Diary Ke Panne

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

राम सम्वाद

 



कल टीवी जगत के ख्यात कलाकार अरुण गोविल जी को जब मैं एयरपोर्ट से लेकर आ रहा था तब उन्होंने बातों ही बातों में जो कुछ उन्हें एकेडमी या हमारे बारे में पता था उस पर चर्चा करनी शुरू कर दी॥ सुखद आश्चर्य था कि वे हम लोगों और हमारे काम को जान रहे थे॥

फिर जब विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने वाले अभ्यर्थियों के बारे में बात हुई तो उन्होंने जिज्ञासावश पूछा (यह प्रश्न साधारणतः हर एक जिज्ञासु विद्यार्थी के मन में होता है, तो सोचा यहाँ साझा करूँ) , “अगर शिक्षक किसी को पढ़ा कर आईएएस या जज बना सकता है तो वो ख़ुद क्यूँ नहीं बन जाता ?” बड़ा ही गंभीर प्रश्न है…..

तो मेरे देखे इस प्रश्न के दो उत्तर हो सकते हैं -

1) वे शिक्षक जो शिक्षक बनने के बाद भी कुछ और होने की इच्छा रखते हैं वो बन ही जाते हैं, आपने सुना ही होगा फ़लाँ कोचिंग के अमुक शिक्षक का भी सिलेक्शन हो गया, मायावती शिक्षक से मुख्यमंत्री तक बनीं और राधा कृष्णन तो शिक्षक से राष्ट्रपति भी बने ॥

2) फिर दूसरे वे हैं जो शिक्षक बन जाने के बाद कुछ और नहीं हो जाना चाहतेशिक्षक हो जाने में ही जीवन कि पूर्णता हो जैसे…. ऐसे में हम उन्हें श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में ही जानते हैं ॥ और हाँ फिर -

# हम कभी किसी कौटिल्य से नहीं पूछते कि वो क्यूँ मगध के राजा नहीं बन गए?

# हम कभी किसी विश्वामित्र से नहीं पूछते कि तुम जब स्वयं शस्त्र विद्या के ज्ञाता हो तो फिर तुम्हें क्यूँ राक्षसों से निपटने के लिए राम और लक्ष्मण की आवश्यकता है ?

# हम कभी किसी रमाकान्त आचरेकर से नहीं पूछते कि आप क्यूँ सचिन तेंदुलकर नहीं बने ?

तो शिक्षक का होना एक शून्य की तरह है, वो स्वयं में कुछ भी नहीं लेकिन जब वह किसी योग्य विद्यार्थी से मिलता है तो ये दोनों मिलकर कुछ और ही हो जाते हैं ॥ अगर विद्यार्थी 10 है तो शिक्षक का साथ उसे 100 बना देगा और वो पहले से ही 100 है तो 1000.

 MJ
02-07-2023


 

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