यूँ तो मुझे मेरा हर एक स्टूडेंट प्यारा है जिसका नाम याद
रख सका हूँ वो भी और जिसका नाम ज़ेहन में नहीं है वो भी ॥ सैकड़ों कहानियाँ हैं
स्टूडेंट्स से जुड़ी लेकिन आज इस एक स्टूडेंट की कहानी आप तक पहुँचाना चाहता हूँ
।।
पेशे से वो डॉक्टर है । बेहद गहरी बातें करता है।यहाँ नाम
इसीलिए नहीं लिख रहा क्यूँकि कहता है “अगर लोगों को पता चल गया कि मैं आपको जानता भी
हूँ तो मुझे प्रिविलेज मिलने लगेगा और मैं ये नहीं चाहता।” ऑफिस में मिलने आता है तो
जूते बाहर उतारता है। बैठने को कहता हूँ तो कहता है “बड़ी मुश्किल से आपके
सामने खड़े होने का सामर्थ्य लेकर आया हूँ अब ना बैठाइये..“ खड़ा ही रहता है।
एक रोज़ मैंने उसे दो बजे मिलने का समय दिया… और जो भी लोग आ रहे थे
मैं सबसे मिल ही रहा था। बीच में लेक्चर्स भी थे तो शाम को 6:30 बजे फ्री हो पाया।
घर जाने के लिए ऑफिस से निकाला तो देखा बाहर वो खड़ा था गाड़ी के पास। मैंने लगभग
नाराज़ होते हुए कहा “दो बजे का टाईम दिया और
और तुम अभी आ रहे हो, अब तो मेरे निकलने का समय हो गया….कल मिलते हैं।” बड़े विनम्र भाव से उसने
हाथ जोड़ते हुए कहा “गुरु जी मैं तो ठीक दो बजे आ गया था बस आप व्यस्त थे तो
आपको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा।” मैंने क्षमा माँगने के भाव से कहा “मेरे भाई चार घंटे से
ज़्यादा का समय ख़राब हो गया तुम्हारा, एक बार रिसेप्शन पर बोल देते कि सर ने मिलने
बुलाया है……” कहता है “मैं तो आपको धन्यवाद देना
चाहता हूँ कि वेटिंग एरिया में बैठे- बैठे मेरी चार घंटे की पढ़ाई हो गई, मैं बुक्स लेकर आया था।”
मैंने उसे स्नेह से गले लगा लिया और बोला चल गाड़ी में ही
बैठ जा तुझे आगे ड्रॉप करता हूँ और थोड़ी देर बात भी हो जाएगी। मैंने सोचा कुछ
विशेष बात करनी होगी या कोई समस्या लेकर आया होगा। गाड़ी ड्राइव करते हुए मैंने
पूछा, “बताओ कैसे आना हुआ?” कहता है, ”कोई विशेष प्रयोजन नहीं
बस आपका आशीर्वाद लेने आया था।”
फिर हमने थोड़ी इधर-उधर की बातें की…. एक ग़ज़ल उसने लिखी थी वो
सुनाई और फिर मैंने पूछा “बता तुझे कहाँ छोड़ दूँ?“ लगभग उसने नाराज़ होते
हुए कहा, “जब छोड़ना ही है तो इससे
क्या फ़र्क़ पड़ता है कि कहाँ? आप तो कहीं भी छोड़ दो।” कितनी गहरी बात ! तो ऐसे
विद्वान स्टूडेंट्स हैं मेरे जिनसे सम्मान मिलता रहता है मुझे॥
कल गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आप सभी मित्रों से विभिन्न
माध्यमों से शुभकामना संदेश प्राप्त हुए… शुक्रिया ॥ सुबह की शुरुआत भाई मयंक पटेल की
हीरामणी से मुँह मीठा करके हुई और छत्तीसगढ़ से अंकिता की मम्मा ने नमकीन भेजा था
मीठा और नमकीन दोनों एक साथ…. और इससे बढ़िया दिन की शुरुआत क्या ही हो सकती है ॥शाम
एमपीपीएससी के स्टूडेंट्स के द्वारा सजाई गई थी, जहां हमने अपने कुछ विचार
रखे और स्टूडेंट्स के विचारों से रूबरू हुए॥
दिन भर स्टूडेंट्स का आना जाना लगा रहा मंदाकिनी घर से खीर
बना लाई, विशाखा ने पहली बार
हॉस्टल में मेरे लिये कुछ पकाया , अनमोल गणपति ले आया तो अक्षत अपने हाथ की बनाई फूलों का
गुलदस्ता लेकर आया, सुनीता गुलाब जामुन बना कर लाई, मोहित , पूजा, अक्षिता, निकिता, अश्विन, अफीफा, शिव, भूमिका, सोनाली, प्रतिभा, हिमांशी , रोहित , रवि , बलबीर , लव , राहुल राज , भागवत राणावत , राहुल , गोपाल, महावीर और बाक़ी सभी
मित्र जिनकी, शुभकामनाएँ और गिफ्ट्स
मुझ तक पहुँचे हैं उन सभी को अनेक धन्यवाद॥ आप सभी के स्वस्थ जीवन और उज्ज्वल
भविष्य की कामना करता हूँ ॥
कईयों के साथ फोटो क्लिक नहीं हो पाये और कुछ के नाम मैं
यहाँ मेंशन नहीं कर पाया आप सभी को आपके अथाह स्नेह के लिए जितना धन्यवाद दूँ कम
है ॥
और हाँ, एक और बात…. गुरु होना तो बहुत बड़ी बात है, क्या पता मैं एक अच्छा
शिक्षक भी बन पाया हूँ या नहीं। हाँ आप सबका मित्र होने में मुझे सुविधा है और और
इसमें मैं सहज भी हूँ ॥
आपके इस मित्र की ओर से एक बार फिर गुरु पूर्णिमा की अनेक
अनेक शुभकामनाएँ ❤️॥ आपके गुरुजन की कृपा आप
पर बनी रहे ॥
✍️MJ
गुरु पूर्णिमा . २०२३
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