Diary Ke Panne

शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

जड़ों कि ओर......


 

 

पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस था और 6 जून को वट सावित्री पूजन.. कभी सोचता हूँ तो ये व्रत, पूजन और त्योहार दिल को भीतर तक छू जाते हैं.. जब हम छोटे थे तो इन व्रत त्योहारों के चलते पूरा जीवन ही उत्सव था

 

अब इस त्योहार को ही लीजिए ये पर्यावरण के महत्व को तो बताता ही है साथ ही भारतीय मनीषी परंपरा में महिलाओं के स्थान के बारे में भी बात करता है .

वट-सावित्री पूजन त्योहार से जुड़ी कहानी की हीरो विदुषी सावित्री है जिसके पति सत्यवान की मृत्यु हो गई है. यमराज जब सत्यवान को ले जा रहे होते हैं तो सावित्री भी उनके पीछे चल देती है -

यम : तुम जहां तक इसका साथ दे सकती थी तुमने दिया अब लौट जाओ

सावित्री : सनातन परंपरा में जहां पति वहाँ उसकी पत्नी, पति के समीप रहते हुए मुझे किसी प्रकार की थकावट नहीं हो सकतीपति का संग और सत्पुरुष का संग, मुझे इस युगल लाभ से वंचित न करें देव! लौटने का प्रश्न ही नहीं उठता.

यम: सावित्री! तुम्हारी बातें इतनी धर्मप्रिय और सत्य सार हैं कि मैं इसे परम-प्रिय और हितकर स्वीकार कर रहा हूँसत्यवान के जीवन को को छोड़कर कोई भी एक वर माँग लो .

सावित्री : तीन वर चाहिए

यम : माँगो !

सावित्री : मेरे सास ससुर अंधे हैं उनकी आँखें लौटा दो

यम : तथास्तु !

सावित्री : मेरे सास ससुर के खोये साम्राज्य को लौटा दो

यम : तथास्तु !

सावित्री : मुझे सत्यवान के पुत्रों की माँ बनने का वरदान दें

यम : तथास्तु !

अब मुस्कुराने की बारी सावित्री की थी, बोली महाराज! आप विवस्वान सूर्य के पुत्र हैं, सब पर समान न्याय करने वाले हैं. आप तो सज्जन शिरोमणि हैं, आप कृपा के जलधर हैं, करुणा के सागर हैंऔर मैंने सुना है है कि संतों के साथ सात कदम भी चल दो तो मित्रता हो जाती है- सतां हि सप्तपदेशु मैत्री”. अतः आप मेरे परम मित्र भी हुए.. आप सन्त हैं, कृपालु हैं, न्यायी हैं, धर्मराज हैं इसलिए आप पर विश्वास करके आप से कुछ कहने का साहस करती हूँ कि अगर आप सत्यवान को जीवित नहीं करेंगे तो मैं उसके पुत्रों की माँ कैसे बनूँगीऔर यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े .

ये मेरे लिये मूल्यहीन है कि ऐसे कोई लोग थे या नहीं या ऐसी घटना घटी या नहीं. मेरे लिए ये मूल्यवान है कि कैसे सावित्री ने यम को बातों में उलझा कर सत्यवान के प्राण वापस बचा लिये. कैसे एक पत्नी अपने पति के लिए मृत्यु के देवता से लड़ पड़ी. कैसे एक महिला ने अल्पायु व्यक्ति को वर चुना और कैसे ये कहानियाँ हमें जीवन से, पर्यावरण से और जड़ों से जोड़ती है.

अपने जड़ों की ओर लौटें 🙏

एमजे

05 -06 - 2024 


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