Diary Ke Panne

सोमवार, 23 जनवरी 2017

बालाजी दर्शन व चूड़ा कर्म

१८ जनवरी 2017





                                       सुबह के 8.00 बजे हैं..... आज बालाजी के दर्शन के लिए जाना है.... बड़े भैया कल शाम को ही धोती और दिव्य दर्शन के टिकट ले आये थे ...भैया ने बताया की ९.३० से १०.०० के बीच मुंडन करवाने जाना है फिर एक बजे दर्शन के लिए लाइन में लगेंगे ...... पापा कहते हैं कोई पुस्तक जिसमें तिरुपति बालाजी का महात्म्य दिया हो खरीद लेते तो ठीक रहता .... मैं कहता हूँ  चलो सब बैठ जाओ तो मैं बालाजी का महात्म्य पढ़ कर सुनाता हूँ....... गूगल बाबा से पूछ कर मैं भगवान् व्यंकटेश का महात्म्य पढ़ने लगता हूँ...... पापा बीच में उठ कर चले जाते हैं, उन्हें बच्चों के लिए दलिया बनवाना है........ मानो इश्वर बच्चों में ही है........भगवान् व्यंकटेश का महात्म्य पढ़ने पर रहस्य की कई परतें खुलने लगती हैं जैसे:

 1. इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे हुए बाल उनके असली बाल हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये बाल कभी उलझते नहीं है और हमेशा इतने ही मुलायम रहते हैं।

2. वेंकटेश्वर स्वामी यानी बालाजी की मूर्ति का पिछला हिस्सा हमेशा नम रहता है। यदि ध्यान से कान लगाकर सुनें तो सागर की आवाज सुनाई देती है।

3. मंदिर के दरवाजे कि दायीं ओर एक छड़ी रहती है। माना जाता है इस छड़ का उपयोग भगवान के बाल रूप को मारने के लिए किया गया था। तब उनकी ठोड़ी पर चोट लग गई थी। जिसके कारण बालाजी को चंदन का लेप ठोड़ी पर लगाए जाने की शुरुआत की गई।

4. सामान्य तौर पर देखने में लगता है कि भगवान की मूर्ति गर्भ गृह के बीच में है, लेकिन वास्तव में, जब आप इसे बाहर से खड़े होकर देखेंगे, तो पाएंगे कि यह मंदिर के दायीं ओर स्थित है।

 5. मूर्ति पर चढ़ाए जाने वाले सभी फूलों और तुलसी के पत्तों को भक्तों में न बांटकर, परिसर के पीछे बने पुराने कुएं में फेंक दिया जाता है।

6. गुरूवार के दिन, स्वामी की मूर्ति को सफेद चंदन से रंग दिया जाता है। जब इस लेप को हटाया जाता है तो मूर्ति पर माता लक्ष्मी के चिन्ह बने रह जाते हैं।

7. मंदिर के पुजारी, पूरे दिन मूर्ति के पुष्पों को पीछे फेंकते रहते हैं और उन्हें नहीं देखते हैं, दरअसल इन फूलों को देखना अच्छा नहीं माना जाता है।

8. कहा जाता है 18 वी शताब्दी में, इस मंदिर को कुल 12 वर्षों के लिए बंद कर दिया गया था। उस दौरान, एक राजा ने 12 लोगों को मौत की सजा दी और मंदिर की दीवार पर लटका दिया। कहा जाता है कि उस समय वेंकटेश्वर स्वामी प्रकट हुए थे।

9. इस मंदिर में एक दीया कई सालों से जल रहा है किसी को नहीं ज्ञात है कि इसे कब जलाया गया था।

10. बालाजी की मूर्ति पर पचाई कर्पूरम चढ़ाया जाता है जो कर्पूर मिलाकर बनाया जाता है। यदि इसे किसी साधारण पत्थर पर चढाया जाए, तो वह कुछ ही समय में चटक जाता है, लेकिन मूर्ति पर इसका प्रभाव नहीं होता है।

                          भगवान वेंकटेश्वर के भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां आकर अपने बाल अर्पण करके जाते हैं। ऐसा कर वे भगवान विष्णु के अवतारवेंकटेश्वर की आर्थिक सहायता करते हैं ताकि वे धन कुबेर से लिया गया उधार चुका सकें। बड़े भैया मज़ाक में कहते हैं कि शायद लोगों  ने "कैश" को "केश" समझ लिया होगा......


                         बहरहाल हम सब दर्शन की लाइन में ठीक समय पर पहुँच जाते हैं ..... आज इस बात का साक्षात् एहसास होता है की देश की आबादी सवा सौ करोड़ से ज्यादा  हो गई है.... शायद यही जनसँख्या विस्फोट है जिसके बारे में हम बचपन से पढ़ लिख रहे हैं.......खैर तीन से चार घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद बालाजी के दर्शन होते हैं कुछ सेकंड्स के लिए..... और लोग बाहर धकेल दिए जाते हैं......


खैर कुछ सेकंड्स का ही सही लेकिन  दिव्य दर्शन....अहा ! हम सब जोर से  एक साथ जयकारा लगाते हैं ग़ोविन्दा गोविंदा.....



                                                                   

                                                         -  मनमोहन जोशी “Mj”

4 टिप्‍पणियां:

  1. Every day is a new situation.So,change is must necessary.Completely AGREE.....

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  2. सर अद्भुत वर्णन। मैं स्वयं वैंकटेश भगवन का भक्त हूँ । नवीन ज्ञान पाकर आस्था और बढ़ गयी। धन्यवाद।

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  3. सर अद्भुत वर्णन। मैं स्वयं वैंकटेश भगवन का भक्त हूँ । नवीन ज्ञान पाकर आस्था और बढ़ गयी। धन्यवाद।

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