14 Jan 2017
सुबह 3.00 बजे सागर ( मध्य प्रदेश का एक शहर ) से लौटा हूँ..... बिस्तर पर लेटते ही याद आया की आज मकर संक्रांति है ..... पतंग उड़ाने का दिन ....... सोचता हूँ कि क्या पतंग उड़ाने का भी कोई दिन मुक़र्रर हो सकता है.... बचपन में हम पतंग तब उड़ाते थे जब बसंती पवन बहने लगे....... साल में एक दिन पतंग उड़ाने का ट्रेडिशन तब शुरू हुआ जब मैं घर छोड़ काम के लिए शहर से बाहर निकला..... लेकिन तब भी मैंने पतंग उडाना नहीं छोड़ा.....
वसंत मेरा प्रिय मौसम है ... वसंत के आगमन को मैं बिना कैलंडर के महसूस कर सकता हूँ ..... और बिना मौसम वसन्त को अनुभव करना हो तो प. जसराज का गया "और राग सब बने बाराती दूल्हा राग वसंत " सुन लेता हूँ ..... यादें बचपन की और लौट रही हैं .... मैंने पतंग उडाना बड़े भैया से सीखा .... वो पतंग उड़ाते और मैं उनकी चक्री पकड़ता और न जाने कब पतंग उड़ाना सीख गया... मेरे देखे पतंग उडाना एक कला है...... हम मांजा भी खुद कातते और पतंग भी खुद बनाते थे .... सब कुछ होम मेड ..... एक महत्वपूर्ण बात ये है कि मुझे पतंग लड़ाना ( जिसे पेंच लड़ाना भी कहते हैं ) कभी पसंद नहीं रहा. मुझे केवल पतंग को आकाश की उंचाइयां छूते देखना ही अच्छा लगता है......लेकिन ऐसा भी नहीं की कोई पेंच लड़ाने आये और मैं डर कर भाग गया हूँ .... बाबा (ताऊ जी ) कहते थे -" पहले लगना नहीं और बाद में छोड़ना नहीं " इस बात को जीवन पथ पर भी कभी नहीं भुला ....... पिछले वर्ष इंदौर पतंगोत्सव में भाग लेने का अवसर मिला.... मैं अपने सहयोगी "हर्ष" के साथ उसमें शामिल हुआ ........ हमने कुल पांच पतंग काटे ..... हमने पहल नहीं की लेकिन बाद में छोड़ा भी नहीं.....
याद आया कि पापा एक बार कानपुर गए थे तो मेरे लिए पीतल की बनी चक्री लेकर आये थे जिसमें कांच के पहिये लगे थे .... वो इतनी खूबसूरत थी कि मैंने उसे हमेशा संभाल कर रखा..... कभी इस डर से इस्तेमाल नहीं किया कि खराब न हो जाए ...... सुबह उठते ही मम्मी को फ़ोन करता हूँ .... मम्मी से ये सुन कर अच्छा लगा की वो चक्री अभी भी ( लगभग 20-22 वर्षों बाद भी) वैसे ही रखी है..... कहता हूँ अबकी इंदौर आओ तो उसे लेते आना .... इस बार पीतल की चक्री पे मांजा लपेट कर पतंग उड़ाई जाएगी .
सुबह के 10.00 बज चुके हैं..... ऑफिस में बहुत सारे काम पेंडिंग पड़े हैं .... इम्पोर्टेन्ट लेक्चर्स , मीटिंग्स , और बहु सारे काम ..... काम करते हुए सोचता हूँ शाम को घर जाते वक़्त पतंग और मांजा खरीद कर ले चलूँगा.... 4.00 बजे पत्नी का फ़ोन आता है .... भूल गए क्या कल चेन्नई की फ्लाइट पकडनी है?? .... शॉपिंग और दूसरी तैयारियां बाकी हैं जल्दी आओ.......
बाज़ार से लौट कर डायरी लिखने बैठा हूँ ... रात के 9.00 बजे हैं.... पतंग उडाना रह गया..... फिर सोचता हूँ मैं ही तो वो पतंग हूँ जिसकी साँसों की डोर उस परम पिता के हाथों में है और उड़ा जा रहा हूँ जीवन के उन्मुक्त आकाश में .......
-मन मोहन जोशी "मन"
सुबह 3.00 बजे सागर ( मध्य प्रदेश का एक शहर ) से लौटा हूँ..... बिस्तर पर लेटते ही याद आया की आज मकर संक्रांति है ..... पतंग उड़ाने का दिन ....... सोचता हूँ कि क्या पतंग उड़ाने का भी कोई दिन मुक़र्रर हो सकता है.... बचपन में हम पतंग तब उड़ाते थे जब बसंती पवन बहने लगे....... साल में एक दिन पतंग उड़ाने का ट्रेडिशन तब शुरू हुआ जब मैं घर छोड़ काम के लिए शहर से बाहर निकला..... लेकिन तब भी मैंने पतंग उडाना नहीं छोड़ा.....
वसंत मेरा प्रिय मौसम है ... वसंत के आगमन को मैं बिना कैलंडर के महसूस कर सकता हूँ ..... और बिना मौसम वसन्त को अनुभव करना हो तो प. जसराज का गया "और राग सब बने बाराती दूल्हा राग वसंत " सुन लेता हूँ ..... यादें बचपन की और लौट रही हैं .... मैंने पतंग उडाना बड़े भैया से सीखा .... वो पतंग उड़ाते और मैं उनकी चक्री पकड़ता और न जाने कब पतंग उड़ाना सीख गया... मेरे देखे पतंग उडाना एक कला है...... हम मांजा भी खुद कातते और पतंग भी खुद बनाते थे .... सब कुछ होम मेड ..... एक महत्वपूर्ण बात ये है कि मुझे पतंग लड़ाना ( जिसे पेंच लड़ाना भी कहते हैं ) कभी पसंद नहीं रहा. मुझे केवल पतंग को आकाश की उंचाइयां छूते देखना ही अच्छा लगता है......लेकिन ऐसा भी नहीं की कोई पेंच लड़ाने आये और मैं डर कर भाग गया हूँ .... बाबा (ताऊ जी ) कहते थे -" पहले लगना नहीं और बाद में छोड़ना नहीं " इस बात को जीवन पथ पर भी कभी नहीं भुला ....... पिछले वर्ष इंदौर पतंगोत्सव में भाग लेने का अवसर मिला.... मैं अपने सहयोगी "हर्ष" के साथ उसमें शामिल हुआ ........ हमने कुल पांच पतंग काटे ..... हमने पहल नहीं की लेकिन बाद में छोड़ा भी नहीं.....
याद आया कि पापा एक बार कानपुर गए थे तो मेरे लिए पीतल की बनी चक्री लेकर आये थे जिसमें कांच के पहिये लगे थे .... वो इतनी खूबसूरत थी कि मैंने उसे हमेशा संभाल कर रखा..... कभी इस डर से इस्तेमाल नहीं किया कि खराब न हो जाए ...... सुबह उठते ही मम्मी को फ़ोन करता हूँ .... मम्मी से ये सुन कर अच्छा लगा की वो चक्री अभी भी ( लगभग 20-22 वर्षों बाद भी) वैसे ही रखी है..... कहता हूँ अबकी इंदौर आओ तो उसे लेते आना .... इस बार पीतल की चक्री पे मांजा लपेट कर पतंग उड़ाई जाएगी .
बाज़ार से लौट कर डायरी लिखने बैठा हूँ ... रात के 9.00 बजे हैं.... पतंग उडाना रह गया..... फिर सोचता हूँ मैं ही तो वो पतंग हूँ जिसकी साँसों की डोर उस परम पिता के हाथों में है और उड़ा जा रहा हूँ जीवन के उन्मुक्त आकाश में .......
-मन मोहन जोशी "मन"
Very nice sir..
जवाब देंहटाएंThanx Nitin follow my blog to read the pages of my diary and invite others
हटाएंबेहतरीन सर ....आपकी बात निराली है ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सर ....आपकी बात निराली है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरे भाई .... मैं कई वर्षों से डायरी लिख रहा हूँ .. सोचा इस वर्ष कुछ चुनिन्दा पन्ने अपनों से शेयर करूँ...
हटाएंGreat think sir ji
जवाब देंहटाएंAap to kautiliyans ke liye ideal ho
Thanks Saurabh,
हटाएंStay blessed...
Thanks sir ji
जवाब देंहटाएंDiary also like a mirror for future ,but today Diary like a past
जवाब देंहटाएंVery beautifully expressed sir...........m in nostalgia now �� #You r our ideal and we have become ur fan now sir .........
जवाब देंहटाएंDear Priyanka,
हटाएंThanx for ur valuable comments. Stay blessed.
Reality of life
जवाब देंहटाएंJivan ki vyatyta mai swam k liye waqt hi nai bacha...(seedha saral tha jeevan jaha... Darpan bata bachpan kahaaaa....)
जवाब देंहटाएंJivan ki vyastta mai swam k liye waqt hi nai bacha...(seedha saral tha jeevan jaha... Darpan bata bachpan kahaaaa....)
जवाब देंहटाएंJivan ki vyastta mai swam k liye waqt hi nai bacha...(seedha saral tha jeevan jaha... Darpan bata bachpan kahaaaa....)
जवाब देंहटाएंSir ye jo Aap ke vichar hai ye sirf Aap ke nahi hai Aapne Us har insan ke jajbato ko samne rakha hai jisne Is bhag dour ki zindgi me Apni Sacchi khushi ko bhul bheta hai or is Dunia me Sone ki hiran Dhundta phir raha hai
जवाब देंहटाएंAap mere best teacher hai sir
जवाब देंहटाएंStay blessed dear..
हटाएंBahut khoob Manmohan sir aap ek ache dost vakta to Ho hi aaj ek aur khoobi aapki pata chali ki aap bahut ache lekhak bhi hain. Beshak ise sarvajanik hona chahiye. My best wishes are for you
जवाब देंहटाएंThanx a lot for ur wishes
हटाएं