Diary Ke Panne

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

समोसा गाथा…




समोसा भारत में एक अतिलोकप्रिय व्यंजन है लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि समोसा ईरान या मध्य पूर्वी व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया होगा क्यूँकि ऐसी ही एक डिश ईरान में पाई जाती है.


फारसी में इसका नाम “संबुश्क” है. माना जाता है कि भारत आते-आते यही संबुश्क समोसा हो गया होगा। बिहार और पश्चिम बंगाल में इसे ही शिंगारा  कहा जाता है।


थोड़ा इतिहास में चलते हैं.. समोसे का जिक्र पहली बार 11

वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फल बेहाकी के लेख में मिलता है

जिसमें उसने गजनी के दरबार में एक नमकीन चीज का जिक्र किया था जिसमें कीमा और मावे भरे होते थे। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि समोसे का आविष्कार भारत के उत्तरी क्षेत्र में हुआ होगा।


बहरहाल जो कुछ भी हो समोसा है तो लोकप्रिय और इंदौर शहर में इसे बघेली समोसे के नाम से पेश किया है रीवा के दो युवा भाइयों ने जिनका नाम है जय और विजय। वैसे मैं समोसे खाने का शौक़ीन नहीं हूँ लेकिन जब बघेली समोसे की बात आती है तो मैं इसे किसी भी समय खा सकता हूँ । आज बघेली समोसे को पूरे मध्य प्रदेश भर में लोकप्रिय बनाने वाले प्रिय भाई विजय का ऑफिस आना हुआ आप यशस्वी हों ऐसी कामना है ।


चलिए वापस लौटते हैं समोसा गाथा पर… समोसे का पहली बार ज़िक्र हिंदुस्तान की सरहद में मध्य कालीन युग के यात्री इब्न बतूता करते हैं. इब्न बतूता मोरक्को से थे और रेशम मार्ग से होते हुए तुग़लक़ साम्राज्य के समय भारत आये थे. इब्न बतूता ने अपने लेखन में समोसे जैसी चीज़ का ज़िक्र किया है. यानी 13वीं शताब्दी में पहली बार समोसे का ज़िक्र हमें किसी दस्तावेज में मिलता है. उसके बाद समोसे का ज़िक्र निमतनामा में होता है जो 1469 और 1500 के बीच लिखी गयी एक किताब है जिसमें उस वक़्त के खान पान का विस्तृत ज़िक्र है. उस समय गियास अल दीन खिलजी का पूरे मालवा में आधिपत्य था. ख़ास बात ये है कि इस किताब में 8 तरह के समोसों का ज़िक्र हुआ है लेकिन किसी में भी आलू की बात नहीं की गयी. यानी समोसे में नारियल, क्रीम, गोश्त और अन्य चीज़ों का खूब इस्तेमाल होता था. फिर इसका ज़िक्र आईने अकबरी में हुआ और आमिर खुसरो भी समोसे का ज़िक्र किया और वो बताते हैं कि समोसों में प्याज और गोश्त भरा जाता था और देसी घी में छाना जाता था. यानी समोसे तेल के बजाये देसी घी में भी छाने जाते रहे हैं.


 500 साल पहले और उसके बाद समोसों में बड़ा फ़र्क़ एक ये हुआ है कि हिन्दुस्तान में धीरे-धीरे समोसों में तेज़ और गरम मसालों का खूब इस्तेमाल होने लगा है जो ईरान और मध्य एशिया में नहीं होता था. बाद में इनमें हरी मिर्च का भी इस्तेमाल होने लगा.


जानकार कहते हैं कि समोसा रेशम मार्ग के ज़रिये हिन्दुस्तान आया. कहीं ये सम्बुसा कहा जाता था और कहीं समसा लेकिन शुरुआत के दौर में समोसों में गोश्त, पिस्ता और क्रीम जैसे खाद्य पदार्थों का ही इस्तेमाल किया जाता रहा होगा. खाद्य इतिहासकार पुष्पेश पंत का कहना हैं कि वैसे तो समोसा मध्य एशिया से आया है लेकिन वो अब उपमहाद्वीप का खाना बन चुका है. उनके अनुसार अब समोसे को विदेशी कहना ग़लत होगा.


पश्चिम बंगाल में समोसा शिंगारा है और हैदराबाद में लुक्मी, गोवा में इसको चामुकास बोला जाता है और कोलकाता के क्लब्स में ये कॉकटेल समोसा कहलाता है. इसमें दाल भी इस्तेमाल होती हैं और ये मीठे रूप में भी पकाया जाता है इसलिए समोसे का हिंदुस्तानीकरण पूरा हो चुका है.


✍️MJ

22-09-2023

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत सर ♥️