27 January 2017
भक्त या धार्मिक व्यक्ति
दो तरह के होते हैं - एक जो शंख और घंटे
की ध्वनि करते रहते हैं और जोर से मंत्रोचारण करते हैं ..... इससे आस पास के लोगों
को पता चलता रहता है कि पूजा पाठ चल रही है और पंडित जी भक्ति भाव वाले
धार्मिक व्यक्ति हैं ..... दुसरे वो जिनके
बारे में कबीर ने कहा :
“सब रग तंत रबाब तन , विरह बजावे नित्त .
और न कोई सुन सके कह साईं के चित्त..””
अर्थात : मेरा शरीर ही रबाब ( एक तरह का वाद्य यन्त्र ) बन गया है और रग-रग उसके तार ....... विरह इस वाद्य यन्त्र को निरंतर बजा रहा है..... ये जो जप है, इस तरह का जो ईश्वर का स्मरण है वो केवल भक्त के मन से निकलता है और केवल उसके ईश्वर को ही सुनाई पड़ता है.
ठीक उसी तरह कार्य क्षेत्र में भी दो तरह के कर्मचारी होते हैं : पहले वो जो काम एक करते हैं और दस जगह गिनाते फिरते हैं और दुसरे वो जो चुपचाप काम करते रहते हैं ये सोचकर कि उसके इमीडियेट बॉस को जानकारी है कि क्या हो रहा है.... कौन ठीक है?? इस पर हम सब की अपनी – अपनी राय हो सकती है......
मेरे देखे अपनी ड्यूटी को निभाते रहना, बिना इस बात का ढोल पिटे कि
क्या काम किया जा रहा है उच्च कोटि के कर्मचारी का गुण है....... बस इमीडियेट बॉस
को ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे कर्मचारियों के लिए कार्यक्षेत्र में अनुकूल माहौल बना रहे
और ऐसी परिस्थितियाँ न पैदा हों कि अपने वास्तविक कार्य को छोड़ वे भी ढोल पीटने में लग जाएँ.........
-मन मोहन
जोशी “मन”
2 टिप्पणियां:
Nice sir
Thanx dear ..
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