नेरु मलयालम भाषा का एक शब्द है जिसका
मतलब होता है “the truth” याने कि सच. एक कमाल की
फ़िल्म है. जिसे देखने का आग्रह मुझसे एकाधिक बार किया जा चुका है. लेकिन आज सुबह
अधिवक्ता अल्पजीत सिंह ने जब मुझे इसे देख डालने का आग्रह किया तो मुझसे रहा नहीं
गया. अगर आप कोर्ट रूम ड्रामा देखना पसंद करते हैं तो ये फ़िल्म देखनी ही चाहिए.
एक अंधी लड़की का रेप हुआ है, रेपिस्ट शातिर है उसने पीछे कोई सबूत नहीं छोड़ा है.. ऐसे
में मामले को साबित करना प्रॉसिक्यूशन के लिये असंभव दिखाई पड़ता है. लेकिन किस
तरह से ऐसे मामले को साबित किया जाता है ये इस फ़िल्म का प्लॉट है.
केंद्रीय भूमिका में मोहनलाल हैं जो एक
कमाल के अभिनेता हैं. उन्होंने वकील का किरदार निभाया है जो पीड़िता की ओर से
न्यायालय में आते हैं.
क्योंकि फ़िल्म बलात्कार के एक मामले के
इर्द गिर्द घूमती है, क़ानूनी दांव पेंच की
बातें करती है, इसीलिए लॉ स्टूडेंट्स को इसे देखना ही चाहिए.
फ़िल्म देखते हुए एक ख़्याल ये भी आया कि
जब तक किसी भी समाज में स्त्री को प्रेम नहीं किया जाता, उसे सम्मान नहीं दिया जाता, उसके
प्रति संवेदनशील नहीं हुआ जाता, उसे भी एक मानव समझ कर अपनी
बराबरी का नहीं माना जाता, बलात्कार जैसी घटनाएं होती रहेगी.
यदि स्त्री को भोग की ही चीज है मान लिया जाए तो सहमती या असहमती फिर कहाँ मायने
रखती है.
मेरे देखे ये एक मनोविकार से जन्म लेता
है.. कई मनोवैज्ञानिक शोध इस विषय पर लगातार चल रहे हैं जिनका निष्कर्ष ये है कि
बलात्कार जैसे अपराध को सख्त कानून से नहीं रोका जा सकता. काम का वेग इतना होता है
कि जब यह उद्दाम वेग किसी के सिर पर चढ़ता है तो उस समय उसे कोई कानून नहीं दिखाई
देता.
एक बार एक हाई कोर्ट जज साहब मुझे बता
रहे थे कि जितना कानून सख्त होता जाता है उतना ही बीमारी और जटिल हो जाती है.
उन्होंने मुझे बताया कि बलात्कार पर सख्त से सख्त कानून के आते-आते, बलात्कार के बाद स्त्रियों की हत्याएं अधिक होने लगीसबूत
मिटाने के लिए हत्या तक कर दी जाती है.
मेरे देखे बलात्कार जैसे अपराधों से
निपटने के लिए एक बेहद स्वस्थ समाज की जरूरत है, जहां
स्त्री-पुरुष समान हो, उनका मिलना-जुलना सहज हो, सरल हो, उनके बीच रिश्ते बहुत ही पवित्रता के साथ बन
सकते हों, सेक्स का दमन जरा भी न हो, इसे
एक प्राकृतिक भेंट समझकर उसे स्वीकारा जाए, उसकी निंदा जरा
भी न हो.
किसी तल पर जो आदिवासी हैं, जंगलों में रहते हैं, जो बेहद सहज,
सरल व प्राकृतिक जीवन जीते हैं, वहां कभी
बलात्कार जैसी घटनाएँ देखने में नहीं आती.. ये आधुनिक सभ्यता, शिक्षा व दमित समाज की देन है. आप क्या सोचते हैं ?
✍️एमजे
28-01-2024
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