महामानव के मस्तिष्क में ही हैं.

                 बहरहाल थोडा बहुत नाम या पैसा कमाकर अपने आप को महान समझने वाले मनुष्य की औकात क्या है ? मेरे देखे इस अनंत ब्रह्माण्ड में, अस्तित्व के असंख्य रूपों में से एक मनुष्य का भी है. लगभग 1900 वर्षों से वैज्ञानिक विश्व का आकार प्रकार मापने में लगे हुए हैं. सफलता आज तक नहीं मिली, शायद ही आगे मिले. आधुनिक खगोलविज्ञान क्लाडियस टालेमी की देन मानी जाती है. टॉलेमी से सैकड़ों वर्ष पहले आर्यभट्ट कह चुके थे कि सूर्य केंद्र है और पृथ्वी समेत अन्य ग्रह उसके इर्द-गिर्द घूम रहे हैं. नवीन थ्योरी इसे भी गलत सिद्ध कर चुकी है. नवीन सिद्धांत के अनुसार कुछ भी स्थिर नहीं है. सूर्य अपने सौर मंडल के ग्रहों के साथ गतिमान है.
   
               विश्व के निरंतर बढ़ते - फैलते रहने वाले स्वरूप को ब्रह्माण्ड की संज्ञा दी गई है. भारतीय परम्परा के इस शब्द का अर्थ है कि ब्रह्म का स्थूल रूप, विराट शरीर. ब्रह्म शब्द का अर्थ स्वयं भी विराट और वर्धमान है. अंग्रेजी में ब्रह्माण्ड के लिये कॉसमॉस शब्द आता है. जिसका अर्थ है – व्यवस्था. भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में प्रचलित सभी शब्दों का अर्थ निरन्तर बढ़ते, व्यवस्थित रूप से चलते और नियमों से संचालित अस्तित्व है.
 
              माना जाता है कि ब्रम्हांड की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सबसे सुसंगत सिद्धान्त डॉक्टर एलेन संडेज द्वारा दिया गया सिद्धांत है. संडेज के अनुसार विश्व ब्रह्माण्ड का जन्म 120 करोड़ वर्ष पूर्व एक प्रचंड विस्फोट से हुआ. जिसे बिग बेंग कहा जाता है. डॉक्टर संडेज के अनुसार विश्व ब्रह्माण्ड का विस्तार आने वाले 290 करोड़ वर्षों तक निरंतर होता रहेगा. विस्तार में निहित गुरुत्वाकर्षण का नियम अपने आप उस गति को विराम देगा. उसके बाद ब्रहमांड सिकुड़ने लगेगा, इसे ही बिग क्रंच कहा गया है. अर्थात् ब्रह्माण्ड अपने भीतर ही सिमट जायेगा.

                    यदि ब्रह्माण्ड के खरबों वर्षों की आयु के संदर्भ में मनुष्य के आयु की तुलना की जाय तो पता चलता है हम क्षणिक हैं. चलिए मनुष्य की औसत आयु 70 वर्ष मान लेते हैं.  यह 70 वर्ष कालमान के हिसाब से ब्रह्माण्ड वर्ष (480 करोड़ मानवीय वर्ष) के एक सेकेंड का करोड़वाँ हिस्सा होगा. मानव वर्ष की तुलना में यह आयु आँखों से नहीं दिखाई देने वाले सूक्ष्म जन्तुओं की क्षण भर में ही पूर्ण हो जाने वाली कई पीढ़ियों की आयु से भी कम है. अर्थात समय की दृष्टि से मनुष्य एक कोशीय जीव से भी कमतर आयु वाला प्राणी है. है न डरा देने वाला सच.

                     देवदत्त पटनायक जी से सुने एक आख्यान के अनुसार सम्राट विद्युत्सेन पृथ्वी को जीत लेने के बाद “भूवः” और “स्वः” लोक को जीतने के अभियान पर निकले. दोनों लोकों पर विजय प्राप्त करने के बाद वे इंद्र के पास पहुँचे व इंद्रा को तीनों लोकों पर विजय की सूचना दी. कहा विश्व ब्रह्माण्ड में मेरा स्थान सुनिश्चित किया जाये. तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने वाला सम्राट शायद ही पहले कभी हुआ है. इंद्र ने कहा कि तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने वाले को सुमेरु पर्वत पर अपनी यशोगाथा लिखने का अवसर दिया जाता है. सम्राट विद्युत्सेन आप भी वैसा ही करें. सम्राट घमंड से भरे हुए सुमेरु पर्वत पर यशगाथा लिखने के लिये गये. लाखों योजन क्षेत्र में फैले सुमेरु पर्वत पर विजय गाथा लिखने का अवसर सम्राट के लिये रोमांचित कर देने वाला था. लेकिन यह क्या ? पर्वत का कोई हिस्सा खाली नहीं था. विद्युत्सेन इंद्र से यह पूछने के लिये लौटे कि अपना नाम कहा लिखूँ तो उत्तर था किसी पूर्व चक्रवर्ती दिग्विजय सम्राट का नाम मिटा कर लिख दीजिये. विद्युत सेन चौंके. इंद्र ने उसका समाधान किया संकोच मत कीजिये आपके पहले भी कई राजाओं ने ऐसा ही किया है. आख्यान का अंत राजा विद्युत्सेन का दर्प तिरोहित होने के रूप में होता है और वह वापस चला जाता है. काहे का गुमान काया दो दिन की ( सॉरी क्षण भर की भी नहीं).

बकौल छतीसगढ़ी गीतकार गंगाराम शिवारे :

"चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा
, चोला माटी के हे रे.

द्रोणा जइसे गुरू चले गे,
करन जइसे दानी संगी
, करन जइसे दानी.
बाली जइसे बीर चले गे
, रावन जस अभिमानी.
चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा
, चोला माटी के हे रे.

कोनो रिहिस ना कोनो रहय भई आही सब के पारी,
एक दिन आही सब के पारी.
काल कोनो ल छोंड़े नहीं राजा रंक भिखारी,
चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा
, चोला माटी के हे रे.

भव से पार लगे बर हे ते हरि के नाम सुमर ले संगी,
हरि के नाम सुमर ले.
ये दुनिया माया के रे पगला, जीवन मुक्ती कर ले.
चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा
, चोला माटी के हे रे. "


(c) मनमोहन जोशी 

1 टिप्पणी:

  1. क्या आपको अपने बिलों का भुगतान करने, घर खरीदने, पुनर्वित्त या कार खरीदने के लिए एक नया व्यवसाय, व्यक्तिगत ऋण बनाने के लिए तत्काल ऋण की आवश्यकता है ?? आदि।
    खोने के डर के बिना एक प्रसिद्ध ऋणदाता से संपर्क करें। हम 3% ब्याज पर वित्तीय ऋण की जरूरत वाले लोगों को ऋण प्रदान करते हैं। हमारी ऋण सेवा के बारे में आपके त्वरित और सुविधाजनक ऋण निर्माण के लिए आज हमसे संपर्क करें।
      नीचे दिए गए विवरणों में से किसी एक के साथ हमसे संपर्क करें।
    ईमेल: financial_creditloan@outlook.com






    क्या आपको तत्काल ऋण की आवश्यकता है? जानकारी के लिए ईमेल के माध्यम से हमसे संपर्क करें
    । ईमेल: financial_creditloan@outlook.com

    जवाब देंहटाएं